उत्तराखंड में PM सूर्य घर योजना के 23 हजार परिवारों को किया बिजली बिल से आजाद, कनेक्शन ज्यादा होने के बावजूद UP-महाराष्ट्र पिछड़े
प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना से उत्तराखंड में डेढ़ साल में 55,391 रूफटाप सोलर संयंत्र लगाए गए, जिससे 23,367 उपभोक्ताओं को बिलमुक्त बिजली मिली और ...और पढ़ें

अश्वनी त्रिपाठी, देहरादून। प्रधानमंत्री सूर्य घर निशुल्क बिजली योजना उत्तराखंड ऊर्जा आत्मनिर्भरता का मजबूत आधार बन गई है। योजना लांच होने के डेढ़ साल में ही राज्य में 55,391 रूफटाप सोलर संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, इससे 23,367 उपभोक्ताओं को बिजली के बिल से पूरी आजादी मिल गई है। अर्थात कुल रूफटाप सोलर के सापेक्ष 42 प्रतिशत उपभोक्ताओं की अब बिजली बिल पर एक पाई खर्च नहीं होती। यह सफलता देश के कई बड़े राज्यों के लिए मिसाल है।
उत्तराखंड में कुल 55,391 कनेक्शनों में ही 42 प्रतिशत परिवारों का बिजली बिल पूरी तरह शून्य हो चुका है, तुलना करें तो महाराष्ट्र में 5.80 लाख, उत्तर प्रदेश में 3.05 लाख, राजस्थान में 1.11 लाख कनेक्शन होने के बावजूद शून्य बिजली बिल हासिल करने वालों की संख्या अधिकतम 7-18 प्रतिशत तक सीमित है।
उत्तराखंड को अब तक 413.50 करोड़ रुपये की सब्सिडी
योजना के तहत उत्तराखंड में रूफटाप सोलर सिस्टम लगाने वाले उपभोक्ताओं को कुल 413.50 करोड़ रुपये की केंद्रीय सब्सिडी (सीएफए) प्रदान की जा चुकी है। प्रति उपभोक्ता औसतन 85-90 हजार रुपये की सब्सिडी मिली है।
राज्यों में कुल सोलर कनेक्शन के सापेक्ष शून्य बिजली बिल वाले उपभोक्ताओं का प्रतिशत शून्य बिजली बिल वाले उपभोक्ताओं का प्रतिशत
| राज्य | शून्य बिल वाले उपभोक्ताओं का प्रतिशत (%) |
|---|---|
| उत्तराखंड | 42.2 |
| उत्तर प्रदेश | 14.0 |
| बिहार | 0 |
| छत्तीसगढ़ | 5.5 |
| हरियाणा | 3.1 |
| हिमाचल प्रदेश | 8.8 |
| कर्नाटक | 1.1 |
| ओडिशा | 16.4 |
| पंजाब | 0 |
| राजस्थान | 7.6 |
| त्रिपुरा | 11 |
राज्य सरकार की सब्सिडी बंद होने से उत्साह प्रभावित
पीएम सूर्य घर योजना में पिछले दिनों राज्य सरकार की सोलर रूफटाप सब्सिडी बंद कर दी गई है। अब लाभार्थियों को केवल केंद्र सरकार की सब्सिडी ही मिल रही है, जबकि पहले प्रदेश सरकार अलग से अतिरिक्त सब्सिडी देती थी। इससे देहरादून सहित अन्य जिलों पर पड़ा है। यहां आवेदन की रफ्तार पहले की अपेक्षा धीमी हो गई है। कई जिलों में बड़ी संख्या में आवेदन अटके हुए हैं।
कैसे हासिल किया जीरो बिल का टारगेट
-पहाड़ी-अर्ध-शहरी क्षेत्रों में औसत खपत कम होने से सोलर उत्पादन से बिजली जरूरत पूरी हो जाती है और बिल शून्य हो जाता है।
-अधिकांश उपभोक्ताओं ने 1-3 किलोवाट क्षमता के सिस्टम लगाए हैं, जिससे उत्पादन और खपत में संतुलन बना रहता है।
- दिन के समय बिजली उपयोग अधिक होने से सोलर से बनी बिजली सीधे खर्च होती है और ग्रिड पर निर्भरता घटती है।
- पर्याप्त धूप और कम तापमान के कारण सोलर पैनलों की दक्षता बेहतर रहती है और उत्पादन स्थिर रहता है।
- सरल आवेदन, सब्सिडी और नेट-मीटरिंग के साथ जागरूकता ने जीरो बिल वाले उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाई है।
‘उत्तराखंड में पीएम सूर्य घर योजना ने बेहद सकारात्मक परिणाम दिए हैं, कुल 23 हजार से अधिक घरों में अब कोई बिजली बिल नहीं आता। यह राज्य में जागरूकता व सरकार के प्रयासों से संभव हुआ है।’ -आर मीनाक्षी सुंदरम, प्रमुख सचिव-ऊर्जा

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