Uttarakhand Police Ranker Exam: लटक सकते हैं पुलिस रैंकर्स भर्ती के परिणाम
Uttarakhand Police Ranker Exam पुलिस रैंकर्स भर्ती के परिणाम लटक सकते हैं। अंतिम निर्णय बोर्ड बैठक में लिया जाना है। नए अध्यक्ष के आने बाद बैठक होगी। बता दें कि 21 फरवरी 2021 को विभिन्न पदों के लिए पुलिस रैंकर्स भर्ती परीक्षा हुई थी।
जागरण संवाददाता, देहरादून: Uttarakhand Police Ranker Exam : डेढ़ साल से दारोगा बनने की राह देख रहे पुलिसकर्मियों का इंतजार और लंबा खिंच सकता है। इसका एक बड़ा कारण ये है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की बोर्ड बैठक में दारोगा भर्ती में रोड़ा बने चार सवालों पर पुनर्विचार किया जाना है। इसी बीच आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद नए अध्यक्ष के आने के बाद ही बोर्ड बैठक संभव हो सकेगी।
21 फरवरी 2021 को आयोजित की गई थी परीक्षा
पुलिस विभाग ने रैंकर्स भर्ती प्रक्रिया फरवरी 2021 में शुरू की थी। विभाग ने लिखित परीक्षा की जिम्मेदारी आयोग को दी थी। 21 फरवरी को कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल से सब इंस्पेक्टर (दारोगा) के लिए परीक्षा आयोजित की गई।
यह भर्ती परीक्षा 394 पद हेड कांस्टेबल सिविल पुलिस, 61 पद दारोगा सिविल पुलिस, 77 प्लाटून कमांडर के पद सब इंस्पेक्टर पीएसी, 250 हेड कांस्टेबल पद पीएसी व 215 हेड कांस्टेबल पद सशस्त्र पुलिस के पदों पर की गई थी।
हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर हटाई थी रोक
पांच अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने चार सवालों के सही उत्तर लिखे थे, लेकिन आयोग ने उन्हें गलत ठहरा दिया। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिया। लंबे समय तक केस कोर्ट में चलने के बाद 11 जुलाई को हाईकोर्ट ने परीक्षा को चुनौती देती याचिका को निस्तारित कर भर्ती प्रक्रिया पर रोक हटा दी।
कोर्ट ने आयोग को याचिकाकर्ताओं की ओर से दिए गए उत्तर पर पुनर्विचार करने को कहा है। रैंकर्स भर्ती से दारोगा बनने वाले पुलिस जवानों की नजर अब आयोग पर टिकी हुई हैं कि आयोग की ओर इसका कोई हल निकालते हुए जल्द परिणाम घोषित करेगी।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं अभ्यर्थी
पुलिस रैंकर्स भर्ती में कांस्टेबल से दारोगा बनने की राह में खड़े अभ्यर्थी अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं। कांस्टेबल से दारोगा बनने वाले सभी अभ्यर्थी इस समय विभिन्न ट्रेनिंग सेंटरों में हेड कांस्टेबल की ट्रेनिंग ले रहे हैं। इस मामले में वह आयोग के समक्ष अपना पक्ष भी रख चुके हैं, लेकिन आयोग की ओर से उन्हें कोई रास्ता नहीं दिया जा रहा हे।
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