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    लिटरेचर फेस्टिवल में रस्किन बांड बोले- लेखक बनने से पहले पाठक बनना जरूरी

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 05:50 PM (IST)

    देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल में साहित्य, संस्कृति और रचनात्मकता का अनूठा संगम देखने को मिला। रस्किन बांड ने युवाओं को एक अच्छा पाठक बनने के लिए प्रेरित किया। विभिन्न लेखकों को रस्किन बांड लिटरेरी अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। सत्रों में उत्तराखंड की संस्कृति, समावेशी समुदाय, बाल साहित्य और इतिहास पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में विविधता और एकता का संदेश दिया गया।

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    लेखक रस्किन बांड।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन साहित्य, संवेदनशीलता, लोक संस्कृति और रचनात्मकता के विविध रंग देखने को मिले। लेखक रस्किन बांड ने वीडियो संदेश के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि लेखक बनने की पहली शर्त एक अच्छा पाठक होना है।

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    उन्होंने कहा कि जो लोग सच में किताबों से प्रेम करते हैं, वही अंततः लेखक बनते हैं। मैं खुद को हमेशा पहले पाठक और बाद में लेखक मानता हूं। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे किताबों को अपना मित्र बनाएं, पढ़ने-लिखने की आदत को विकसित करें और शब्दों में आनंद खोजें।
    इसके बाद रस्किन बांड लिटरेरी अवार्ड्स प्रदान किए गए। ‘बडिंग राइटर्स’ श्रेणी में मायरा पारेख विजेता और ओजस्वी अग्रवाल उप विजेता रहे। ‘प्रामिसिंग राइटर्स’ श्रेणी में अमिता बासु को पुरस्कार मिला, जबकि कविता में हर्षित दीक्षित को सम्मानित किया गया और प्रतीक साखरे उप विजेता घोषित हुए। शिवानी-आयरन लेडी आफ द हिल्स अवार्ड इस वर्ष अनामिका को दिया गया।
    इस दौरान उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर आधारित सत्र साउंड आफ वुमेन-फोक म्यूजिक आफ उत्तराखंड में कुमाऊं की पारंपरिक धुनों और महिलाओं की सशक्त आवाज को खूबसूरत अंदाज में प्रस्तुत किया गया।

    द सर्कल आफ बिलान्गिंग-करेज, केयर एंड कम्पैशन सत्र में जो चोपड़ा, सुचित्रा शेनाय और एबी पाठक ने संवेदनशील और समावेशी समुदाय बनाने पर विस्तृत चर्चा की।

    शुभी मेहता द्वारा संचालित इस सत्र में जो चोपड़ा ने अपनी माय माय के साथ जीवन यात्रा साझा करते हुए कहा कि हर बच्चा पूर्ण मानव है, उसे समझने की जरूरत है, लेबल लगाने की नहीं।

    सुचित्रा शेनाय ने देखभाल और मानव आत्मा की दृढ़ता पर प्रकाश डाला, जबकि एबी पाठक ने कहा कि समावेशन की शुरुआत समझ और अधिकार सुनिश्चित करने से होती है।

    बच्चों के साहित्य पर आधारित सत्र अबव राइम, बियान्ड रीजन में रूपा पाई, शोभा थरूर श्रीनिवासन और वैशाली श्राफ ने रचनात्मक लेखन की प्रक्रिया और बाल साहित्य के महत्व पर विचार साझा किए।

    इतिहास पर केन्द्रित सत्र पनिक्कर’स इंडिया- फ्राम प्रिन्सली स्टेट्स टू ग्लोबल सीज़ में नारायणी बासु और रेणुका नाहर ने इतिहासकार केएम पनिक्कर के योगदान को सामने रखा।

    अन्य सत्रों में दिव्य प्रकाश दुबे का कहानी जंक्शन और सुवीर सरन का बियान्ड द रेसिपी भी दर्शकों को बेहद पसंद आए।

    शाम को आद्यम स्टेज पर मनीष सक्सेना की प्रस्तुति इकत- द फैब्रिक आफ वननेस ने वस्त्रों के माध्यम से विविधता और एकता का संदेश दिया। इसके बाद अनन्या गौर की मनमोहक गज़ल प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

    डीडीएलएफ के संस्थापक समरांत विरमानी ने कहा कि बाल दिवस पर महोत्सव की शुरुआत होना इसके उद्देश्य को और सार्थक बनाता है। दून इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक एचएस मान ने इसे विद्यालय के लिए गर्व का अवसर बताया।

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