लूट में आइजी की कार का इस्तेमाल करने वाले आरोपितों की मिली रिमांड
हाई प्रोफाइल लूटकांड के आरोपितों की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम मंजू मुंडे की अदालत ने 48 घंटे की कस्टडी रिमांड मंजूर कर ली है।
देहरादून, जेएनएन। हाई प्रोफाइल लूटकांड के आरोपितों की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम मंजू मुंडे की अदालत ने 48 घंटे की कस्टडी रिमांड मंजूर कर ली है। रिमांड अवधि गुरुवार सुबह दस बजे से शुरू हो गई। रिमांड के दौरान एसटीएफ प्रापर्टी डीलर से लूटे गए बैग की बरामदगी को लेकर आरोपितों से पूछताछ करेगी और बैग मिलने के संभावित स्थलों पर दबिश भी दे सकती है।
अदालत में राज्य की ओर से संयुक्त निदेशक विधि जयपाल बिष्ट ने पैरवी की। उनकी ओर से अदालत को बताया गया कि लूटकांड में पुलिस कर्मियों ने पद के विपरीत कार्य किया है। वहीं, सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि अनुरोध पंवार की कार से एक बैग सरकारी गाड़ी में रखा गया है।
अनुरोध ने भी अपने बयान में इस बात की पुष्टि की है कि उसे डब्ल्यूआइसी में यह कहते हुए काले रंग का एक बैग दिया गया कि इसमें रकम है। उन्होंने वहां बैग खोलकर देखने की कोशिश की, लेकिन रोक दिया गया। अब बैग बरामदगी के बाद ही तय होगा कि उसमें क्या था।
इसके साथ ही चार अप्रैल को निलंबित दारोगा दिनेश नेगी डब्ल्यूआइसी गया था। ऐसे में घटनाक्रम के बारे में वहां के स्टाफ से भी आरोपितों के सामने पूछताछ कर तथ्यों का क्रॉस वेरिफिकेशन किया जाना है।
वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने रिमांड दिए जाने का विरोध किया। अदालत ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद दो दिन की रिमांड मंजूर कर ली। एसटीएफ ने कोर्ट में दी गई याचिका में आरोपितों की तीन दिन की कस्टडी रिमांड मांगी थी।
यह है पूरा मामला
चार अप्रैल को प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार निवासी कैनाल रोड, बल्लूपुर को कांग्रेसी नेता अनुपम शर्मा ने डब्ल्यूआइसी में एक प्रॉपर्टी डीलर से संबधित रकम लेने के लिए बुलाया। वहां उन्हें एक काले रंग का बैग दिया गया, जिसका वजन 10 से 15 किलोग्राम के बीच था।
बताया गया कि इसमें मोटी रकम है। अनुरोध ने चुनाव चेकिंग का हवाला देकर बैग लेने से मना कर दिया और रेस्टोरेंट से निकल कर पार्किंग में खड़ी अपनी कार की ओर जाने लगे। तभी डब्ल्यूआइसी का एक कर्मचारी बैग लेकर आया और उनकी कार में रख गया।
अनुरोध बैग लेकर वहां से घर के लिए निकले। रास्ते में होटल मधुबन के सामने एक सफेद रंग की स्कॉर्पियो के चालक ने ओवरटेक कर उन्हें रोक लिया। यह गाड़ी आइजी गढ़वाल के नाम आवंटित थी। स्कॉर्पियो में दारोगा दिनेश नेगी सादी वर्दी में, जबकि मनोज अधिकारी और हिमांशु उपाध्याय सवार थे।
आरोप है कि चुनाव की चेकिंग के नाम पर अनुरोध की कार की तलाशी ली और उसमें रखा बैग लूट लिया। अनुरोध ने कारण पूछा तो वर्दीधारियों ने बताया कि स्कॉर्पियो में आइजी बैठे हैं और वे वाहनों में ले जाए जा रहे कैश की चेकिंग कर रहे हैं।
वारदात के बाद हिमांशु अनुरोध की कार में बैठकर आइजी की कार के साथ चलने लगा। सर्वे चौक के पास अनुरोध के साथ बैठे पुलिसकर्मी ने कार रोक दी और खुद उतर गया। उसने उन्हें धमकाकर वहां से चुपचाप चले जाने को कहा। अगले दिन अनुरोध ने दून पुलिस से संपर्क किया। नकदी जब्त करने की बात सुन पुलिस हैरान रह गई, क्योंकि किसी भी स्तर पर पुलिस तक यह जानकारी नहीं पहुंची थी।
जांच शुरू हुई तो सनसनीखेज वारदात की परतें चली गईं। दस अप्रैल को डालनवाला कोतवाली में अपहरण, लूट, सरकारी पद के दुरुपयोग व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। बाद में जांच एसटीएफ को सुपुर्द कर दी गई। एसटीएफ ने 16 अप्रैल को अनुपम शर्मा समेत तीनों पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया। 20 अप्रैल को पुलिस ने आइजी की गाड़ी भी सीज कर दी।
और गिरफ्तारी कर सकती है एसटीएफ
इतनी बड़ी वारदात की साजिश रचने के पीछे अभी कई और चेहरों का सामने आना बाकी है। रिमांड पर एसटीएफ उन्हीं चेहरों को बेनकाब करने की कोशिश करेगी। इसमें वह लोग भी हैं जिनके बारे में कॉल डिटेल और सीसीटीवी फुटेज से जानकारी मिली है। ऐसे में एसटीएफ आरोपितों को उनके सामने बैठाकर पूछताछ करेगी। तथ्यों की पुष्टि हुई तो आगे आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
एक दर्जन से अधिक के हो चुके हैं बयान
लूटकांड का खुलासा होने के बाद एसटीएफ एक दर्जन से अधिक लोगों के बयान दर्ज कर चुकी हैं। इसमें चार अप्रैल की सर्वे चौक पर ड्यूटी करने वाले जवान से लेकर डब्ल्यूआइसी के रेस्टोरेंट के कर्मचारी तक शामिल हैं।
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