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    स्कूली वाहन व चालक कैसा है..., अब आनलाइन दर्ज करें शिकायत, पैरेंट्स के लिए जरूरी खबर

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 05:16 PM (IST)

    देहरादून में स्कूली वाहनों की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए परिवहन विभाग ने ऑनलाइन लिंक तैयार किया है। अभिभावक अब वाहन की दशा चालक का व्यवहार सुरक्षा इंतजाम और मनमाने शुल्क जैसी शिकायतें सीधे विभाग को भेज सकेंगे। यह कदम दुर्घटनाओं और छेड़छाड़ जैसे मामलों को रोकने के लिए उठाया गया है। अभिभावकों को जीपीएस एक्सेस देना अनिवार्य किया गया है।

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    स्कूली वाहनों की बढ़ती शिकायतों पर परिवहन विभाग ने तैयार किया आनलाइन लिंक. Concept Photo

    अंकुर अग्रवाल, जागरण  देहरादून। स्कूली वाहन कैसा है। मसलन, उसकी दशा कैसी है, साफ-सफाई है या नहीं, सुरक्षा के इंतजाम हैं या नहीं, चालक का व्यवहार कैसा है, वाहन में जीपीएस लगा हुआ है या नहीं और बस में परिचालक है या नहीं, जैसी शिकायत अब अभिभावक परिवहन विभाग को सीधे आनलाइन भेज सकेंगे।

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    परिवहन विभाग ऐसा लिंक तैयार कर रहा है, जिसमें अभिभावकों से स्कूली वाहन (बस, वैन, आटो व विक्रम) का फीडबैक लिया जाएगा। विभाग के लिंक पर आनलाइन फीडबैक फार्म उपलब्ध कराया जाएगा। मनमाने शुल्क से जुड़ी शिकायत भी इस फार्म में दिए गए विकल्प पर दर्ज की जा सकेगी।

    आरटीओ (प्रशासन) संदीप सैनी ने बताया कि लिंक तैयार कर लिया गया है और इसका ट्रायल किया जा रहा। इसके बाद इसे जनता के लिए सार्वजनिक किया जाएगा। स्कूली वाहनों से होने वाली दुर्घटना और छेड़छाड़ जैसे मामलों पर रोक लगाने की दिशा में यह कदम उठाया जा रहा है।

    दून में स्कूल वैन व बस में छात्राओं से छेड़छाड़ के मामले अकसर सामने आते रहते हैं। पिछले साल पटेलनगर में भी एक स्कूल वैन चालक ने छात्रा को अपने बगल वाली सीट पर बैठाया और उससे छेड़छाड़ की थी। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर चालक को जेल भेज दिया था, लेकिन इस तरह की घटनाओं की आशंका लगातार बनी रहती है।

    चालक के केबिन में छात्राओं को बैठाने पर रोक

    वहीं, स्कूली वाहनों के बेलगाम गति से चलने और दुर्घटना के मामले भी सामने आते रहते हैं। पिछले वर्ष परिवहन विभाग ने स्कूल वैन का सेफ्टी आडिट भी किया था। इसके साथ ही परिवहन विभाग ने वैन में चालक के केबिन में छात्राओं को बैठाने पर रोक लगा दी थी।

    अगर चालक केबिन में छात्रा को बैठाया गया तो वैन सीधे सीज करने के आदेश हैं। अगर वैन में केवल छात्राएं ही होंगी तो वैन केबिन में चालक व यात्री सीट के बीच में लोहे की जाली लगाकर विभाजन अनिवार्य है, लेकिन वैन संचालक अब फिर नियम तोड़ने लगे हैं।

    वैन संचालक अपने चालकों का पुलिस सत्यापन तक नहीं करा रहे। ऐसे में अब अभिभावक खुद स्कूली वाहन व चालक के बारे में परिवहन विभाग को आनलाइन शिकायत भेज सकेंगे। अभिभावकों को जीपीएस एक्सेस देना अनिवार्य आरटीओ ने बताया कि सभी यात्री वाहनों में जीपीएस अनिवार्य है।

    ऐसे में स्कूल बस या वैन संचालकों को उन सभी अभिभावकों को जीपीएस का एक्सेस देना अनिवार्य है, जिनके बच्चे संबंधित बस या वैन में यात्रा करते हैं। यदि किसी अभिभावक के पास जीपीएस का एक्सेस नहीं है तो वह इसकी शिकायत भी दर्ज करा सकेंगे।

    चालकों की होगी काउंसलिंग, पुलिस करेगी जांच

    आरटीओ ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्कूली वाहनों के चालकों का पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर चरित्र सत्यापन अभियान चलाया जाएगा। जिसमें चालक के ड्राइविंग लाइसेंस व आधार कार्ड की पुलिस की ओर से जांच की जाएगी।

    परिवहन विभाग की ओर से स्कूली वाहनों के चालकों के लिए काउंसलिंग कार्यक्रम भी रखा जाएगा। जिसमें चालकों को सुरक्षा से संबंधित नियमों, बाल मनोविज्ञान, बच्चों के साथ उचित व्यवहार व संवाद, गुड टच-बैड टच आदि के बारे में विशेषज्ञों की ओर से जानकारी दी जाएगी।

    अभिभावकों से भी की अपील

    आरटीओ संदीप सैनी ने छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से भी अपील की है कि वह स्कूल वैन व बस चालक व स्वामी के बारे में पूरी जानकारी अपने पास अवश्य रखें। समय-समय पर बच्चों से वाहन चालक के व्यवहार के बारे में जानकारी लेते रहें।

    स्कूली वाहन व चालकों के लिए गाइड-लाइन

    • स्कूली वाहन के बाहर वाहन स्वामी व चालक का नाम व मोबाइल नंबर अंकित होना चाहिए।
    • वाहन में सभी छात्र-छात्राओं के नाम, अभिभावक का नाम-पता व मोबइल नंबर की सूची होनी होगी।
    • स्कूली वाहन में जाने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावक, चालक व वाहन स्वामी का एक वाट्सएप ग्रुप बनाना अनिवार्य।
    • वाहन संचालक बार-बार चालक नहीं बदल सकते।
    • वाहन स्वामी अपने स्तर से भी चालक का आवश्यक सत्यापन कराएगा।
    • चालक के आधार कार्ड व ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति संचालक के पास होना अनिवार्य।
    • बस व वैन की खिड़कियों पर लोहे की राड लगी होना अनिवार्य। वाहन में मेडिकल किट रखना अनिवार्य।
    • स्कूली वाहन में जीपीएस लगा होना अनिवार्य। छात्राओं की बस में महिला परिचारक भी होनी चाहिए।

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