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आइजी की कार से लूट के मामले में एसपी ट्रैफिक ने तलाशे सुराग

हाई प्रोफाइल लूटकांड के सुराग तलाशने एसपी ट्रैफिक प्रकाश चंद आर्य ने सोमवार को डब्ल्यूआइसी में दबिश दी। इस दौरान उन्होंने वहां के कर्मचारियों से अलग-अलग सवाल किए।

By Edited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 02:59 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 10:19 AM (IST)
आइजी की कार से लूट के मामले में एसपी ट्रैफिक ने तलाशे सुराग
आइजी की कार से लूट के मामले में एसपी ट्रैफिक ने तलाशे सुराग

देहरादून, जेएनएन। हाई प्रोफाइल लूटकांड के सुराग तलाशने एसपी ट्रैफिक प्रकाश चंद आर्य ने सोमवार को डब्ल्यूआइसी में दबिश दी। इस दौरान उन्होंने प्रॉपर्टी डीलर से लूट के आरोपित दारोगा दिनेश नेगी की डब्ल्यूआइसी में मौजूदगी के बारे में वहां के कर्मचारियों से अलग-अलग सवाल किए। 

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मामले में वारदात की तो एसटीएफ जांच कर रही है, जबकि एसपी ट्रैफिक पुलिस कर्मियों द्वारा पद के विपरीत कार्य करने और सरकारी गाड़ी के दुरुपयोग की विभागीय जांच कर रहे हैं। 

बता दें, चार अप्रैल को प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार निवासी कैनाल रोड, बल्लूपुर वारदात के दिन डब्ल्यूआइसी में कांग्रेसी नेता अनुपम शर्मा से प्रॉपर्टी से संबधित रकम लेने गए थे। वहां से लौटते समय होटल मधुबन के सामने एक सफेद रंग की स्कॉर्पियो के चालक ने ओवरटेक कर उन्हें रोक लिया। 

यह गाड़ी आइजी गढ़वाल के नाम आवंटित है। स्कॉर्पियो में दारोगा दिनेश नेगी सादी वर्दी में, जबकि मनोज अधिकारी और हिमांशु उपाध्याय सवार थे। इन तीनों पर आरोप है कि चुनाव की चेकिंग के नाम पर अनुरोध के कार की तलाशी ली और उसमें रखा बैग लूट लिया। 

अनुरोध ने कारण पूछा तो वर्दीधारियों ने बताया कि स्कॉर्पियो में आइजी बैठे हैं और वे वाहनों में ले जाए जा रहे कैश की चेकिंग कर रहे हैं। वारदात के बाद हिमांशु अनुरोध की कार में बैठकर आइजी की कार के साथ चलने लगा। सर्वे चौक के पास अनुरोध के साथ बैठे पुलिसकर्मी ने कार रोक दी और खुद उतर गया। उसने उन्हें धमकाकर वहां से चुपचाप चले जाने को कहा। 

अगले दिन अनुरोध ने दून पुलिस से संपर्क किया। नकदी जब्त करने की बात सुन पुलिस हैरान रह गई, क्योंकि किसी भी स्तर पर पुलिस तक यह जानकारी नहीं पहुंची थी। गहन जांच के बाद दस अप्रैल को डालनवाला कोतवाली में लूट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया। 

बाद में जांच एसटीएफ को सुपुर्द कर दी गई। एसटीएफ ने 16 अप्रैल को अनुपम शर्मा समेत तीनों पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया। 20 अप्रैल को पुलिस ने आइजी की गाड़ी भी सीज कर दी। वहीं एसएसपी ने एसपी ट्रैफिक को पद व सरकारी गाड़ी के दुरुपयोग की जांच सौंपी है। 

सूत्रों की मानें तो एसपी ट्रैफिक ने पुलिस लाइन के एसआइ एमटी के बयान दर्ज कर लिए हैं। अब डब्ल्यूआइसी के कर्मचारियों के बयान लिए। नहीं खोलने दिया था अनुरोध को बैग डब्ल्यूआइसी में जब अनुरोध को रकम से भरा बैग दिया गया, तो उन्होंने बैग खोलकर देखना चाहा। 

मगर वहां मौजूद एक शख्स ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। इस पर अनुरोध को संदेह हुआ और वह बैग लिए बिना ही अपनी गाड़ी की ओर से चल दिए। इसके बाद पीछे एक व्यक्ति बैग लेकर आया और उनकी गाड़ी में डाल दिया। अनुरोध ने लिए थे बीस लाख एडवांस अनुरोध पंवार ने राजेंद्र नगर स्थित एक प्लॉट को बिकवाने के लिए अनुपम शर्मा से बीस लाख रुपये एडवांस लिए थे, जबकि सौदा 2.20 करोड़ में तय हुआ था। 

ऐसे में माना यह भी जा रहा है कि बैग में एक करोड़ या फिर दो करोड़ की धनराशि थी। इस बात को लेकर अभी असमंजस की स्थिति है। क्योंकि, अनुरोध को बैग खोलकर देखने नहीं दिया गया और आरोपितों ने अभी तक बैग में रकम होने की बात कबूली नहीं है। 

होगी बर्खास्तगी की कार्रवाई 

आइजी गढ़वाल अजय रौतेला ने कहा कि पुलिस कर्मियों ने अपराध किया है। यह बात तकनीकी साक्ष्यों से पुष्ट हो रही है। ऐसे में वारदात के मामले में आरोप पत्र कोर्ट में जाने के बाद तथ्यों के आधार पर पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। माना जा रहा है कि आरोप साबित हुए तो तीनों पुलिस कर्मियों का बर्खास्त होना तय है।

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