उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने बिजली उपभोक्ताओं को दी राहत, मिड टर्म खरीद को लेकर UPCL को दिए ये आदेश
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल की 500 मेगावाट मीडियम टर्म बिजली खरीद योजना पर सवाल उठाए हैं। आयोग ने कहा कि इस योजना से जुड़े किसी भी नुकसान का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। आयोग ने यूपीसीएल को मांग और आपूर्ति का सही आंकलन करने और अन्य विकल्पों पर विचार करने का निर्देश दिया है ताकि उपभोक्ताओं पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े।

आयोग ने कहा, यूपीसीएल को अपने पूर्वानुमानों पर पूरा भरोसा, निर्णय उचित या अनुचित आयोग नहीं कर सकता टिप्पणी. Concept Photo
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने कहा है कि यूपीसीएल द्वारा प्रस्तावित 500 मेगावाट की मीडियम टर्म बिजली खरीद की जिम्मेदारी पूरी तरह यूपीसीएल की होगी। आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस योजना से जुड़ी किसी भी अक्षमता या नुकसान का बोझ राज्य के बिजली उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता।
आयोग के अनुसार, 500 मेगावाट की मात्रा यूपीसीएल के सलाहकारों की सिफारिश पर तय की गई थी, जिसे यूपीसीएल ने मंज़ूरी दी। आयोग ने कहा कि यूपीसीएल ने अपने पूर्वानुमानों पर पूरा भरोसा जताया है और उन्हें बार-बार सार्वजनिक सुनवाई में दोहराया भी है।
आयोग के अनुसार यदि यूपीसीएल के अनुमान सही साबित होते हैं, तो उसे महंगी बिजली लेने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सकेगी। आयोग ने कहा कि फिलहाल वह 500 मेगावाट बिजली खरीद के उचित या अनुचित होने पर टिप्पणी नहीं कर रहा है। यह निर्णय यूपीसीएल के विवेक पर छोड़ा गया है, लेकिन शर्त यह है कि यूपीसीएल को आयोग की पिछली टिप्पणियों और दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। आयोग ने संकेत दिया कि अगर इसमें कोई गलती या अक्षम प्रबंधन होता है, तो उसका भार उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा।
- उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड की 500 मेगावाट की मीडियम टर्म बिजली खरीद योजना पर कई सवाल भी उठाए। आयोग ने कहा कि मीडियम टर्म खरीद के लिए बिजली खरीद, बैंकिंग नीति और बैटरी स्टोरेज जैसे विकल्पों की अनदेखी की गई है। यूपीसीएल ने मांग और आपूर्ति के आंकलन में भी चूक की है। आयोग ने कहा, इससे उपभोक्ताओं पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न बढ़े, इसका ध्यान रखा जाए।
- आयोग ने कहा, पावर खरीद पर विचार से पहले वास्तविक मांग, मौसमी उतार-चढ़ाव, और वैकल्पिक स्रोतों का गहराई से विश्लेषण करना चाहिए था।
- यूपीसीएल को बताया कि नवंबर से मार्च के बीच राज्य में बिजली अधिशेष रहेगा, जबकि गर्मी और मानसून के महीनों में कमी की संभावना है। आयोग ने पाया कि गर्मियों के महीनों में जब यूपीसीएल ने महंगी शार्ट टर्म पावर की मंज़ूरी मांगी थी, तब भी वास्तविक स्थिति में अतिरिक्त बिजली खरीद की ज़रूरत ही नहीं पड़ी।आयोग ने कहा कि जब मांग-आपूर्ति का पूर्वानुमान ही इतना अस्थिर है तो 500 मेगावाट की दीर्घकालिक खरीद का निर्णय जोखिम लेने जैसा है।
- आयोग ने कहा कि यूपीसीएल ने बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को अपनी योजना में शामिल नहीं किया। इसी तरह दो गैस आधारित संयंत्र एसईपीएल (214 मेगावाट) और गामा इंफ्रा (107 मेगावाट) को भी योजना से बाहर कर दिया, जबकि ये संयंत्र राज्य में मांग बढ़ने पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
महंंगी बिजली का विकल्प क्यों चुना
आयोग ने वर्ष 2024-25 में खरीदी गई बिजली का विश्लेषण कर कहा कि मीडियम टर्म खरीद की दर 6.61 प्रति यूनिट अन्य माध्यमों की अपेक्षा 2 रुपये महंगी है।
आयोग के निर्देश और शर्तें
- अधिशेष बिजली के सरेंडर पर प्रति यूनिट 3 रुपये तक की लागत उपभोक्ताओं पर नहीं डाली जाएगी।
- मीडियम टर्म अनुबंध की लागत तभी स्वीकृत होगी जब यूपीसीएल साबित करे कि यह निर्णय उपभोक्ता हित में है।
- प्रत्येक तिमाही में मीडियम टर्म बिजली की खरीद, शेड्यूलिंग और सरेंडर का विस्तृत रिकार्ड आयोग को देना होगा।
- भविष्य की योजना को आयोग के समक्ष याचिका के रूप में प्रस्तुत करना होगा, जिसे यूपीसीएल बोर्ड की स्वीकृति प्राप्त हो।

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