देहरादून के राजपुर में रामलीला का मंचन शुरू, नटी सूत्रधार, नारद मोह का किया मंचन
देहरादून में विभिन्न जगह रामलीला का मंचन शुरू हो गया है। राजपुर में श्री आदर्श रामलीला सभा की ओर से रामलीला का मंचन शुरू हो गया। वहीं पर्वतीय रमलीला ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, देहरादून। श्री आदर्श रामलीला सभा की ओर से राजपुर में रामलीला का मंचन शुरू हो गया। पहले दिन नटी सूत्रधार, नारद मोह, रावण का कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास करना और चारों भाइयों के जन्म का मंचन किया गया। रामलीला की शुरुआत उत्तरांचल आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के संस्थापक और निदेशक लायन डा. अश्विनी कांबोज ने किया। प्रधान योगेश अग्रवाल ने बताया कि इस बार कोरोना गाइडलाइन का पालन और भक्तों की आस्था को देखते हुए मंचन किया जा रहा है। इस मौके पर कमेटी के संरक्षक विजय कुमार जैन, जय भगवान, मंत्री अजय गोयल, वेद प्रकाश साहू आदि मौजूद रहे।
ताड़का का हुआ अंत तो श्रीराम के जयकारों से गूंजा पांडाल
पर्वतीय रमलीला कमेटी की ओर से रामलीला मंचन के दूसरे दिन विश्वमित्र की ओर से राम लक्ष्मण याचना, ताड़का वध आदि दृश्य दर्शाए गए। भीषण युद्ध में ताड़का का अंत हुआ तो भक्तों ने प्रभु श्रीराम के जयकारे लगाए। देहरादून के धर्मपुर स्थित श्री रवि मित्तल मेमोरियल पब्लिक एकेडमी में चल रही रामलीला के दूसरे दिन क्षेत्रीय विधायक विनोद चमोली मुख्य अतिथि रहे। रामलीला मंच के क्रम में वन में असुरों के अत्याचार से त्रस्त महर्षि विश्वमित्र राजा दशराथ से राम, लक्ष्मण की सेवा मांगने जाते हैं। इसके बाद राम, लक्ष्मण असुरों का संहार करते हैं और ताड़का को मारकर अपने गुरु के यज्ञ की रक्षा करते हैं। इसके बाद सुबाहु वध का मंचन किया गया। दशरथ की भूमिका कैलाश पांडेय, विश्वमित्र हरीश पांडेय, जनक का पात्र हरिसुमन बिष्ट ने निभाया।
विद्यार्थी और तपस्वियों के मनोरथ पूर्ण करती हैं मां ब्रह्मचारिणी
विकासनगर के पछवादून में शुक्रवार को घरों और मंदिरों में शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की गई। मां का भक्तों ने दुर्गा सप्तसती के दूसरे अध्याय का पाठ कर गुणगान किया। मान्यता है कि मां ब्रह्चारिणी की उपासना विद्यार्थी और तपस्वियों के लिए बहुत ही शुभ फलदायी है। मंदिरों में भजन कीर्तन चलने से वातावरण देवीमय रहा।
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी मां ब्रह्मचारिणी का नाम कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण पड़ा। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिमय व अत्यंत भव्य है। इनके दाएं हाथ में जप की माला व बाएं हाथ में कमंडल रहता है। मां का यह स्वरूप भक्तों व सिद्धों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
जीवन के कठिन समय में भी साधक का मन विचलित नहीं होता। मां की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि व विजय प्राप्त होती है। देवी मां की कृपा से मनुष्य सदैव कर्मपथ पर आगे बढ़ता रहता है। शारदीय नवरात्र पर पछवादून के बाड़वाला, डाकपत्थर, विकासनगर, हरबर्टपुर, सहसपुर, सेलाकुई, झाझरा में मंदिरों में भजन कीर्तन चलते रहे। शारदीय नवरात्र पर शादी के मुहूर्त होने के कारण बाजार में भी रौनक बढ़ गई है।

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