Dehradun News: 72 घंटे अकेले ही चीनी फौज से लड़ा यह योद्धा, पुण्यतिथि पर बलिदानी जसवंत सिंह रावत को किया नमन
देहरादून में बलिदानी जसवंत सिंह रावत की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। 1962 के भारत-चीन युद्ध में उनके अद्वितीय साहस को याद किया गया। सैन्य अधिकारियों, क्षेत्रवासियों और परिवारजनों ने स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। लेफ्टिनेंट जनरल संजीव आनंद (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जसवंत सिंह रावत का बलिदान प्रेरणादायक है।

बलिदानी जसवंत सिंह रावत की पुण्यतिथि पर क्लेमेनटाउन मछली तालाब स्थित स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करते क्लेमेनटाउन रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी से जुड़े पदाधिकारी व स्वजन। जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून: वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में अदम्य साहस दिखाने वाले महावीर चक्र से सम्मानित बलिदानी जसवंत सिंह रावत को आज भी देश गर्व के साथ याद करता है। उनकी वीर गाथा को नमन करने के लिए सोमवार को क्लेमेनटाउन स्थित मछली तालाब के निकट शहीद जसवंत सिंह रावत स्मारक पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जिसमें सैन्य अधिकारी, क्षेत्रवासी और स्वजन शामिल हुए। बलिदानी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत उनके भाई विजय सिंह रावत और बहू मधु रावत द्वारा स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने और दीप प्रज्वलन से हुई। दीपों की रोशनी में जैसे बलिदानी की शौर्य गाथा फिर से जीवंत हो उठी और वातावरण में देशभक्ति की भावना गहरी होती चली गई।
मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल संजीव आनंद (सेनि) ने कहा कि 1962 का भारत-चीन युद्ध कठिन परिस्थितियों में लड़ा गया था। लेकिन जसवंत जैसे वीर सैनिकों ने दिखा दिया कि भारतीय सेना पीछे हटना नहीं जानती।
आज का भारत और उसकी सेना हर चुनौती का डटकर सामना करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि बलिदानी जसवंत सिंह रावत का त्याग आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहेगा।
क्लेमेनटाउन रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के संरक्षक महेश पांडे ने कहा कि बलिदानियों की शौर्यगाथाएं केवल इतिहास की घटनाएं नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं।
उन्होंने कहा कि जब हम इन वीरों को याद करते हैं, तो हम युवाओं के भीतर देशभक्ति की लौ जलाते हैं।
कार्यक्रम में बलिदानी के स्वजन, कर्नल हीरामणि बर्थवाल, कर्नल सुरेश वालिया, कर्नल वाइपी कोरा, वेलमेड अस्पताल के सीईओ कर्नल निशित ठाकुर, आरपी भट्ट, शिव कुमार गोयल, पुष्कर सामंत, आरके गुप्ता, धर्मवीर सिंह, नवीन तिवारी, मनोज सिंह, पीपी सिंह, लक्ष्मण रावत, दर्शनलाल बडोला, डीपी बडोनी, विनोद राई, विकास राई, प्रेम सिंह बडोला, डा. राजेश मोहन, रामबीर, उमराव सिंह गोसाईं आदि उपस्थित रहे।
यह भी पढ़ें- भारत-चीन युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करते हुए बलिदान, गढ़वाल रेजिमेंट ने पहली बार दिया ‘गार्ड आफ आनर’
यह भी पढ़ें- 1962 में भारत-चीन युद्ध में दुश्मन से लोहा लेते हुए दी प्राणों की आहुति, बलिदान के 63 साल बाद मिलेगा सम्मान
यह भी पढ़ें- पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे बोले, आधुनिक युद्ध व सुरक्षा की चुनौतियों के लिए तकनीक को अपनाना जरूरी

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।