बिल्डर मित्तल के करीबी मनीष गुप्ता के 10 फ्लैट NCLT ने किए निरस्त
पुष्पांजलि इंफ्राटेक मामले में बिल्डर दीपक मित्तल पर फ्लैट खरीदारों के पैसे को रिश्तेदारों के खातों में स्थानांतरित करने का आरोप है। एनसीएलटी ने एक संदिग्ध लेनदेन में 10 फ्लैट की बुकिंग रद्द कर दी है। मित्तल के पार्टनर ने कुछ रिश्तेदारों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है जिन्होंने कंपनी से मुनाफा कमाया और आयकर भी जमा किया। पुलिस और ईडी मामले की जांच कर रही है।

सुमन सेमवाल, देहरादून। पुष्पांजलि इंफ्राटेक की आर्किड पार्क आवासीय परियोजना में फ्लैट खरीदारों के साथ की गई धोखाधड़ी के मामले में बिल्डर दीपक मित्तल की कारगुजारी की परतें निरंतर खुलती जा रही हैं।
अब जांच एजेंसी और अन्य सक्षम एजेंसियों की ओर से भी यह स्पष्ट किया जाने लगा है कि परियोजना में किस तरह फ्लैट खरीदारों की धनराशि को बिल्डर मित्तल ने पहले कंपनी के खाते से अपने खाते में ट्रांसफर किया और फिर उसे अपने करीबी व्यक्तियों के खाते में भेजा गया।
जिससे परियोजना में फ्लैट बुक कराए गए। हालांकि, एक ऐसे ही ट्रांजेक्शन को नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल ने संदिग्ध मानते हुए 10 फ्लैट की बुकिंग निरस्त कर दी है।
बिल्डर दीपक मित्तल ने वर्ष 2020 ने पत्नी राखी मित्तल के साथ फ्लैट खरीदारों के 45 करोड़ रुपए लेकर फरार होने से पहले अपने करीबी मनीष गुप्ता, मनीष गर्ग और उनकी पत्नी विनीता गर्ग के खाते में 7.46 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए थे।
यह धनराशि पुष्पांजलि कंपनी के खाते से अपने खाते में लेकर ट्रांसफर करवाई गई थी। जिसके तत्काल बाद परियोजना में सभी ने 14 से 15 फ्लैट बुक कराए थे। इसी तरह परियोजना के ठेकेदार शरद अग्रवाल को 3.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। जिसे उसी दिन शरद ने दीपक की पत्नी राखी के खाते में ट्रांसफर कर दिया था।
जब परियोजना के फ्लैट खरीदारों ने एनसीएलटी में अर्जी लगाकर किसी अन्य बिल्डर से अधूरी परियोजना को पूरा कराने की अर्जी लगाई तो मनीष गुप्ता के साथ ही मनीष गर्ग और उनकी पत्नी ने भी खुद को पीड़ित बता दिया। लेकिन, एनसीएलटी के मनीष गुप्ता की ओर से बुक कराए गए 10 फ्लैट को संदिग्ध मानते हुए दावे को निरस्त कर दिया।
वहीं, मनीष गर्ग और विनीता पर एनसीएलटी ने कोई कार्रवाई नहीं की, मगर ईडी और पुलिस की जांच की तलवार उन पर लटकी हुई है। क्योंकि, स्वयं मित्तल के जेल में बंद पार्टनर राजपाल वालिया ने ठेकेदार शरद अग्रवाल के साथ ही मनीष गुप्ता, मनीष गर्ग और विनीता गर्ग पर धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगाए हैं।
कंपनी डूब रही थी और मुनाफा कमा गए मनीष गर्ग, भरा टैक्स
इसे संयोग कहें या सोची समझी रणनीति। जिस पुष्पांजलि इंफ्राटेक कंपनी में फ्लैट खरीदारों के साथ धोखाधड़ी शुरू कर दी गई थी और वह निरंतर डूब रही थी, उसमें मनीष गर्ग और विनीता गर्ग ने मुनाफा कमा लिया।
दरअसल, जिस रकम को कंपनी के खाते से निकालकर दीपक मित्तल ने अपने खाते के माध्यम से मनीष गर्ग (2.47 करोड़ रुपए) और विनीता गर्ग (1.71 करोड़ रुपए) के खाते में ट्रांसफर किया, उसे मनीष गर्ग ने मुनाफा बताया है।
मनीष गर्ग ने कहा कि उसने कंपनी में निवेश किया था और अब मुनाफे के रूप में रकम वापस मिली है। इस राशि पर आयकर भी जमा करा गया। हालांकि, आयकर अधिनियम यह कहता है कि चाहे धन काला ही क्यों न हो, उस पर आयकर जमा किया जाना है।
ऐसे में इस धनराशि के काले या सफेद होने को लेकर पुलिस और ईडी को निर्णय करना है। मित्तल के पार्टनर वालिया ने अन्य ट्रांजेक्शन के साथ गर्ग दंपती के ट्रांजेक्शन को भी धोखाधड़ी बताते हुए मुकदमा दर्ज करने की तहरीर पुलिस को दी है।
बही को सही करने वालों पर होगी कार्रवाई
जिस तरह दीपक मित्तल के विभिन्न ट्रांजेक्शन को अकाउंट्स में सही करार देने का प्रयास किया गया है, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि बही को मनमाफिक ढंग से सही बताने की कार्यवाही पर भी ईडी और पुलिस के अधिकारी जल्द कार्रवाई करेंगे। क्योंकि, किसी प्राप्त रकम पर आयकर जमा कर देनेभर से वह जायज नहीं बन जाती है।
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