Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    निबंध प्रतियोगिता में छलका कैदियों का दर्द, परीक्षक भी हुए भावुक; जानिए कैदियों ने क्‍या लिखा

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Fri, 10 Sep 2021 04:13 PM (IST)

    देहरादून के सुद्धोवाला जेल में कैदियों के लिए मेरा अपराध क्या खोया क्या पाया विषय पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित आयोजित की गई। इसमें कैदियों का दर्द तो छलका ही लेकिन उनकी लेखनी ने एग्जामिनरों को भी भावुक कर दिया।

    Hero Image
    सुद्धोवाला जेल में कैदियों के लिए 'मेरा अपराध क्या खोया क्या पाया' विषय पर निबंध प्रतियोगिता आयोजित आयोजित की गई।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। उन्होंने जाने अंजाने में जुर्म किया और इसकी सजा भी भुगत रहे हैं। वर्षों जेल की काल कोठरी में बिताने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि परोपकार सबसे जरूरी है। दुनिया तलवार से नहीं कलम से जीती जाती है। तभी तो दिल की बात को कलम के सहारे कोरे कागज पर उतार दिया। इसमें कैदियों का दर्द तो छलका ही लेकिन उनकी लेखनी ने एग्जामिनरों को भी भावुक कर दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देहरादून की सुद्धोवाला जेल में जेलर पवन कोठारी के प्रयासों से 'मेरा अपराध क्या खोया क्या पाया' विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में कैदियों का दर्द पूरी तरह से छलक पड़ा। कैदियों ने न सिर्फ गलती पर पछतावा किया, बल्कि उन नौजवानों को भी संदेश दिया जो कि छोटी-मोटी बातों पर मरने मारने की बात पर उतारू हो जाते हैं। प्रतियोगिता में अच्छा निबंध लिखने वाले प्रतिभागी को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

    पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सजा काट रहे पंकज ने बताया कि मैंने खुद से उत्सवों को मनाने का अधिकार खोया और परिवार से वो अधिकार छीना। क्योंकि मेरे लगभग डेढ़ वर्ष के जेल प्रवास के दौरान परिवार में एक भी उत्सव नहीं मनाया गया। मैंने अपनी खुशी खोई और अपने स्वजनों, दोस्तों और रिश्तेदारों की झोली में दुख ही दुख डाले। मैंने जीवन में पुरुष का सबसे बड़ा दुख पिता बनने का खोया। मैं निश्चित रूप से यह स्वीकार करता हूं कि अगर मेरी पत्नी किसी कारणवश मेरे जीवित रहते आत्महत्या करती है तो मैं स्वयं के सामाजिक और पारिवारिक जीवन का निर्वहन करने में असफल रहा हूं। यह मेरा अपराध ही समझा जाएगा कि मेरे रहते ऐसी परिस्थितियों का निर्माण ही क्यों हुआ। मैं कारागार में रहता या ना रहता, लेकिन इसकी सजा में जीवन भर भुगतता रहूंगा।

    एक गलती से परिवार से हुआ दूर

    दोस्त की हत्या के आरोप में सजा काट रहे अध्यापक विजयवीर ने लिखा कि किसी भी दुर्घटना में व्यक्ति कुछ न कुछ खोता ही है। एक गलती के कारण वह अपने परिवार व समाज से दूर हो गया। जेल में रहकर उन्हें जिम्मेदारियों का एहसास हुआ। आज यदि वह अपने परिवार के बीच रहता तो सम्मान के साथ अपना अध्यापन का कार्य कर रहा होता, माता-पिता स्वस्थ रहते, पत्नी को न्यायालय के चक्कर नहीं काटने पड़ते, पुत्री अच्छी तरह अपनी पढ़ाई कर रही होती, आर्थिक दशा अच्छी होती, मकान अच्छा होता और सम्मानपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहा होता।

    अपराध करने से हानि ही है लाभ नहीं

    सात सालों से सलाखों के पीछे रह रहे राजेंद्र ने लिखा कि कारागार में रहकर मुझे जिंदगी के कुछ कड़वे सच का एहसास जरूर हुआ है। वह यह कि बुरा करने से कभी अच्छा नहीं हो सकता है। अपराध एक कृत्य है जो समाज में निंदनीय है। अपराध करने से हानि ही होती है लाभ की कोई आशंका नहीं रह जाती। मैने जीवन में अपनों को दूसरे से अधिक महत्व दिया। घमंड और अहम ने मुझे सबक सिखाया कि दूसरों को भी महत्व दिया जाना चाहिए तभी समाज में मान प्रतिष्ठा बनी रह सकती है।

    comedy show banner
    comedy show banner