दून शहर की रातें बेखौफ, ‘थ्रिल’ और ‘लाइक्स’ की चाह में युवा कर रहे अपनी और दूसरों की जिंदगी से खिलवाड़
देहरादून में रात होते ही सड़कों पर तेज रफ्तार और नशे का चलन बढ़ गया है। युवा 'थ्रिल' और 'लाइक्स' के लिए खतरनाक स्टंट कर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। पुलिस सख्ती कर रही है, पर विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों और कॉलेजों में सड़क सुरक्षा क्लब बनाकर और परिवारों को जागरूक करके ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।

ओएनजीसी चौक का सड़क हादसा। जागरण आर्काइव
अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून: रात जैसे-जैसे गहराती है, वैसे-वैसे शहर की सड़कों पर रफ्तार और नशे का खुमार बढ़ने लगता है। खाली सड़कों पर बाइक और बेलगाम दौड़ती कार व जीप की गूंज, चमकती हेडलाइटें और साइलेंसर की चीख के कारण देहरादून की शांत रातें अब ‘नाइट राइडिंग’ और ‘स्टंट शो’ की शिकार हो चुकी हैं।
पुलिस की सख्ती और चालान के बावजूद युवा इस खतरे से खेलना नहीं छोड़ रहे। इंटरनेट मीडिया का ‘थ्रिल कल्चर’ और दोस्तों में ‘कूल’ दिखने की चाह अब शहर के ट्रैफिक सिस्टम को खुली चुनौती दे रही है। देहरादून की सुंदर, शांत रातों को अब रफ्तार और नशे का यह संगम निगल रहा है।
राजपुर रोड, आइएसबीटी-आशारोड़ी रोड, सहस्रधारा रोड, मसूरी डायवर्जन, चकराता रोड, कैंट रोड, रायपुर रोड जैसे इलाके रात 11 बजे के बाद रफ्तार के केंद्र बन जाते हैं। तेज गति से गुजरती कारें, हेलमेट के बिना स्टंट करती बाइकें और नशे में डूबे युवा, यह दृश्य अब आम हो गया है।
रात में अक्सर साइलेंसर की गड़गड़ाहट से शहरवासियों की नींद उड़ जाती है। बिगड़ैल युवाओं ये ‘थ्रिल’ कभी भी किसी निर्दोष राहगीर की जान ले सकता है। यही नहीं, रफ्तार के इन 'खिलाड़ियों' की खुद की जान पर खतरा बना रहता है।
देहरादून की सुकूनभरी रातें अब नशे और रफ्तार की गिरफ्त में हैं। थोड़े से ‘थ्रिल’ और कुछ ‘लाइक्स’ पाने की चाह में यह युवा खुद को और दूसरों को खतरे में डाल रहे हैं।
ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, गुजरे एक साल में 150 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं देर रात या सुबह-सवेरे के वक्त हुईं। इनमें से 70 प्रतिशत मामलों में तेज रफ्तार या नशा प्रमुख कारण रहा। शहर का शांत सौंदर्य अब रात के वक्त खतरनाक रेसिंग ट्रैक में बदल चुका है।
वीकेंड पर रहता है बुरा हाल
राजपुर रोड, आइएसबीटी, सहस्रधारा और मसूरी डायवर्जन आदि क्षेत्रों में हर वीकेंड रफ्तार का खेल होता है। दर्जनों बाइक और कारें बिना नंबर प्लेट या धुंधले शीशों के साथ स्टंट करती दिखती हैं।
दून पुलिस के अनुसार पिछले दो महीनों में 170 से अधिक चालान शराब पीकर वाहन चलाने और 147 मामले तेज रफ्तार के दर्ज किए गए हैं। फिर भी इंटरनेट मीडिया पर बने ‘नाइट राइड ग्रुप्स’ और ‘स्पीड किंग्स’ जैसे चैट फोरम हर हफ्ते नई रेस का प्लान बनाते हैं।
