रेरा की अनदेखी प्रॉपर्टी डीलर पंजीकरण से दूर, धोखाधड़ी का बोलबाला
देहरादून में प्रॉपर्टी डीलर रियल एस्टेट एजेंट के रूप में पंजीकरण कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं जिससे धोखाधड़ी का खतरा बढ़ रहा है। रेरा में पंजीकृत एजेंटों की संख्या बहुत कम है जिससे संपत्ति खरीदारों के हितों की रक्षा मुश्किल हो रही है। कई प्रॉपर्टी डीलर कृषि भूमि बेच रहे हैं और जालसाज एक ही प्लाट को कई लोगों को बेच रहे हैं।

सुमन सेमवाल, देहरादून। जिलाधिकारी की जनसुनवाई में सर्वाधिक मामले जमीन धोखाधड़ी के सामने आ रहे हैं। दून में अरबों रुपए का रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा भी सामने आ चुका है। गली- मोहल्लों में प्रापर्टी डीलिंग के प्रतिष्ठान खुल चुके हैं। बावजूद इसके उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) में पंजीकृत रियल एस्टेट एजेंटों की संख्या 500 भी नहीं है।
एक माध्यम वर्गीय परिवार के लिए जमीन और घर का ख्वाब पूरा करना जीवनभर की उपलब्धि के समान होता है। एक सामान्य व्यक्ति जीवनभर की कमाई ख्वाबों के आशियाने की चाह में खपा देता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति जमीन धोखाधड़ी का शिकार हो जाए या भूमाफिया गिरोह के झांसे में आ जाए तो उसकी भरपाई शायद ही वह अपने जीवन में कर सके। ऐसे तमाम मामले भी सामने आ चुके हैं। चूंकि, संपत्ति की खरीदफरोख्त कराने वाला व्यक्ति या प्रतिष्ठान पंजीकृत नहीं होता है तो रेरा भी कुछ करने की स्थिति में नजर नहीं आता है।
आपराधिक मामलों में पुलिस या एसआइटी का साथ मिलता है, लेकिन अधिकतर मामलों को पुलिस सिविल प्रकृति का बताकर टरका देती है। देहरादून और अन्य मैदानी शहरों में जहां प्रापर्टी का धंधा जोरों पर रहता है, वहां भी पंजीकृत रियल एस्टेट एजेंटों की कमी गंभीर सवाल खड़े करती है। क्योंकि, जब तक प्रापर्टी का काम करने वाले व्यक्ति रेरा में पंजीकृत नहीं होंगे, तब तक भोलेभाले नागरिकों के हितों की रक्षा पुख्ता नहीं हो पाएगी।
धोखाधड़ी के ये मामले अधिक
- प्रापर्टी डीलर घर बनाने के लिए नागरिकों को कृषि भूखंड भी बेच रहे हैं। विकास प्राधिकरण ऐसी भूमि पर घर का नक्शा पास नहीं करते हैं।
- सरकारी भूखंड तक बेच दिए जाते हैं और लोग अपना सब कुछ लुटाकर दर-दर भटकने को विवश रहते हैं।
- जालसाज प्रापर्टी डीलर एक ही प्लाट को कई व्यक्तियों को बेच देते हैं।
- बैंक में बंधक संपत्ति को बेच दिए जाने की शिकायतें भी समाने आती हैं।
रेरा कब कसेगा नियमों का फेरा
रेरा के गठन का मुख्य उद्देश्य संपत्ति के खरीदारों के हितों की रक्षा करना है। इसके साथ ही धंधे से जुड़े बिल्डरों और रियल एस्टेट एजेंटों को नियमों का पाठ पढ़ाना भी है। इसी साल अप्रैल माह म आयोजित रेरा की कार्यशाला में तय किया गया था कि नियमों का पालन न करने वाले रियल एस्टेट एजेंटों और बिल्डरों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पंजीकरण न कराने की दशा में रियल एस्टेट एजेंटों पर प्रतिदिन 10 हजार रुपए की दर से जुर्माना (संपत्ति की कुल कीमत के 05 प्रतिशत तक) लगाने का निर्णय लिया गया था। हालांकि, अब तक ऐसी सख्ती धरातल पर नजर नहीं आ रही। रियल एस्टेट एजेंट पंजीकरण से दूर हैं और भूमाफिया प्रकृति के लोग संपत्ति की खरीद फरोख्त में खूब खेल कर रहे हैं।
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