Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कृषि भूमि पर प्लाटिंग, सब रजिस्ट्रार आंख मूंदकर कर रहे रजिस्ट्री

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 04:54 PM (IST)

    उत्तराखंड में कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग को लेकर रेरा सख्त हो गया है। रेरा ने एमडीडीए समेत सभी विकास प्राधिकरणों से अवैध प्लाटिंग का ब्यौरा मांगा है। साथ ही कृषि भूमि पर बिजली-पानी जैसी सुविधाओं पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। रेरा ने रजिस्ट्री के दौरान लैंडयूज की जानकारी अनिवार्य करने का भी आदेश दिया है ताकि कृषि भूमि का दुरुपयोग रोका जा सके।

    Hero Image
    कृषि भूमि पर प्लाटिंग से संबंधित एक प्रकरण में रेरा के कड़े रुख के बाद लगी लगाम. File

    सुमन सेमवाल, देहरादून। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के वर्ष 2041 तक के प्रस्तावित मास्टर प्लान में आवासीय लैंडयूज का दायरा 58.43 प्रतिशत (मानक 36 से 39 प्रतिशत) पार कर गया है। यदि इसमें मिश्रित श्रेणी और नदी-नालों की भूमि पर पहले से किए गए निर्माण को जोड़ दिया जाए तो यह 80 प्रतिशत पहुंच जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्थिति यह है कि कृषि भूमि तक पर भवन खड़े किए जा रहे हैं। प्रापर्टी डीलर और बिल्डर धड़ल्ले से कृषि भूमि को चपेट में ले रहे हैं। कृषि भूमि पर ही प्लाटिंग के एक मामले में उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) ने कड़ा संज्ञान लिया है। संबंधित प्रकरण में रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल की सख्ती के बाद प्लाटिंग रोक दी गई है, लेकिन देहरादून समेत प्रदेशभर में कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग का गंभीर मर्ज भी उजागर हो गया।

    रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल ने पाया कि कृषि भूमि पर आवासीय भूखंडों की बिक्री का लेआउट पास नहीं किया जाता है। बावजूद इसके बड़ी आसानी से कृषि भूमि भोलेभाले व्यक्तियों को बेच दी जाती हैं। संबंधित सब रजिस्ट्रार भी आंख बंद कर कृषि भूमि के प्लाट की रजिस्ट्री कर देते हैं। उन्हें सिर्फ इस बात से मतलब रहता है कि सर्किल रेट अकर्षक श्रेणी का वसूल किया जाना है।

    रजिस्ट्री के दौरान दर्ज करना होगा लैंडयूज

    कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग पर अंकुश लगाने के लिए रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल ने आदेश दिया है कि रजिस्ट्री के दौरान सब रजिस्ट्रार विक्रेता से मास्टर प्लान के अनुरूप संबंधित भूमि के लैंडयूज (भू उपयोग) की प्रति अनिवार्य रूप से प्राप्त करेंगे।

    सेवा का अधिकार आयोग के अंतर्गत लैंडयूज की जानकारी संबंधित विकास प्राधिकरण से अधिकतम 10 दिन के भीतर प्राप्त की जा सकती है। वहीं, सब रजिस्ट्रार इस आशय का सूचना पट्ट भी कार्यालय में लगाएंगे प्रत्येक क्रेता मास्टर प्लान के अनुरूप भूमि का लैंडयूज क्रेता से अवश्य प्राप्त कर लें। यदि विक्रेता की ओर से संबंधित भूमि पर जेडएएलआर एक्ट की धारा 143 (आबादी) की कार्रवाई या भू उच्चीकरण कराया गया है तो उसकी सूचना भी सेल डीड (विक्रय विलेख) में दर्ज किया जाए।

    अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई की सूचना की जाए साझा

    रेरा ने सभी विकास प्राधिकरणों को आदेश दिया कि वह रेरा के नियमों के उल्लंघन के अंतर्गत यदि किसी अवैध प्लाटिंग को ध्वस्त करते हैं तो उसकी सूचना अनिवार्य रूप से रेरा को दी जाए। ताकि ऐसे मामलों में रेरा संबंधित भूखंडों की बिक्री पर रोक लगा सके। जब कृषि भूमि के प्लाट बिक ही नहीं पाएंगे तो स्वतः ही उन पर प्लाटिंग रुक जाएगी। स्पष्ट किया गया है कि 500 वर्गमीटर से अधिक एवं 08 यूनिट से अधिक का निर्माण किसी भूखंड पर किया जा रहा है तो उसका पंजीकरण रेरा में कराना अनिवार्य है। लिहाजा, इस से संबंधित मामलों की सूचना रेरा को दी जा सकती है।

    कृषि भूमि पर प्लाटिंग में न दी जाए बिजली-पानी की सुविधा

    उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी ने निर्देश दिए कि कृषि भूमि पर अवैध विकास को हतोत्साहित करने के लिए वहां बिजली, पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं को स्वीकृति न दी जाए।

    निबंधन विभाग दरकिनार करता रहा रेरा का आदेश

    रेरा के गठन के बाद से ही अवैध प्लाटिंग पर अंकुश लगाने के लिए जमीन की रजिस्ट्री पर रोक के आदेश सब रजिस्ट्रार कार्यालयों को भेजे जाते रहे हैं। लेकिन, आइजी स्टांप (निबंधन) से लेकर जिला प्रशासन और सब रजिस्ट्रार ऐसी भूमि पर रजिस्ट्री करते रहे हैं। हालांकि, जब से रेरा को सिविल कोर्ट की भांति शक्तियां प्राप्त हुई हैं, तब से अफसर आदेश मानने लगे हैं। हालांकि, यह अनुपालन स्वतः नहीं, बल्कि कार्यवाही के भय से किया जा रहा है।

    मुख्य सचिव को भेजी गई आदेश की प्रति

    कृषि भूमि को बचाने के व्यापक जनहित के प्रकरण को देखते हुए रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव को भेजी है। ताकि वह अपने स्तर से आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर सकें। इसके साथ ही यह आदेश आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को भी भेजा गया है।

    धर्मावाला में चल रही थी कृषि भूमि पर प्लाटिंग

    रेरा ने जिस प्रकरण के माध्यम से कृषि भूमि पर अवैध प्लाटिंग के खेल को पकड़ा, वह विकासनगर के धर्मावाला क्षेत्र का है। यहां शालिनी गुप्ता और सुधीर गुप्ता ने कृषि भूमि पर मानकों को ताक पर रखकर प्लाटिंग कर दी थी। हालांकि, भूस्वामियों ने न सिर्फ अपनी गलती स्वीकार की, बल्कि रेरा की ओर से लगाए गए दो लाख रुपए के जुर्माने को भी जमा कर दिया। साथ ही शपथ पत्र देकर भरोसा दिलाया गया है कि भू उपयोग परिवर्तन के बिना प्लाटिंग नहीं की जाएगी या सीधे बिना किसी विभाजन के कृषि भूमि उसी उपयोग के लिए विक्रय की जाएगी।