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    सीडीएस बिपिन रावत के हेलीकाप्‍टर हादसे में मौत से उत्‍तराखंड वासी स्‍तब्‍ध

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Wed, 08 Dec 2021 06:14 PM (IST)

    जागरण संवाददाता देहरादून। आज तमिलनाडु के कुन्नूर जिले में सीडीएस बिपिन रावत को ले जा रहा सेना का हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। इस हादसे में सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्‍नी समेत 13 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे से उत्‍तराखंड वासी स्‍तब्‍ध हैं।

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    तमिलनाडु के कुन्नूर में सीडीएस बिपिन रावत को ले जा रहा सेना का हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। वायु सेना के हेलीकाप्टर हादसे में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 सैन्य अधिकारियों के आकस्मिक निधन से वीर भूमि उत्तराखंड स्तब्ध है। दोपहर में इस हादसे की सूचना टीवी चैनलों समेत इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद से ही लोग उम्मीद-आशंकाओं के बीच उनके स्वस्थ होने की कामना कर रहे थे। लेकिन, शाम को सेना मुख्यालय की ओर से हेलीकाप्टर हादसे में जनरल रावत व उनकी पत्नी समेत 13 अधिकारियों के मारे जाने की पुष्टि के बाद लोग समझ नहीं पा रहे कि यह क्या हो गया। कोई भी यकीन करने को तैयार नहीं कि जनरल रावत अब हमारे बीच नहीं रहे।

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    सैन्य बहुल राज्य उत्तराखंड के रहने वाले देश के पहले सीडीएस जनरल रावत का अपनी जन्मभूमि और यहां के निवासियों से आत्मीय जुड़ाव था। सैन्य बहुल राज्य होने के कारण यहां के हर व्यक्ति को जनरल भावनात्मक रूप से अपने बेहद करीब मानते थे। उन्हें उत्तराखंड पर गौरव था और उत्तराखंड को उन पर। जनरल रावत चाहते थे कि उत्तराखंड सफलता की सीढ़ियां चढ़े और यहां की आर्थिकी मजबूत हो। ताकि स्थानीय युवा देश-दुनिया में स्वयं को स्थापित कर उत्तराखंड को गौरवान्वित कर सकें। इसकी बानगी समय-समय पर उनकी बातों और विचारों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती थी।

    उत्तराखंडी समाज के प्रति जनरल रावत की एक अलग ही सोच रही। समय-समय पर अपनी चिंताओं में वे उत्तराखंड के प्रति अपनी सोच को रेखांकित भी करते थे। जब भी मौका मिलता, वे इस पहाड़ी प्रदेश के विकास को सुझाव अवश्य देते थे। वे चाहते थे कि यहां के युवा सेना का हिस्सा बनकर राष्ट्र रक्षा में अपना योगदान दें। लेकिन, इसके लिए उन्हें बेहतर अवसर भी मिलने चाहिए। सेवानिवृत्ति के बाद अपने पैतृक गांव में घर बनाने की मंशा भी उन्होंने इसी सोच को केंद्र में रखकर जताई थी।

    अंतिम बार एक दिसंबर को आए थे उत्तराखंड

    सीडीएस जनरल बिपिन रावत बीते एक दिसंबर को श्रीनगर आए थे। यही उनकी उत्तराखंड की अंतिम यात्र थी। तब श्रीनगर स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने स्पष्ट कहा था कि उत्तराखंड के युवा रोजगार की तलाश में न भटकें, बल्कि रोजगार देने वाले बनें। इसके लिए वे स्टार्टअप के जरिये एंटरप्रेन्योरशिप को भी विकसित करें। वे चाहते थे कि राज्य में साहसिक पर्यटन, जैविक खेती व जड़ी-बूटी उद्योग का भी विकास हो।

    नौ नवंबर को आए थे देहरादून

    चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को पहाड़ों से बेहद लगाव था। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच उन्हें जब भी अवसर मिलता वह उत्तराखंड आ जाते थे। बीती नौ नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर देहरादून आए थे। इस दौरान उन्होंने राजभवन में आयोजित स्वल्पाहार कार्यक्रम में भी शिरकत की थी। तब उन्होंने कहा था कि हमें पता है कि हमारी सरहद कहां तक है। हमने किसी भी देश को अपनी सरहद के अंदर अतिक्रमण नहीं करने दिया है।

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