Move to Jagran APP

प्रेमचंद ने 'पत्थरों' में लिखी 'हरियाली' की इबारत, सही मायने में हैं पहाड़ के नायक

खेती और बागवानी के क्षेत्र में देशभर में विख्यात प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा सही मायने में पहाड़ के नायक हैं। उन्होंने जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के दुर्गम इलाकों में विज्ञानी विधि से खेती-बागवानी की अलख जगाने के साथ ही इस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 27 Jan 2021 11:52 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 11:52 AM (IST)
प्रेमचंद ने 'पत्थरों' में लिखी 'हरियाली' की इबारत, सही मायने में हैं पहाड़ के नायक
प्रेमचंद ने 'पत्थरों' में लिखी 'हरियाली' की इबारत, सही मायने में हैं पहाड़ के नायक।

चंदराम राजगुरु, चकराता(देहरादून)। खेती और बागवानी के क्षेत्र में देशभर में विख्यात प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा सही मायने में पहाड़ के नायक हैं। जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर के दुर्गम इलाकों में विज्ञानी विधि से खेती-बागवानी की अलख जगाने के साथ ही इस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और उपलब्धियों के लिए उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। अब उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने से सभी बेहद खुश हैं। 

loksabha election banner

प्रेमचंद शर्मा का जन्म देहरादून जनपद से सटे जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र जौनसार-बावर के चकराता ब्लॉक के सीमांत गांव अटाल में वर्ष 1957 में एक किसान परिवार में हुआ था। महज पांचवीं कक्षा तक शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करने वाले प्रेमचंद को खेती-किसानी विरासत में मिली थी। बचपन में ही वह पिता स्व. झांऊराम शर्मा के साथ खेतीबाड़ी से जुड़ गए और उनकी खेत-खलिहान की पाठशाला में किसानी के गुर सीखने लगे। पिता के निधन के बाद खेतीबाड़ी का पूरा बोझ उन्हीं के कंधों पर आ गया। 

परंपरागत खेती में लागत के मुताबिक लाभ न होता देख उन्होंने नए प्रयोग करने का निर्णय लिया। इसकी शुरुआत उन्होंने 1994 में अनार की जैविक खेती से की। यह प्रयोग सफल रहा तो उन्होंने क्षेत्र के अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित किया। इसी क्रम में वर्ष 2000 में उन्होंने अनार के उन्नत किस्म के डेढ़ लाख पौधों की नर्सरी तैयार की। यह पौध उन्होंने जौनसार-बावर व पड़ोसी राज्य हिमाचल के करीब साढ़े तीन सौ कृषकों को वितरित की। अनार की खेती के गुर सीखने के लिए वह हिमाचल के कुल्लू, जलगांव के साथ ही महाराष्ट्र और कर्नाटक तक गए।

वर्ष 2013 में प्रेमचंद ने देवघार खत के सैंज-तराणू और अटाल पंचायत से जुड़े करीब 200 कृषकों को एकत्र कर फल और सब्जी उत्पादक समिति का गठन किया। इसके साथ ही उन्होंने ग्राम स्तर पर कृषि सेवा केंद्र की शुरुआत कर क्षेत्र में खेती-बागवानी के विकास में अहम भूमिका निभाई। करीब तीन दशक से खेती-बागवानी से जुड़े प्रेमचंद ने जौनसार-बावर में किसानों को आय बढ़ाने के लिए नगदी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उनकी इस पहल से सीमांत क्षेत्र के सैकड़ों किसान नगदी फसलों का उत्पादन कर अपनी आर्थिकी संवारने लगे। इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र के किसानों को जैविक खेती का रास्ता दिखाया। प्रेमचंद वर्ष 1984 से 1989 तक सैंज-अटाल ग्राम पंचायत के उप प्रधान और वर्ष 1989 से 1998 तक प्रधान रहे।

प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा को मिल चुके हैं ये पुरस्कार

वर्ष 2012 में उत्तराखंड सरकार की ओर से किसान भूषण, वर्ष 2014 में इंडियन एसोसिएशन ऑफ सॉयल एंड वॉटर कंजर्वेशन की तरफ से किसान सम्मान, भारतीय कृषि अनुसंधान की ओर से किसान सम्मान, वर्ष 2015 में कृषक सम्राट सम्मान, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से विशेष उपलब्धि सम्मान, वर्ष 2015 में गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से प्रगतिशील कृषि सम्मान, वर्ष 2016 में स्वदेशी जागरण मंच की तरफ से उत्तराखंड विस्मृत नायक सम्मान, वर्ष 2018 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की तरफ से जगजीवन राम किसान पुरस्कार और सामाजिक संस्था धाद की तरफ से जसोदा नवानि सम्मान।

यह भी पढ़ें- जन स्वास्थ्य की मुहिम के सारथी हैं डॉ. संजय, लिम्का और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है नाम


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.