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उत्तराखंड में अब हाइटेक होगा लोक निर्माण विभाग, एक क्लिक पर दिखेंगी योजनाएं

लोनिवि की योजनाएं और इनकी प्रगति का ब्योरा अब एक क्लिक पर ही स्क्रीन पर नजर आने लगेगा। कार्यों को पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ पूरा करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 04:45 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 09:05 PM (IST)
उत्तराखंड में अब हाइटेक होगा लोक निर्माण विभाग, एक क्लिक पर दिखेंगी योजनाएं
उत्तराखंड में अब हाइटेक होगा लोक निर्माण विभाग, एक क्लिक पर दिखेंगी योजनाएं

देहरादून, विकास गुसाईं। लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) की योजनाएं और इनकी प्रगति का ब्योरा अब एक क्लिक पर ही स्क्रीन पर नजर आने लगेगा। कार्यों को पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ पूरा करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। विभाग की मंशा अगले छह माह के भीतर विभाग को पूरी तरह ऑनलाइन कर इसमें काम शुरू करने की है।

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लोक निर्माण विभाग प्रदेश के प्रमुख व महत्वपूर्ण विभागों में से एक है। राजमार्गों के साथ ही प्रमुख संपर्क मार्गों को जोडऩे के अलावा सरकारी भवनों का भी निर्माण करता है। अभी तक प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर चल रहे निर्माण कार्यों की जानकारी लेने के लिए अधिशासी अभियंताओं के माध्यम से जानकारी मंगाई जाती है। इसके अलावा विभाग के मानव संसाधन के बारे में भी अधिकांश जानकारियां फाइलों के माध्यम से ही शासन व विभाग तक पहुंचती हैं।

डिजिटाइजेशन के नाम पर सभी विभागों में कार्य तो कंप्यूटर पर होता है लेकिन इसके बाद सभी कार्यों की जानकारी ई-मेल अथवा फाइलों के माध्यम से एकत्र की जाती है। लोक निर्माण विभाग में टेंडङ्क्षरग यानी निर्माण कार्यों के लिए निविदाएं आमंत्रित करने का काम अभी ऑनलाइन चल रहा है। अब विभाग की मंशा पूरी गतिविधियों को ही ऑनलाइन करने की है। इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

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सचिव लोक निर्माण विभाग आरके सुधांशु ने बताया कि अब विभाग की सारी गतिविधियों को ऑनलाइन किया जाएगा। मसलन चमोली जिले में चल रहे कार्यों की जानकारी भी शासन अथवा मुख्यालय में बैठकर एक क्लिक पर प्राप्त की जा सकेगी। कार्यों की प्रगति को लगातार अपडेट किया जाएगा ताकि सही स्थिति की जानकारी मिल सके। इसके अलावा विभागीय मानव संसाधन के संबंध में भी पूरी जानकारी ऑनलाइन की जाएगी ताकि सभी कार्मिकों का ब्योरा भी एक क्लिक पर मिल सके। उन्होंने कहा कि विभाग की मंशा छह माह के भीतर पूरी प्रक्रिया को धरातल पर उतारने की है। 

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