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छात्रवृत्ति घोटालाः शंखधर प्रकरण में निदेशालय की भूमिका पर सवाल

करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप से घिरे जनजाति निदेशालय के उप निदेशक अनुराग शंखधर मामले में निदेशालय की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 01:29 PM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 01:29 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटालाः शंखधर प्रकरण में निदेशालय की भूमिका पर सवाल
छात्रवृत्ति घोटालाः शंखधर प्रकरण में निदेशालय की भूमिका पर सवाल

देहरादून, जेएनएन। करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप से घिरे जनजाति निदेशालय के उप निदेशक अनुराग शंखधर मामले में निदेशालय की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव में 40 दिन की छुट्टी और 20 दिन से ज्यादा अनुपस्थिति पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि शासन को भेजे गए पत्र में निलंबन की संस्तुति तक नहीं दी गई। इससे जिम्मेदार अधिकारियों पर सवाल उठने लगे हैं। 

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देहरादून और हरिद्वार जिले में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए उप निदेशक अनुराग शंखधर के खिलाफ एसआइटी ने गबन और भ्रष्टाचार में मुकदमा दर्ज किया है। शंखधर की भूमिका घोटाले में तय होने के बाद एसआइटी ने पेश होने के लिए नोटिस जारी किए थे। 

इसी बीच आरोपी ने निदेशालय से गुपचुप तरीके से 40 दिन की छुट्टी ले ली। 20 अप्रैल तक छुट्टी पर चल रहे शंखधर जब दफ्तर नहीं लौटे तो सवाल उठने लगे। इसके बाद निदेशालय ने शंखधर को उपस्थित होने के लिए पत्र भेजा। एक सप्ताह बाद भी शंखधर नहीं आए तो शासन को अनुपस्थित होने की सूचना भेजी गई। 

नियमानुसार निदेशालय स्तर पर अनुपस्थित रहने के लिए कार्रवाई की संस्तुति की जानी थी, लेकिन कुछ अफसरों ने जिम्मेदारी के नाम पर औपचारिकता भर निभाई। 

जुटाए जा रहे हैं सबूत 

डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार के अनुसार, छात्रवृत्ति प्रकरण में एसआइटी की जांच जारी है। हरिद्वार के कॉलेजों के बाद दून के कॉलेजों का सत्यापन किया जा रहा है। कुछ कॉलेजों पर जल्द कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सबूत जुटाए जा रहे हैं। 

शासन को करनी है आगे की कार्रवाई   

जनजाति कल्याण निदेशक बीआर टम्टा के मुताबिक, छुट्टी के बाद जब उप निदेशक अनुराग शंखधर नहीं लौटे, तो अनुपस्थिति रहने की सूचना शासन को भेजी गई। अब आगे की कार्रवाई शासन को करनी है। 

जल्द होगा निर्णय  

अपर सचिव समाज कल्याण रामविलास यादव का कहना है कि मैं छुट्टी के चलते मंगलवार को दफ्तर नहीं जा पाया। इस मामले में निदेशालय स्तर पर जो संस्तुति करनी चाहिए थी, वह नहीं की गई। अब शासन इस मामले में जल्द कार्रवाई का निर्णय लेगा। 

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