प्रधानमंत्री मोदी ने फिर ताजा की देवभूमि से जुड़ी यादें, जानिए क्या बोले
देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड वितरण की शुरुआत के मौके पर उत्तराखंड और हिमालय से जुड़ी यादें ताजा कीं। 34 साल पहले नमो ने केदारनाथ क्षेत्र के गरुड़चट्टी में साधना की थी।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड वितरण की शुरुआत के मौके पर उत्तराखंड और हिमालय से जुड़ी यादें ताजा कीं। 34 साल पहले नमो ने केदारनाथ क्षेत्र के गरुड़चट्टी में साधना की थी।
रविवार को कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा,हिमालय के क्षेत्र में काफी रहा हूं, काफी घूमा हूं। प्रधानमंत्री मोदी का उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र से दशकों पुराना नाता है। योग और अध्यात्म की इस सरजमी पर हिमालय की कंदराओं में ही 1986 के आसपास नमो ने साधना की थी और यह स्थल है 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक केदारनाथ धाम के नजदीक गरुड़चट्टी। नमो यहीं रहा करते थे। तब वह रोजाना दो किलोमीटर का फासला तय कर नंगे पांव चलकर ही बाबा केदार के दर्शनों को जाया करते थे। पूर्व में केदारनाथ के कपाट बंद होने के अवसर पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने तब पुराने दिनों को याद करते हुए कहा था, एक दौर था, जब मैं यहीं रम गया था। शायद बाबा केदार की यह इच्छा नहीं थी। इसीलिए बाबा ने उन्हें देश सेवा का जिम्मा सौंपा। बाबा केदारनाथ के प्रति अगाध आस्था प्रधानमंत्री को अक्सर उत्तराखंड खींच लाती है। यही वजह भी है कि उनका देवभूमि के प्रति विशेष लगाव है। यहां के लिए केंद्र से स्वीकृत होने वाली योजनाओं में यह नजर भी आता है। चाहे वह केदारपुरी का पुनर्निर्माण हो या फिर चारधाम को जोडऩे वाली ऑल वेदर रोड परियोजना की सौगात, बदरीनाथ धाम का मास्टर प्लान अथवा केंद्र पोषित दूसरी योजनाएं। यही नहीं, 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक प्रधानमंत्री 14 बार उत्तराखंड की धरती पर आ चुके हैं। यह उनके इस धरा के प्रति स्नेह को दर्शाता है।
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होम स्टे की वेबसाइट करें तैयार
स्वामित्व योजना के संपत्ति कार्ड वितरण की शुरुआत के अवसर पर प्रधानमंत्री ने होम स्टे योजना को बेहतर बताया। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल रहे सहकारिता राज्यमंत्री डॉ.धन सिंह रावत से मुखातिब होते हुए कहा कि राज्य में जितने भी होम स्टे हैं, उनकी वेबसाइट तैयार कर ली जाए। इससे कोई भी कहीं से भी संपर्क कर होम स्टे बुक करा सकेगा। ऐसे में बढिय़ा तरीके से काम चल सकता है।