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    छह माह पहले हर्षिल में धूमधाम से हुआ था PM Modi का स्वागत, अब वहां प्रधानमंत्री को निहारेंगी उदास नजरें

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 01:22 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे से स्थानीय लोगों को काफी उम्मीदें हैं। छह महीने पहले उन्होंने हर्षिल से घाम तापो पर्यटन का संदेश दिया था। इस वर्ष वह दो बार उत्तराखंड आ चुके हैं और उन्होंने शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने का आह्वान किया था। अब प्राकृतिक आपदाओं के बाद लोग उनसे समर्थन और नई परियोजनाओं की उम्मीद कर रहे हैं।

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    उत्तराखंड प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से विकास की उम्मीदें. File Photo

    विकास गुसाईं, जागरण, देहरादून। आज से छह माह पूर्व यानी छह मार्च को गुरुवार का दिन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुखबा पहुंचे हैं। वह यहां से गंगोत्री के दर्शन कर रहे हैं तो वहीं कुछ समय बाद हर्षिल से धराली के सौंदर्य को निहार रहे हैं। स्थानीय निवासी अपनी स्थानीय वेशभूषा व परंपराओं के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत कर रहे हैं।

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    प्रधानमंत्री इनके बीच में घुल-मिल कर इस आतिथ्य का आनंद उठा रहे हैं। अपने संबोधन में वह यहां से शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए घाम तापो पर्यटन व जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने का संदेश दे रहे हैं। अब छह माह बाद फिर से गुरुवार को जब प्रधानमंत्री यहां पहुंचेंगे तो यहां हर्षिल व धराली की उदासी उनका स्वागत करेगी। प्रधानमंत्री की क्या प्रतिक्रिया होगी, इस पर उत्तराखंड की नजर रहेगी।

    घाम तापो पर्यटन

    प्रधानमंत्री मोदी के लिए उत्तराखंड कितना खास है, यह उनके राज्य के दौरों से भी परिलक्षित होता है। वह इस वर्ष दो बार उत्तराखंड आ चुके हैं। जनवरी में राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन करने देहरादून आए तो दो माह बाद वह शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने हर्षिल पहुंचे थे। वह उनका प्रधानमंत्री के रूप में उत्तराखंड का 13वां दौरा था। उस समय उन्होंने मुखवा और हर्षिल से उत्तराखंड में शीतकालीन तीर्थाटन और पर्यटन की जोरदार ब्रांडिंग की।

    उन्होंने तीर्थयात्रियों, पर्यटकों से लेकर कारपोरेट और फिल्म उद्योग तक को शीतकाल में उत्तराखंड आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा था कि हर्षिल की धरती पर आकर, अपनी दीदी, भुलियों को भी याद कर रहे हैं, क्योंकि वो उन्हें हर्षिल की राजमा और अन्य स्थानीय उत्पाद भी भेजती रहती हैं।

    पहाड़ का सीना छलनी

    अब इस छह माह में यहां काफी कुछ बदल गया है। पहाड़ का सीना छलनी और जख्मी हो गया है। खेती बरबाद हुई है तो जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हुआ है। अगर प्रधानमंत्री यहां स्थानीय निवासियों से मुलाकात करेंगे तो ये ही दीदी-भुलियां उनके सामने अपना दुखड़ा भी रखेंगी।

    यह देखा गया है कि प्रधानमंत्री जब भी उत्तराखंड आए हैं वह तब-तब उत्तराखंड को बड़ी सौगात मिली है। वर्ष 2014 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक केंद्र सरकार से उत्तराखंड को लगभग दो लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं मिल चुकी हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री का यह दौरा उम्मीदों भरा है। जिस तरह से प्रधानमंत्री हर समय उत्तराखंड के दुखदर्द के साथ खड़े नजर आएं हैं, वहीं आस इस बार भी उत्तराखंड को उनसे है।