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    ऋषिकेश नगर निगम की बोर्ड बैठक में हंगामा, एजेंडी की कापी फाड़ कागज हवा में उछाले

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 05:19 PM (IST)

    ऋषिकेश नगर निगम की बोर्ड बैठक में पिछली बैठक के प्रस्तावों पर काम न होने से पार्षद भड़क गए। उन्होंने बोर्ड एजेंडे की कॉपी फाड़कर अधिकारियों के साथ तीखी बहस की। पार्षदों ने आरोप लगाया कि निरीक्षण के बाद भी काम नहीं हुए और जनता द्वारा नकार दिए गए लोगों को महत्व दिया जा रहा है। पार्षदों ने निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाए।

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    अधिकारियों के साथ भी कई बार पार्षदों की हुई तीखी नोकझोंक। जागरण

    जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। नगर निगम की बोर्ड बैठक शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया। पिछली बोर्ड बैठक के प्रस्तावों पर धरातल पर काम नहीं होने से नाराज कई पार्षदों ने बोर्ड एजेंडे की कापी फाड़कर हवा में उछाल दिया। अधिकारियों से कई बार पार्षदों की तीखी नोकझोंंक हुई। शाम तक पिछली बोर्ड बैठक पर ही चर्चा चलती रही।

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    नगर निगम की पिछली बोर्ड बैठक दस मार्च को हुई थी। दूसरी बोर्ड बैठक शुक्रवार को देहरादून रोड स्थित होटल अमेरिश के सभागार में हुई। बोर्ड बैठक में पहला प्रस्ताव महापौर शंभू पासवान की ओर से जीएसटी की नई दरों के बोर्ड के समर्थन का रखा गया था। जैसे ही अधिकारियों ने एजेंडे का पहला प्रस्ताव पढ़ना शुरू किया तो पार्षदों ने पिछली बोर्ड बैठक की कार्यवाही की पुष्टि करने की मांग की।

    पिछली बोर्ड बैठक में पारित हुए प्रस्ताव पर हुए कामों की जानकारी देने को कहा। अधिकांश प्रस्तावों पर अधिकारियों ने काम के गतिमान होने या टेंडर प्रक्रिया शुरू होने की बात कही। पार्षद देवेंद्र प्रजापति, राम कुमार संगर, चेतन चौहान, सत्या कपरुवाण, राजेंद्र बिष्ट, संजय बिष्ट, सरोजनी थपलियाल, भगवान सिंह पंवार आदि ने कहा कि कई बार निरीक्षण के बाद भी काम नहीं हो पाए। इस दौरान तनातनी इतनी बढ़ी कि कई पार्षदों ने बोर्ड एजेंडे की कापी फाड़कर दस्तावेज हवा में उड़ा दिए। उनकी अधिकारियों के साथ तनातनी और नोकझोंक की स्थिति बनी।

    महापौर शंभू पासवान और नगर आयुक्त गोपाल राम बिनवाल ने दखल दिया। महापौर ने कहा कि केवल सुनी-सुनाई बातों को नहीं कहना चाहिए। बहुत जगह काम हुए हैं। जिन पर काम नहीं हुआ है उस पर प्रक्रिया चल रही है। उसके बाद एक-एक वार्ड से पुराने प्रस्तावों पर चर्चा शुरू हुई। इस दौरान भी पार्षद निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाकर घेरते रहे। देर शाम तक नए प्रस्तावों पर चर्चा नहीं हो पाई थी।

    निरीक्षण तो हुआ, लेकिन काम नहीं हो पाया

    पार्षद राजेंद्र बिष्ट ने कहा कि सोलह वार्ड ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े हैं। इन वार्डों में पानी के बिल ज्यादा आने की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। उन्होंने इस संबंध में प्रस्ताव दिया था, उस पर निगम स्तर ये क्या हुआ यह बताया जाना चहिए। उन्होंने कहा कि महापौर उनके वार्ड में चार माह पहले निरीक्षण के लिए आए। लेकिन आम अब तक शुरू नहीं हो पाए। पार्षद वीरेंद्र रमोला ने कहा कि एक, दो नाली के काम होने को काम नहीं कहा जा सकता। बाहर का कोई व्यक्ति फोन कराकर काम करा ले और पार्षदों को पता न चले यह स्थिति खराब है।

    हारने वालों को तवज्जो देने पर उठाए सवाल

    पार्षद राम कुमार संगर ने कहा कि पार्षदों को विश्वास में लेकर काम किया जाना चाहिए। जिन लोगों को जनता नकार चुकी है उन्हें वार्डों में लाकर फोटो खिंचाई जा रही है। वार्डों में क्या काम हो रहे पार्षदों को जानकारी नहीं दी जा रही। उन्होंने कहा कि पिछली बोर्ड बैठक में सबने प्रस्ताव दिए। इस बोर्ड बैठक में तो कई भाजपा के पार्षदों ने भी प्रस्ताव नहीं दिए। पार्षदों की अवहेलना की जाएगी तो यही स्थिति रहेगी। कई और पार्षदों ने भी हार चुके लोगों को तवज्जो देने पर सवाल उठाए।

    पार्षदों में आपस में भी हुई तकरार

    कई बार पार्षदों की आपस में भी तकरार हो गई। पार्षद सुनीता भारद्वाज ने कहा कि कई बार पार्षद पति निगम में काम से जाते हैं। अगर वह किसी कागज पर साइन कराने जाते हैं तो काम होने चाहिए। लेकिन मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी जाती है। पार्षद सिमरन उप्पल ने कहा कि चुने हुए पार्षदों को ही निगम में काम कराने जाना चाहिए।

    इस पर उनके बीच तनातनी की स्थिति बन गई। नगर आयुक्त ने कहा कि किसी भी पार्षद पति को मुकदमा दर्ज करने की बात किसी ने नहीं की। लेकिन नियमानुसार पार्षद को ही काम कराने के लिए आना होता है। ऐसा नहीं होने पर सदस्यता भी जा सकती है। इसके बाद भी कई मुद्दों पर पार्षदों में आपस में बहस होती रही।

    बैठक लंबी चली तो कई पार्षद उठकर बाहर निकले

    शाम चार बजे तक वार्ड 28 तक के ही पुराने प्रस्तावों पर चर्चा हो पाई। निगम में चालीस वार्ड हैं। बोर्ड बैठक लगातार लंबी चलने के बाद कई पार्षद भी बैठक कक्ष से चले गए। शाम चार बजे तक गिने-चुने अधिकारी ही बैठक कक्ष में रह गए। सफाई आदि मुद्दों पर भी पार्षदों ने निगम को घेरा। नगर आयुक्त ने कहा कि पांच अक्टूबर के बाद कर्मचारियों की संख्या बढ़ जाएग। उसके बाद वार्डों में सफाई कर्मी बढ़ाए जाएंगे।