गढ़वाल आयुक्त रविनाथ रमन को चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सीईओ का जिम्मा
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सीईओ यानी मुख्य कार्यकारी अधिकारी की तैनाती कर दी गई है। यह जिम्मा आयुक्त गढ़वाल मंडल रविनाथ रमन को सौंपा गया है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर हक हकूकधारियोंके विरोध के बीच सरकार ने इसके गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस क्रम में सबसे पहले बोर्ड के सीईओ, यानी मुख्य कार्यकारी अधिकारी की तैनाती कर दी गई है। यह जिम्मा आयुक्त, गढ़वाल मंडल रविनाथ रमन को सौंपा गया है। अब जल्द ही इसमें अन्य सदस्यों की भी नियुक्ति की जाएगी।
प्रदेश सरकार ने बीते वर्ष विधानसभा में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के गठन के लिए विधेयक पारित किया था। इस विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के बाद इस दिशा में अब सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। इसकी शुरुआत मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति से हुई है। बोर्ड में इसके बाद पदेन सदस्यों को तैनात किया जाएगा। बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं। संस्कृति मामलों के मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव वित्त व संस्कृति विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर तक के अधिकारी को पदेन सदस्य बनाया जाएगा। इसके अलावा इसमें बोर्ड में टिहरी रियासत के राजपरिवार के सदस्य, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले तीन सांसद, हिंदू धर्म का अनुसरण करने वाले छह विधायक, राज्य सरकार द्वारा चार दानदाता, हिंदू धर्म के धार्मिक मामलों का अनुभव रखने वाला व्यक्ति, पुजारियों, वंशानुगत पुजारियों के तीन प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि अभी बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति की गई है। जल्द ही पदेन सदस्यों की नियुक्ति भी कर दी जाएगी। नामित सदस्यों की तैनाती सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार होगी।
देवस्थानम अधिनियम के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे सुब्रमण्यम स्वामी
प्रदेश सरकार के देवस्थानम एक्ट के विरोध में भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी हाई कोर्ट पहुंच गए। उन्होंने एक्ट को असंवैधानिक और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करार देते हुए निरस्त करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की। स्वामी के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में याचिका पर सुनवाई होगी। नैनीताल स्थित होटल में पत्रकारों से बातचीत में स्वामी ने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। वित्तीय गड़बड़ी होने पर सरकार अल्पकालिक प्रबंधन ले सकती है मगर सुधार के बाद सरकार को प्रबंधन सौंपना होगा। उन्होंने साफ कहा कि मंदिर का संचालन सरकार का काम नहीं, बल्कि भक्त व हक हकूकधारियों का है।

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