Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Rajaji National Park: राजाजी पार्क में 45 साल बाद दिखा ये दुर्लभ वन्य जीव, नाइट विजन कैमरे में हुआ कैद:

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Sun, 22 Aug 2021 08:23 AM (IST)

    राजाजी नेशनल पार्क में 45 साल बाद दुर्लभ इंडियन वुल्फ दिखाई दिया। राजाजी में लगे नाइट विजन कैमरे (Night Vision Camera) में वुल्फ की तस्वीर कैद हुई है जिसके बाद पार्क प्रशासन ने अन्य वुल्फ की भी तलाश शुरू कर दी है।

    Hero Image
    राजाजी पार्क में 45 साल बाद दिखा ये दुर्लभ वन्य जीव, नाइट विजन कैमरे में हुआ कैद।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। Rajaji National Park राजाजी राष्ट्रीय उद्यान (Rajaji National Park) में करीब 45 साल बाद इंडियन वुल्फ (Indian Wolf) को देखा गया। राजाजी में लगे नाइट विजन कैमरे (Night Vision Camera) में वुल्फ की तस्वीर कैद हुई है, जिसके बाद पार्क प्रशासन ने अन्य वुल्फ की भी तलाश शुरू कर दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि करीब 50 साल पहले सहारनपुर, हरिद्वार और बिजनौर के जंगलों में इंडियन वुल्फ बहुतायत में पाए जाते थे। इसके बाद इनकी संख्या घटने लगी। बीते 45 साल में इन्हें यहां नहीं देखा गया था। हालांकि घने जंगलों में छिपकर रहने वाले यह जीव आसानी से नजर नहीं आते।

    राजाजी पार्क में वन्यजीवों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए बड़ी संख्या में कैमरे लगाए जा रहे हैं। इनमें तीन नाइट विजन वाले कैमरे भी शामिल हैं। ऐसे में इंडियन वुल्फ की तस्वीर कैमरे में कैद होना जैव विविधता के लिहाज से अच्छा संकेत है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में मादा वुल्फ को भी तलाशा जा रहा है।

    इंडियन वुल्फ को हिंदी में भारतीय भेड़िया कहते हैं। यह आमतौर पर भारत के मैदानी इलाकों और पश्चिमी एशिया में पाए जाते हैं। यह हिमालयी भेड़िये और अरब भेड़िये के बीच की प्रजाति है। आमतौर पर यह टोलियों में विचरण करते हैं। यह अन्य भेड़ियों की तुलना में कम ऊंची आवाज में रंभाता है।

    अल्मोड़ा में दिखी कश्मीरी स्माल फ्लाइंग स्क्वैरल

    हाल ही में अल्मोड़ा के रानीखेत में कश्मीरी स्माल फ्लाइंग स्क्वैरल यानी उड़न गिलहरी दिखाई दी। ये देश में दुर्लभ स्थिति में पहुंच चुकी है। इस वन अनुसंधान की टीम ने कैमरे में कैद किया है। रानीखेत के जंगल में शोध के दौरान जूनियर रिसर्च फैलो (जेआरएफ) ज्योति प्रकाश जोशी की नजर गिलहरी पर पड़ी। अन्य उड़न गिलहरी के मुकाबले इसका आकार काफी छोटा है। कश्मीर के अलावा यह शिमला में भी नजर आ चुकी है। 1997 में भी इसे रानीखेत में देखने का दावा किया गया था, लेकिन फोटो प्रमाण नहीं होने के कारण विभाग रिकॉर्ड में शामिल नहीं कर सका।

    यह भी पढ़ें- यहां पहली बार दिखी उड़न गिलहरी, सिर्फ रात में नजर आता है ये नन्हा जीव; विलुप्ति की कगार पर