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    राजनाथ सिंह ने बताया- अभी तक बॉर्डर पर क्यों नहीं हुए थे विकास कार्य, पूर्व सरकारों पर गरजे; कहा- अब हमने बदली स्थिति

    By Devendra rawat Edited By: Aysha Sheikh
    Updated: Sat, 20 Jan 2024 09:02 AM (IST)

    Rajnath Singh रक्षामंत्री शुक्रवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में सीमांत क्षेत्र जोशीमठ स्थित ढाक में थे। यहां से उन्होंने चीन सीमा को जोड़ने वाले जोशीमठ-मलारी मार्ग पर हाल ही में तैयार ढाक व भापकुंड पुल और सुमना-रिमखिम मोटर मार्ग पर बने रिमखिम गाड पुल समेत 35 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया। रक्षामंत्री के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और गढ़वाल सांसद तीर्थ सिंह रावत भी मौजूद रहे।

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    राजनाथ सिंह ने बताया- अभी तक बॉर्डर पर क्यों नहीं हुए थे विकास कार्य, पूर्व सरकारों पर गरजे

    संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों को मुख्यधारा का हिस्सा मानती है न कि बफर जोन। एक समय था, जब सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। तब की सरकारें इस मानसिकता के साथ काम करती थीं कि मैदानी इलाकों में रहने वाले ही मुख्यधारा के लोग हैं। उन्हें चिंता थी कि सीमा पर घटनाक्रम का इस्तेमाल दुश्मन कर सकता है।

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    इसी संकीर्ण मानसिकता के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों तक विकास नहीं पहुंच सका। अब स्थिति बदल गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। रक्षामंत्री ने यह भी कहा कि सीमाओं की रक्षा के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा और इसमें सबका सहयोग भी मिल रहा है।

    रक्षामंत्री शुक्रवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में सीमांत क्षेत्र जोशीमठ स्थित ढाक में थे। यहां से उन्होंने चीन सीमा को जोड़ने वाले जोशीमठ-मलारी मार्ग पर हाल ही में तैयार ढाक व भापकुंड पुल और सुमना-रिमखिम मोटर मार्ग पर बने रिमखिम गाड पुल समेत 35 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण किया।

    इसमें उत्तराखंड समेत सात राज्यों के 29 पुल और छह सड़कें शामिल हैं। सीमांत क्षेत्रों में सुगम आवागमन, रक्षा तैयारी और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 669.69 करोड़ की लागत से बनी इन परियोजनाओं को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने तैयार किया है। रक्षामंत्री के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और गढ़वाल सांसद तीर्थ सिंह रावत भी मौजूद रहे।

    बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बीआरओ की सराहना

    इस अवसर पर रक्षामंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बीआरओ की जमकर सराहना की। साथ ही संगठन का पर्यावरण के अनुकूल अधिकतम राष्ट्रीय सुरक्षा और कल्याण के मंत्र के साथ काम करने का आह्वान भी किया। कहा कि बीआरओ सड़क, पुल आदि का निर्माण करके दूरदराज के इलाकों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ रहा है।

    साथ ही दूरदराज के गांवों में रहने वाले लोगों के दिलों को बाकी नागरिकों के दिलों से जोड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सीमांत क्षेत्र की परियोजनाओं को समय पर पूरा करना संगठन की प्रतिबद्धता के कारण संभव हुआ है। बीआरओ के हित में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने सशस्त्र बलों के बराबर बीआरओ के स्थायी नागरिक कर्मियों के लिए जोखिम और कठिनाई भत्ता सुनिश्चित किया है।

    श्रमिकों का अनुग्रह मुआवजा दो लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया गया है। हाल ही में सीपीएल के लिए 10 लाख रुपये के बीमा प्रविधान को मंजूरी दी गई। ये कदम सशस्त्र बलों के कर्मियों, नागरिक कर्मचारियों और बीआरओ में सीपीएल के मनोबल को बढ़ाने में मदद करेंगे। इस दौरान रक्षामंत्री ने बीआरओ के जवानों से मिलकर उनका मनोबल भी बढ़ाया। उन्होंने उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने में बीआरओ के योगदान का विशेषतौर पर उल्लेख किया।

    आलवेदर रोड जैसी योजनाएं सुरक्षा की दृष्टि से भी अहम: धामी

    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राज्य के सामरिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व को समझते हुए बड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू किया गया है। चारधाम आलवेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन, सीमांत क्षेत्र विकास परियोजना और पर्वतमाला जैसी योजनाएं विकास के साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।