‘थ्रिल’ का नशा और इंटरनेट मीडिया की आग
मनोविज्ञानियों का कहना है कि युवाओं में रफ्तार का जुनून केवल रोमांच नहीं, बल्कि दिखावे की लत बन चुका है। मनोचिकित्सक डा. स्वाति मिश्रा का कहना है कि इंटरनेट मीडिया ने ‘डेयरिंग’ व ‘वायरल वीडियो’ की होड़ बढ़ा दी है।
एड्रेनलिन थ्रिल की तलाश अब खतरनाक मोड़ ले चुकी है। ‘स्पीड किंग्स’, ‘नाइट राइडर्स’ व ‘स्टंट ब्रदर्स’ जैसे नामों से बने आनलाइन ग्रुप नाइट राइडिंग की योजना बनाते हैं, लोकेशन शेयर करते हैं और वीडियो अपलोड कर दूसरों को आकर्षित करते हैं।
युवा चाहते हैं कि उनका वीडियो प्रसारित हो, उन्हें ‘डेयरिंग’ या फिर ‘कूल’ कहा जाए। यह आत्म-प्रदर्शन की प्रवृत्ति अब नशे के साथ मिलकर खतरनाक रूप ले रही है।
विशेषज्ञों की राय, सख्ती के साथ समझ जरूरी
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ देवेंद्र शाह (सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता लोनिवि) का कहना है कि 'केवल चालान से समस्या नहीं सुलझेगी। स्कूल एवं कालेजों में सड़क सुरक्षा क्लब, युवाओं के लिए वैकल्पिक एडवेंचर जोन और परामर्श सत्र शुरू करने होंगे।'
शाह मानते हैं कि यह सामाजिक बदलाव का मुद्दा है, जिसे सिर्फ पुलिस को नहीं, परिवारों और शिक्षण संस्थानों को मिलकर रोकना होगा। पुलिस की कार्रवाई जरूरी है, पर असली चुनौती युवा मानसिकता में बदलाव लाना है, क्योंकि जब रफ्तार नशा बन जाए, तो सड़कें खेल का मैदान नहीं, बल्कि मौत का रास्ता बन जाती हैं।
सख्ती के साथ संवेदनशीलता भी जरूरी
शिक्षा विशेषज्ञ व दून विवि की कुलपति डा. सुरेखा डंगवाल का मानना है कि सिर्फ चालान या गश्त से समाधान नहीं मिलेगा। स्कूल और कालेज स्तर पर ‘सड़क सुरक्षा क्लब’ बनने चाहिए। इन युवाओं को रफ्तार का रोमांच किसी सुरक्षित माध्यम, जैसे ट्रैक रेसिंग या आफरोड स्पोर्ट्स के जरिये दिशा दी जा सकती है।
साथ ही, परिवारों को भी बच्चों पर ध्यान देना होगा कि वे किस संगत और कंटेंट से प्रभावित हो रहे हैं। युवाओं के इस 'फैशन' को रोकना आसान नहीं। 'कानूनी डर से ज्यादा जरूरी है मानसिक बदलाव।'
पुलिस की सख्ती, फिर भी चुनौती बरकरार
एसपी ट्रैफिक लोकजीत सिंह के अनुसार पुलिस ने रात 10 बजे से सुबह चार बजे तक गश्त बढ़ाई है। शहर के मुख्य मार्गों पर सीसीटीवी निगरानी और बैरिकेडिंग की जा रही है। नशे में ड्राइविंग और स्टंट करने वालों पर तत्काल चालान व गिरफ्तारी की कार्रवाई हो रही है।
इंटरनेट मीडिया पर ऐसे ग्रुप्स की गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाई गई है। इस वर्ष पुलिस ने सितंबर तक 152441 वाहनों का चालान किया। इनमें 10475 सीज किए गए हैं। शराब पीकर वाहन चलाने में 499, खतरनाक तरीके से वाहन चलाने पर 393 व ओवरस्पीडिंग में 3145 वाहनों का चालान किया गया।

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