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उड़ान भरते हुए जंगल की आग पर निगाह रखेंगे पायलट

उत्तराखंड में उड़ान भरते हवाई जहाज और हेलीकॉप्टरों के पायलट अब जंगल की आग पर भी निगाह रखेंगे। इसके मद्देनजर वन विभाग सिविल एविएशन का सहयोग लेने की तैयारी कर रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 18 Feb 2018 11:13 AM (IST)Updated: Tue, 20 Feb 2018 12:24 PM (IST)
उड़ान भरते हुए जंगल की आग पर निगाह रखेंगे पायलट

देहरादून, [केदार दत्त]: उत्तराखंड में उड़ान भरते हवाई जहाज और हेलीकॉप्टरों के पायलट अब जंगल की आग पर भी निगाह रखेंगे। इस कड़ी में दावानल पर नियंत्रण के मद्देनजर वन विभाग सिविल एविएशन का सहयोग लेने की तैयारी कर रहा है। जल्द ही योजना का खाका तैयार कर इसे राज्य के मुख्य सचिव के समक्ष रखा जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलते ही डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन (डीजीसीए) को प्रस्ताव भेजा जाएगा। योजना के परवान चढ़ने पर दिल्ली-देहरादून के बीच रोजाना संचालित 12 हवाई सेवाओं के साथ ही चारधाम यात्रा के दौरान करीब डेढ़ दर्जन कंपनियों की हेलीकॉप्टर सेवाओं के पायलट उड़ान के दौरान कहीं भी जंगल में धुंआ उठता नजर आने पर तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दे सकेंगे।

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पारे की उछाल के साथ ही प्रदेश में हर साल गर्मियों में जंगलों के धधकने से बड़े पैमाने पर वन संपदा खाक हो जाती है। अब यह चुनौती फिर से आ खड़ी हुई है। हालांकि, दावानल से निबटने के लिए पूरी तैयारियों का विभाग का दावा है, मगर इस मर्तबा उसका फोकस तुरंत सूचनाएं जुटाने पर है। वर्तमान में विभाग को भारतीय वन सर्वेक्षण से जीआइएस आधारित फायर अलर्ट मिलता है। फिर इसे विभाग अपने आइटी सिस्टम के जरिए संबंधित क्षेत्र का पता लगाकर इसकी सूचना फील्ड स्टाफ तक पहुंचाता है।

सूचना तंत्र को और सशक्त बनाने के लिए वन विभाग अब राज्य में उड़ान भरने वाले विमानों के पायलटों का सहयोग लेने की तैयारी कर रहा है। बता दें कि वर्तमान में दिल्ली-देहरादून के बीच रोजाना नियमित रूप से 12 उड़ाने हैं। इसके अलावा चारधाम यात्रा प्रारंभ होने पर करीब डेढ़ दर्जन कंपनियां हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध कराती हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री के साथ ही अन्य मंत्री और अधिकारी भी हेलीकॉप्टर से राज्य के दौरों पर निकलते हैं। उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक जयराज के अनुसार विमानों में जीपीएस सिस्टम होता है और आसमान से कहीं भी जंगल में धुंआ नजर आने पर पायलट इसकी सूचना दे सकते हैं। इस सूचना के आधार पर संबंधित क्षेत्र में आग बुझाने को तुरंत कदम उठाए जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि इस योजना के संबंध में जल्द ही मुख्य सचिव से वार्ता की जाएगी।

राजाजी नेशनल पार्क को ज्यादा फायदा

इस योजना के परवान चढ़ने पर सबसे अधिक लाभ राजाजी नेशनल पार्क को होगा। वजह ये कि दिल्ली-देहरादून के बीच रोजाना होने वाली नियमित उड़ानें इसके ठीक ऊपर से आती-जाती हैं।

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