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कांग्रेस में इस्तीफे की सियासत से उत्तराखंड संगठन पर भी दबाव

कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पद से इस्तीफा देने और बाद में पार्टी के केंद्रीय नेताओं में इस्तीफा देने की होड़ ने प्रदेश संगठन को भी असहज स्थिति में ला खड़ा किया है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 09:37 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2019 04:52 PM (IST)
कांग्रेस में इस्तीफे की सियासत से उत्तराखंड संगठन पर भी दबाव
कांग्रेस में इस्तीफे की सियासत से उत्तराखंड संगठन पर भी दबाव

देहरादून, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के पद से इस्तीफा देने और बाद में पार्टी के केंद्रीय नेताओं में इस्तीफा देने की होड़ ने प्रदेश संगठन को भी असहज स्थिति में ला खड़ा किया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ पदाधिकारियों ने जिसतरह इस्तीफा दिया, उसे प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह पर भी इसी राह पर आगे बढ़ने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। 

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वहीं इस वक्त दो नगर निकायों के मौजूदा चुनाव और कुछ महीनों में पंचायत चुनाव की चुनौती से जूझ रहे खुद प्रीतम सिंह इन दिनों कुमाऊं मंडल के दौरे पर हैं। कांग्रेस की मौजूदा सियासत की खासियत देखिए कि लोकसभा चुनाव में भी बुरी गत होने के बावजूद पार्टी दिग्गजों को एकजुटता रास नहीं आती नहीं दिख रही है। 

कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व को लेकर ऊहापोह ने उत्तराखंड में भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके राहुल गांधी ने अब तक अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है। वहीं राहुल के वापस नहीं आने की स्थिति में पार्टी की कमान किन हाथों में होगी, इसे लेकर असमंजस बरकरार है।

दरअसल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद प्रदेश में भी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर पद से इस्तीफे की तलवार लटकी हुई है। प्रदेश में बड़े नेताओं में से अभी तक किसी ने भी यह उदाहरण पेश नहीं किया है। 

अलबत्ता कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे घटनाक्रम ने प्रदेश में भी पार्टी की अंदरूनी सियासत को गर्म कर दिया है। प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष पद संभाल रहे एक नेता ने राहुल के इस्तीफे के बाद ही प्रदेश में भी सांगठनिक ढांचे के खुद-ब-खुद भंग होने की बात कह दी तो वहीं एक प्रदेश सचिव और कांग्रेस सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष ने पद से इस्तीफा दे दिया। 

इस्तीफे के इस घटनाक्रम को भी प्रदेश में संगठन के भीतर खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह दो साल बाद भी अपनी खुद की कार्यकारिणी गठित नहीं कर पाए हैं। वह पुरानी कार्यकारिणी से ही काम चला रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के बड़े कांग्रेस नेता हाईकमान के रुख में भी स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं। 

फिलहाल प्रदेश संगठन के सामने दो नगर निकायों बाजपुर और श्रीनगर में चुनाव जीतने और फिर कुछ समय बाद पंचायत चुनाव की बड़ी चुनौती है। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह फिलवक्त इसी चुनौती से पार पाने को कुमाऊं मंडल के छह दिनी दौरे पर हैं। इसके बाद वह श्रीनगर में भी चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे।

सूत्रों का कहना है कि फिलहाल प्रदेश नेतृत्व को राष्ट्रीय स्तर पर हालात सामान्य होने का इंतजार है, ताकि प्रदेश में भी आगे की रणनीति को ठोस शक्ल दी जा सके।

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