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    उत्तराखंड में आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर लटकी तलवार

    By BhanuEdited By:
    Updated: Sun, 09 Apr 2017 06:00 AM (IST)

    उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर व संघटक कॉलेजों की मान्यता खतरे में है। शिक्षकों का तय मानक पूरा करने के लिए यहां प्रदेशभर से 45 आयुर्वेद चिकित्सक अटैच किए गए थे।

    उत्तराखंड में आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता पर लटकी तलवार

    देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर व संघटक कॉलेजों की मान्यता खतरे में पड़ गई है। शिक्षकों का तय मानक पूरा करने के लिए यहां प्रदेशभर से 45 आयुर्वेद चिकित्सक अटैच किए गए थे। इनकी संबद्धता शासन ने समाप्त कर उन्हें मूल तैनाती पर भेजने के आदेश दिए हैं। जबकि कुछ ही वक्त में सीसीआइएम का निरीक्षण होना है। 

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    मान्यता के फेर में विश्वविद्यालय वर्ष 2013 से यह खेल कर रहा है। इस वक्त भी तकरीबन 45 चिकित्साधिकारी आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर, ऋषिकुल व गुरुकुल महाविद्यालय में अटैच हैं। इनमें टिहरी, चंपावत, बागेश्वर, नैनीताल और पौड़ी जैसे जिलों के चिकित्साधिकारी शामिल हैं। 

    यह सभी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक सीसीआइएम के निरीक्षण के वक्त हर बार इसी तरह चिकित्साधिकारियों को विश्वविद्यालय से अटैच कर मान्यता बरकरार रखने का कार्य किया जाता रहा है। 

    अगले सत्र के लिए भी इन्हें फैकल्टी दिखाया गया है। इनसे एक वर्ष के लिए फैकल्टी के तौर पर काम करने का शपथ पत्र भी भरवाया गया। इसी आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने सीसीआइएम में शपथ पत्र दिया है। 

    अब मुश्किल यह है कि शासन ने इन चिकित्सकों की संबद्धता समाप्त कर दी है। आयुष एवं आयुष शिक्षा सचिव हरवंश चुग ने इस बावत आदेश जारी कर दिया है। यदि इन्हें कार्यमुक्त किया गया तो न सिर्फ पठन-पाठन प्रभावित होगा, बल्कि निकट भविष्य में मान्यता पर भी संकट आन पड़ेगा। 

    बताया गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने सीसीआइएम में जो शपथ पत्र दिया है, उसी आधार पर फैकल्टी को सत्यापित किया जाता है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने गत वर्ष शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति निकाली थी, लेकिन किन्हीं कारणों से इसे दो बार निरस्त करना पड़ा। अब देखना यह होगा कि इस चुनौती से विश्वविद्यालय कैसे पार पाता है। 

    आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव के मुताबिक डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर व संघटक कॉलेजों में संबद्ध चिकित्साधिकारियों की संबद्धता शासन ने समाप्त कर दी है। इससे जो कठिनाई होगी उस विषय में शासन को अवगत करा दिया है। इसके अलावा रिक्त पदों पर भर्ती को भी जल्द कोई निर्णय लिया जाएगा। 

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