Uttarakhand News: बरसात के बाद नए सिरे से होगी ब्लैक स्पाट व दुर्घटना संभावित स्थलों की पहचान, हादसों पर लगेगी रोक
देहरादून में बारिश के बाद सड़कों पर ब्लैक स्पॉट और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का नए सिरे से निरीक्षण किया जाएगा। परिवहन विभाग ने इन स्थलों के चिह्नीकरण के लिए मानक तय किए हैं जिनके अनुसार सड़कों को संवेदनशील और अतिसंवेदनशील श्रेणियों में बांटा जाएगा। मानसून से पहले ही कई क्षेत्रों को चिह्नित किया गया था लेकिन बारिश के कारण इनकी संख्या में वृद्धि होने की संभावना है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश में बरसात के बाद अब सड़कों में नए सिरे से ब्लैक स्पाट, अतिसंवेदनशील दुर्घटना संभावित स्थलों का निरीक्षण किया जाएगा। इन स्थलों के चिह्नीकरण के लिए परिवहन विभाग ने मानक तय किए हैं।
इन्हीं के आधार पर सड़कों को संवेदनशील से लेकर अतिसंवेदनशील की श्रेणी में लिया जाएगा। इस संबंध में परिवहन मुख्यालय ने सभी जिलों को पत्र भेजकर इन मानकों के अनुसार बरसात बाद सर्वे करने को कहा है।
प्रदेश में इस बार भारी वर्षा से मैदानी व पर्वतीय इलाकों में काफी नुकसान हुआ है। पर्वतीय मार्गों पर तो कई स्थानों पर सड़कें बह गई हैं। इस कारण मार्ग अभी भी बंद हैं। जिन स्थानों पर लगातार भूस्खलन हो रहा है, वे संवेदनशील दुर्घटना संभावित स्थलों के रूप में सामने आए हैं।
प्रदेश में मानसून से पहले तक 174 ब्लैक स्पाट, दुर्घटना के लिहाज से 600 से अधिक अतिसंवेदनशील क्षेत्र और 2500 से अधिक संवेदनशील चिह्नित किए गए हैं। इनको ठीक करने का सिलसिला लगातार जारी है। हलांकि, मानसून के चलते इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी होना तय माना जा रहा है।
अपर परिवहन आयुक्त एसके सिंह का कहना है कि सड़कों में संवेदनशील और अति संवेदनशील दुर्घटना संभावित स्थलों का नए मानकों के हिसाब से चिह्नीकरण किया जाना है।
ये मानक सड़क सुरक्षा समिति की लीड एजेंसी द्वारा बनाए गए हैं। बरसात के बाद सभी जिलों को इन मानकों के अनुसार सड़कों में दुर्घटना संभावित स्थलों का चिह्नीकरण करने को कहा गया है।
क्या होता है ब्लैक स्पाट
ब्लैक स्पाट ऐसे स्थान को कहते हैं जहां एक वर्ष में 500 मीटर के दायरे में पांच से अधिक दुर्घटनाएं अथवा 10 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हुई है।
क्या हैं संवेदनशील व अतिसंवेदनशील क्षेत्र के मानक
नए मानकों के अनुसार सड़क में दृष्यता, तीव्र मोड़, चौड़ाई, ढलान और बेरिकेडिंग की स्थिति के हिसाब से संवेदनशील व अतिसंवेदनशील क्षेत्रों का चिह्नीकरण किया जाएगा।
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