Road Safety With Jagran: अभी भी आंखों से जांची जाती है वाहनों की फिटनेस, सड़कों पर हैं 30 लाख से अधिक वाहन
कुछ समय पहले फिटनेस के लिए एम फिटनेस एप तैयार कर नई व्यवस्था अवश्य लागू की गई लेकिन इसमें बड़ी खामी यह कि एप कार्यालय परिसर से बाहर काम नहीं करता। ऐसे में प्राविधिक निरीक्षक (आरआई) अपनी नजरों व अनुभव के आधार पर ही वाहनों की फिटनेस जांच रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, देहरादून: Road Safety With Jagran सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम में महत्वपूर्ण कारक है वाहनों का एकदम फिट होना। इस दृष्टिकोण से देखें तो विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में वाहनों की फिटनेस के मामले में गंभीरता का अभाव दुर्घटनाओं को न्योता दे रहा है। इससे वाकिफ होने के बावजूद स्थिति ये है कि वाहनों की फिटनेस जांचने को बहुत पुख्ता व्यवस्था नहीं है।
नजरों व अनुभव के आधार पर ही जांच रहे वाहनों की फिटनेस
कुछ समय पहले फिटनेस के लिए एम फिटनेस एप तैयार कर नई व्यवस्था अवश्य लागू की गई, लेकिन इसमें बड़ी खामी यह कि एप कार्यालय परिसर से बाहर काम नहीं करता। ऐसे में प्राविधिक निरीक्षक (आरआई) अपनी नजरों व अनुभव के आधार पर ही वाहनों की फिटनेस जांच रहे हैं। यद्यपि, प्रदेश में वाहनों की फिटनेस जांचने को मैदानी जिलों में बनने वाले चार आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन में से दो इसी माह क्रियाशील हुए हैं, जबकि दो पर अभी काम होना शेष है। पर्वतीय जिलों में वाहनों की फिटनेस की जांच अभी भी अधिकारी आंखों से ही देखकर कर रहे हैं।
चारधाम यात्रा और पर्यटन के लिए आते हैं लाखों श्रद्धालु व सैलानी
केंद्र सरकार ने देशभर में वर्ष 2023 तक सभी वाहनों की जांच आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन से कराने का निर्णय लिया है, लेकिन प्रदेश में वाहनों की फिटनेस जांचने को अभी तक कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं हो पाई है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में हर साल चारधाम यात्रा और पर्यटन के लिए लाखों श्रद्धालु व सैलानी आते हैं। यात्रा के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में केवल वही वाहन संचालित हो सकते हैं, जिन्हें परिवहन कार्यालय ने फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किया हो।
परिवहन विभाग ने लागू की थी एम फिटनेस एप व्यवस्था
वर्ष 2020 में परिवहन विभाग ने एम फिटनेस एप व्यवस्था लागू की। इसके तहत एप में ही शामिल कैमरे के आप्शन से वाहनों की चार कोण से फोटो खींची जाती है। इसके बाद एप इसकी फिटनेस जांच कर देता है। यह एप अभी बहुत प्रभावी साबित नहीं हो रहा है। यहां तक कि अधिकांश कार्यालय इसका इस्तेमाल भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे में फिटनेस की जांच पुराने तरीके से ही हो रही है।
वाहनों की फिटनेस जांचने को प्रदेश में 2012 में आटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने की कवायद शुरू की गई थी। 10 साल बाद अब कहीं जाकर इनकी शुरुआत की गई है। हालांकि, अभी यहां वाहनों की फिटनेस जांच शुरू नहीं हो पाई है।
ऐसे होती है वाहनों की फिटनेस जांच
वाहनों की फिटनेस पहले हाथों द्वारा ही जांची जाती थी। नियम यह था कि वाहन को चलाकर और उपकरणों से इसकी मशीनरी जांचने के बाद प्रमाण पत्र जारी किया जाता था, लेकिन तब भी अधिकारी केवल गाड़ी स्टार्ट करने के बाद सरसरी नजर दौड़ा कर वाहनों की फिटनेस प्रमाणपत्र जारी कर देते थे।
पहाड़ में फिटनेस जांच की चुनौती
प्रदेश के पर्वतीय जिलों में वाहनों की फिटनेस जांचना एक बड़ी चुनौती है। यहां फिटनेस जांच अभी भी केवल आंखों से ही की जा रही है। यहां जमीन की कमी के कारण आटोमेटेड फिटनेस स्टेशन स्थापित नहीं हो पा रहे हैं। इसे देखते हुए अब मोबाइल आटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर बनाने की योजना बन रही है।
पुराने वाहन नहीं सुरक्षित
प्रदेश में इस समय 30 लाख से अधिक वाहन सड़कों पर हैं। इनमें 22 लाख दोपहिया वाहन और पांच लाख से अधिक कारें हैं। प्रदेश में सबसे अधिक दुर्घटनाएं कारों की होती हैं। देखा जाए तो इस समय प्रदेश में सबसे अधिक कारें, जो इस्तेमाल हो रही हैं वे छोटे व मध्यम स्तर की हैं। ये बहुत अधिक सुरक्षित नहीं कही जा सकतीं। कारण यह कि इनकी क्रैश टेस्ट रेटिंग काफी कम है। पुराने छोटे वाहनों में तो एयरबैग भी नहीं हैं। नए छोटे वाहनों में भी आगे ही दो सीटों में एयरबैग आ रहे हैं। एंटी ब्रेकिंग सिस्टम नए वाहनों में हैं लेकिन इनकी तुलना पुराने वाहनों के सापेक्ष काफी कम है।
सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े
जिला -दुर्घटना - मृतक - घायल
- देहरादून- 318 - 121 - 252
- यूएस नगर- 306 - 187 - 221
- हरिद्वार - 284 - 159 - 237
- नैनीताल - 184 - 80 -165
- टिहरी- 32 - 55 - 130
- उततरकाशी - 22 - 55 - 73
- चंपावत- 20 -28 - 35
- पौड़ी - 19 - 18 -34
- अल्मोड़ा - 09 -07 -25
- पिथौरागढ़ - 09 - 04 -06
- रुद्रप्रयाग - 07 - 06 -06
- चमोली - 06 -01- 06
- बागेश्वर - 03 - 01 - 04
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