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हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़े की जांच जिले को सौंपने पर सवाल

हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना जांच में हुई गड़बड़ी को लेकर मामला अब तूल पकड़ गया है। प्रारंभिक जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद भी उच्च स्तरीय जांच के स्थान पर जिला स्तर पर जांच कराने का फैसला सवालों के घेरे में है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 12:50 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 12:50 PM (IST)
हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़े की जांच जिले को सौंपने पर सवाल
हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना जांच में हुई गड़बड़ी को लेकर मामला अब तूल पकड़ गया है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोरोना जांच में हुई गड़बड़ी को लेकर मामला अब तूल पकड़ गया है। प्रारंभिक जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद भी उच्च स्तरीय जांच के स्थान पर जिला स्तर पर जांच कराने का फैसला सवालों के घेरे में है। पूरे प्रकरण को लेकर अंगुलियां स्वास्थ्य विभाग और नौकरशाही पर भी उठ रही हैं। कारण, यह मामला उस समय का है, जब प्रदेश सरकार में नेतृत्व परिवर्तन हुआ ही था। तब सरकार का फोकस कुंभ के आयोजन पर था और नीतिगत निर्णय लेने में नौकरशाही के साथ विभाग की अहम भूमिका थी।

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हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना जांच में गड़बड़ी का मामला छोटा नहीं है। देखा जाए तो शुरू से ही इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा उन्हें सौंपा गया, जो खुद जांच के दायरे में हैं। आलम यह है कि शासन द्वारा जिला स्तर पर सौंपी गई जांच भी दो स्तर पर हो रही है। एक जांच जिलाधिकारी के निर्देश पर गठित समिति कर रही है, तो वहीं स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी अलग जांच बिठा दी है। यहां सवाल यह उठ रहा है कि जब प्रारंभिक जांच में ही बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पकड़ में आ गई थी, तो फिर मामले को हल्के में क्यों लिया गया।

अमूमन होता यह है कि जब किसी प्रकरण की प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाई जाती है तो उस पर हमेशा ही उच्च स्तरीय जांच बिठाई जाती है। जांच का फलक व्यापक हो सके और निचले स्तर के अधिकारी जांच को प्रभावित न कर सकें। इस प्रकरण में इसके उलट हुआ। विडंबना यह कि जांच वही कर रहे हैं, जिन्होंने जांच एजेंसियों के लिए टेंडर आमंत्रित किए और जांच सुनिश्चित करने तथा इस पर नजर रखने के लिए मानक बनाए।

दरअसल, कुंभ के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने 22 निजी लैब को जांच के लिए अनुबंधित किया था। इनमें से नौ लैब को हरिद्वार में कुंभ मेला क्षेत्र में जांच की जिम्मेदारी दी गई। इसमें प्रारंभिक तौर पर दो लैब की गड़बड़ी सामने आई है। इनमें एक लैब हरियाणा के हिसार की तो दूसरी दिल्ली की है। प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि इन लैब ने दूसरे राज्यों के यात्रियों की जांच के नाम पर खूब गड़बड़ी की। परत दर परत गड़बड़ी सामने आने पर अब सरकार ने भी गंभीर रुख अपनाया है।

सुबोध उनियाल (शासकीय प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री, उत्तराखंड सरकार) का कहना है कि राज्य सरकार कोरोना सैंपलिंग में गड़बड़ी के इस मामले में पूरी तरह गंभीर है। इसी कारण सरकार ने मामले में रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। जरूरत पड़ने पर सरकार किसी भी तरह की जांच को तैयार है।

अमित नेगी (सचिव स्वास्थ्य, उत्तराखंड शासन) का कहना है कि प्रारंभिक जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर विस्तृत जांच कराने के लिए जिलाधिकारी को जांच सौंपी गई है। जांच सीडीओ कर रहे हैं। इनकी टेंडर प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं थी।

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