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Road Safety With Jagran : स्मार्ट पुलिसिंग पर पुलिस का जोर, उत्‍तराखंड DGP ने कहा सुधरेगी यातायात व्यवस्था

Road Safety With Jagran प्रदेश में जिस तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ पाई। यातायात नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई के लिए भी स्मार्ट पुलिसिंग का सहारा लिया जा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Sun, 04 Dec 2022 02:08 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2022 02:08 PM (IST)
Road Safety With Jagran : स्मार्ट पुलिसिंग पर पुलिस का जोर, उत्‍तराखंड DGP ने कहा सुधरेगी यातायात व्यवस्था
Road Safety With Jagran : उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार

टीम जागरण, देहरादून : Road Safety With Jagran : प्रदेश में जिस तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ पाई। इस कारण सड़क हादसों में लगातार वृद्धि हो रही है। यातायात व्यवस्था की निगरानी के लिए जनसंख्या के अनुपात में यातायात पुलिसकर्मियों की संख्या भी पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में पुलिस विभाग का जोर स्मार्ट पुलिसिंग पर है।

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यातायात नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई के लिए भी स्मार्ट पुलिसिंग का सहारा लिया जा रहा है। तेज गति और रेड लाइट जंप करने वालों पर लगाम कसने के लिए कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है तो नो पार्किंग में खड़े वाहनों के चालान ड्रोन से किए जा रहे हैं।

इसी क्रम में राज्य में स्मार्ट पुलिसिंग को विस्तार देने और सड़क पर सुरक्षित सफर के लिए पुलिस विभाग की ओर से किए जा रहे कार्यों व भविष्य की योजनाओं को लेकर दैनिक जागरण ने उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार से बात की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:

-वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन यातायात व्यवस्था दुरुस्त रखने के संसाधन कम होते जा रहे हैं। इन्हें बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

- यह बात सही है कि हमारे पास फोर्स की काफी कमी है। फिर भी जो संसाधन हैं, उसी से काम चलाया जा रहा है। होमगार्ड जवानों से भी काम लिया जा रहा है।

-ट्रैफिक लाइट और कैमरे सीमित संख्या में हैं। कई बार वाहन चालक टक्कर मारने के बाद फरार हो जाते हैं, जिन्हें ढूंढना मुश्किल हो जाता है। इस दिशा में क्या किया जा रहा है?

-मुझे लगता है कि शहरी क्षेत्रों में ट्रैफिक लाइट पर्याप्त मात्रा में हैं। हां, ग्रामीण क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या कुछ कम है। हमारी कोशिश है कि आने वाले समय में एक तिहाई चालान डिजिटल माध्यम से करें, ताकि जवानों को किसी और काम पर लगाया जा सके। जनता से भी अपील है कि यदि कोई यातायात नियम तोड़ता दिखे तो ट्रैफिक आई से उसकी फोटो खींचकर हमें भेजें।

-दिन में यातायात पुलिस शहर में दिखती है, लेकिन रात के समय नदारद रहती है। जबकि, अधिकतर हादसे रात के समय ही होते हैं?

-ऐसा नहीं है। रात के समय शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। ओवर स्पीड वाहन चालकों के विरुद्ध की निरंतर कार्रवाई की जा रही है।

-हाईवे पर पेट्रोलिंग टीम कम ही नजर आती है। इस तरफ किसी का ध्यान क्यों नहीं है?

-हमने हाईवे पर पेट्रोलिंग ड्यूटी लगाई है। यदि पेट्रोलिंग टीम दिखती नहीं है तो यह गंभीर मामला है, इसकी जांच करवाई जाएगी।

-ब्लैक स्पाट के सुधार को सड़क सुरक्षा समिति की ओर दिए गए सुझावों पर किस तरह काम किया जा रहा है?

-सड़क सुरक्षा समिति की ओर से ब्लैक स्पाट को सुधारने के लिए जो सुझाव दिए जाते हैं, उन पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। जो भी कमियां हैं, उन्हें दूर किया जा रहा है।

-गुड सेमेरिटन (अच्छे नागरिक) योजना के तहत सड़क हादसों के घायलों की मदद करने पर जिला स्तर पर एक हजार से तीन हजार रुपये तक प्रोत्साहन राशि का प्रविधान किया गया है। इतनी धनराशि के लिए मददगार क्यों अपना नामांकन कराएगा?

-सड़क सुरक्षा फंड के तहत ऐसे मददगारों को 25 हजार रुपये तक पुरस्कार देने की योजना बनाई गई है। प्रदेश में अब तक आठ गुड सेमेरिटन को पुरस्कृत किया जा चुका है। सड़क हादसों के घायलों की मदद करने वालों को इसके अतिरिक्त भी समय-समय पर प्रोत्साहित किया जाएगा।


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