उत्तराखंड में पीएम सूर्यघर योजना की सब्सिडी पर संकट, लाभार्थी काट रहे ऊर्जा निगम के चक्कर
देहरादून में पीएम सूर्य घर योजना के तहत रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाने वाले उपभोक्ता वेंडरों की लापरवाही से परेशान हैं। वेंडर पोर्टल पर जानकारी अपलोड नहीं कर रहे हैं जिससे केंद्र और राज्य सरकार की सब्सिडी अटकी हुई है। ऊर्जा निगम और उरेड़ा के अधिकारियों ने भी इस लापरवाही को माना है। नए आवेदकों के लिए राज्य सब्सिडी बंद होने से पुराने आवेदकों की चिंता बढ़ गई है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। पीएम सूर्य घर योजना के तहत उत्तराखंड में रूफटाप सोलर प्लांट लगवाने वाले उपभोक्ता वेंडरों की लापरवाही के चलते फजीहत झेल रहे हैं। लगातार शिकायतें आ रही हैं कि सोलर प्लांट लगने के कई महीनों बाद भी वेंडर जरूरी प्रक्रियाएं पूरी नहीं कर रहे हैं।
खासकर, केंद्रीय पोर्टल पर योजना की प्रगति संबंधी जानकारी समय पर अपलोड नहीं की जा रही, जिससे केंद्र सरकार की सब्सिडी अटक रही है। इससे भी गंभीर बात यह है कि लंबी देरी की स्थिति में राज्य सरकार की सब्सिडी पूरी तरह समाप्त भी हो सकती है।
दरअसल, वेंडर की ओर से प्लांट स्थापना के बाद जानकारी पोर्टल पर अपलोड की जाती है, फिर ऊर्जा निगम की टीम स्थल निरीक्षण करती है और कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर उसी पोर्टल पर अपलोड करती है। इसके बाद पहले केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है और फिर फाइल उरेड़ा के पास जाती है, जहां से राज्य सरकार की सब्सिडी स्वीकृत की जाती है। लेकिन कई मामलों में वेंडर महीनों तक न तो पोर्टल पर विवरण डाल रहे हैं, न ही उपभोक्ताओं की काल उठा रहे हैं।
इससे न केवल प्रक्रिया अटक रही है, बल्कि कई लाभार्थी सरकार की योजना पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वर्तमान में उत्तराखंड सरकार ने नए आवेदकों के लिए राज्य की सब्सिडी बंद कर दी है। ऐसे में पुराने आवेदकों के लिए समय पर प्रक्रिया पूरी करना और भी जरूरी हो गया है। लेकिन, वेंडरों की हीलाहवाली से वह भी संकट में है। कई लाभार्थियों को छह–आठ माह बाद भी राज्य की सब्सिडी नहीं मिल सकी है, जबकि उन्होंने अपने हिस्से का खर्च समय पर चुका दिया था।
जिम्मेदार अधिकारी भी मान रहे हैं लापरवाही
ऊर्जा निगम में सूर्य घर योजना के नोडल अधिकारी आशीष अरोड़ा ने स्पष्ट किया कि निगम वेंडर की कार्रवाई पूरी होने के बाद ही आगे बढ़ता है। यदि वेंडर देरी करते हैं, तो उपभोक्ता राज्य की सब्सिडी से वंचित रह सकते हैं। हालांकि, उन्होंने इस प्रकार के मामलों में उपभोक्ताओं को वेंडर की शिकायत ऊर्जा निगम से करने की सलाह दी है।
वहीं, उरेड़ा के मुख्य परियोजना अधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि ऊर्जा निगम द्वारा कंप्लीशन प्रमाण पत्र अपलोड होने के बाद ही केंद्र से सब्सिडी जारी होती है, जिसके बाद फाइल उरेड़ा के पास आती है और राज्य की ओर से सब्सिडी दी जाती है।
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