उत्तराखंड में आपदा के बाद क्षति के आकलन में जुटेगी टीम, CM धामी ने अधिकारियों को दिए खास निर्देश
उत्तराखंड में मानसून के दौरान हुए भारी नुकसान की भरपाई के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने कमर कस ली है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा पोस्ट डिजास्टर नीड्स एसेसमेंट (पीडीएनए) की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। केंद्र सरकार को विस्तृत प्रस्ताव भेजकर विशेष पैकेज की मांग की जाएगी जिसमें प्रभावितों की आजीविका को भी शामिल किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। इस वर्ष मानसून सीजन में राज्य को हुए भारी नुकसान की प्रतिपूर्ति के लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने कवायद तेज कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बुधवार से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की ओर से पोस्ट डिजास्टर नीड्स एसेसमेंट (पीडीएनए) की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। पीडीएनए के आधार पर केंद्र सरकार को विस्तृत प्रस्ताव भेजकर विशेष पैकेज की मांग की जाएगी।
शनिवार को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जिलाधिकारियों और विभागाध्यक्षों को एसडीआरएफ मद में आच्छादित व अनाच्छादित क्षति का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए।
सचिव सुमन ने कहा कि अकेले एसडीआरएफ मद से नुकसान की भरपाई संभव नहीं है, इसलिए भारत सरकार से विशेष पैकेज की दरकार है। इसके लिए भारत सरकार यहां टीम भेज रही है। ये टीम चार भागों में विभाजित होगी।
जिलाधिकारियों की अगुवाई में ये टीमें सभी जनपदों में क्षति का वास्तविक आकलन करेंगी। इसके बाद प्रत्येक योजना का आकलन कर रिपोर्ट भारत सरकार को भेजी जाएगी। सचिव सुमन ने बताया कि आपदा ने परिसंपत्तियों को ही नहीं बल्कि लोगों की आजीविका को भी प्रभावित किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पर्यटन, तीर्थाटन, होटल-रेस्टोरेंट, टैक्सी-ढाबा व्यवसायियों, किसानों, टूरिस्ट गाइड व अन्य प्रभावितों की आजीविका बहाल करने के लिए हरसंभव मदद दी जाएगी। सभी जनपदों को इसका आकलन कर पीडीएनए में शामिल करने को कहा गया है।
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मुख्य सचिव के सभी विभागाध्यक्ष को निर्देश :
मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी विभागाध्यक्षों को अगले सप्ताह से फील्ड विजिट करने के निर्देश दिए हैं। विभागाध्यक्ष पहले हफ्ते स्वयं जिलों में रहकर कार्यों की समीक्षा करेंगे, जबकि दूसरे और तीसरे हफ्ते वरिष्ठ अधिकारी इस कार्य को आगे बढ़ाएंगे। जिलाधिकारियों और विभागाध्यक्षों के बीच समन्वय से समस्याओं का समाधान होगा।
आजीविका पर भी फोकस :
पीडीएनए के आकलन में प्रभावितों की जीविका को भी शामिल किया जाएगा। होटल, टैक्सी, ढाबा संचालक, टूरिस्ट गाइड, किसान व फल-फूल विक्रेताओं को हुए नुकसान का ब्यौरा भी रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा।
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