Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड में खनन पर तीसरी नजर को अभी इंतजार, आज तक शुरू नहीं हो पाई है व्यवस्था

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Fri, 12 Nov 2021 02:53 PM (IST)

    अवैध खनन के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने खनन का परिवहन करने वाले वाहनों पर नजर रखने का निर्णय लिया। इसके तहत इन वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने क ...और पढ़ें

    Hero Image
    उत्तराखंड में खनन पर तीसरी नजर को अभी इंतजार, आज तक शुरू नहीं हो पाई है व्यवस्था।

    विकास गुसाईं, देहरादून। उत्तराखंड में अवैध खनन के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने खनन का परिवहन करने वाले वाहनों पर नजर रखने का निर्णय लिया। इसके तहत इन वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाने के साथ ही खनन व खनन भंडारण क्षेत्रों में सीसी कैमरे लगाने की बात हुई। मकसद यह कि इससे अवैध खनन पर अंकुश लगाया जा सकेगा। साथ ही प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा। इससे राज्य सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। बाकायदा खनन परिवहन नियमावली में वाहनों में जीपीएस ट्रेकिंग सिस्टम लगाने की व्यवस्था की गई। कहा गया कि इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए परिवहन विभाग मुख्यालय में कंट्रोल एंड कमांड सिस्टम और सेंटर बनाया जाएगा। यह भी कहा गया कि अवैध परिवहन होने की स्थिति में अधिकारियों के पास तुरंत इसकी सूचना आ जाएगी। अफसोस, खनन को लेकर लगातार चल रही राजनीति के बीच यह व्यवस्था आज तक शुरू नहीं हो पाई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड में नहीं बने नए बस अड्डे

    प्रदेश में यात्रियों की सुविधा के लिए नए बस अड्डों का निर्माण व पुराने बस अड्डों के विस्तारीकरण का कार्य गति नहीं पकड़ पाया है। यह स्थिति तब है, जब तकरीबन 12 स्थानों पर विस्तारीकरण की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री के काल में हो चुकी है। दस्तावेजों में मुख्यमंत्री घोषणा के रूप में ये दर्ज है। स्थिति यह है कि इनमें से अधिकांश के लिए अभी तक जमीन ही चिह्नित नहीं हो पाई है। जहां जमीन मिली भी है, तो वहां अन्य विधिक अड़चनें सामने आ रही हैं। स्थिति यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में निर्माण कार्य का उद्घाटन होने के बावजूद बस अड्डा अस्तित्व में नहीं आ पाया है। बस अड्डा न होने के कारण स्थानीय निवासियों को खासी परेशानी होती है। एक तो उन्हें अपने गंतव्य तक जाने के लिए दूसरे व्यावसायिक वाहनों का सहारा लेना पड़ता है, दूसरा सफर और ज्यादा महंगा हो जाता है।

    समान पद, समान नियमावली पर विभाग लापरवाह

    प्रदेश में कर्मचारियों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने सभी विभागों में हर संवर्ग की अलग नियमावली बनाने की प्रक्रिया को आसान करने का निर्णय लिया। इसके अंतर्गत सभी विभागों के संवर्गों के लिए एक समान नियमावली बनाने की बात हुई। कहा गया कि ऐसा करने से विभागों को पत्रावलियां बार-बार कार्मिक, वित्त और न्याय विभाग नहीं भेजनी पड़ेंगी। सभी विभागों को नियमावली के प्रस्ताव नियमावली प्रकोष्ठ में भेजने को कहा गया। दरअसल, कई विभागों में समान पद व संवर्गों की नियमावली व वेतन अलग-अलग हैं। इससे मामले कोर्ट में जाते रहते हैं। सरकार द्वारा तकरीबन डेढ़ वर्ष पूर्व लिए गए इस निर्णय पर विभाग लापरवाह बने हुए हैं। प्रस्ताव नियमावली प्रकोष्ठ मे न भेजकर सीधे कार्मिक को भेजे जा रहे हैं। इससे तमाम प्रयासों के बावजूद सरकार की सभी विभागों के लिए समान पद के लिए समान नियमावली की मंशा अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है।

    इस वर्ष संभव नहीं होमगार्ड की भर्ती

    चारधाम यात्रा से लेकर ट्रेफिक संचालन और सचिवालय से लेकर अन्य विभागों में अहम भूमिका निभाने वाले होमगार्ड की भर्ती पर ब्रेक लग गया है। यह भर्ती अब अगले साल से पहले होने की संभावना नहीं है। दरअसल, प्रदेश में अभी 6500 के आसपास होमगार्ड विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। सरकार ने तीन साल पहले इनकी संख्या 10 हजार करने का निर्णय लिया। संख्या बढ़ती, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार प्रदेश सरकार को होमगार्ड के मानदेय में वृद्धि करनी पड़ी। इन्हें अब तकरीबन 18 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिल रहा है। इनके सापेक्ष उपनल कर्मियों और पीआरडी के जवानों का मानेदय काफी कम है। ऐसे में अभी अधिकांश विभाग होमगार्ड के स्थान पर उपनल अथवा पीआरडी से संविदा कर्मियों को लेने पर जोर दे रहे हैं। होमगार्ड की घटती मांग और अधिक मानदेय को देखते हुए शासन ने संबंधित पत्रावली होमगार्ड निदेशालय को वापस लौटा दी है।

    यह भी पढें- उत्तराखंड में इन पांच नदियों में खनन को केंद्र पर निगाह, जानिए