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    Dehradun: उत्तराखंड में पेंशन की धांधली, समाज कल्याण विभाग को जिंदा ले रहे पेंशन या मुर्दा की नहीं जानकारी

    समाज कल्याण विभाग को यह तक नहीं मालूम कि वह जिन्हें पेंशन बांट रहा है वो जिंदा हैं या मुर्दा। क्योंकि विभाग में पेंशनधारकों के जीवन सत्यापन की कोई व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि हर साल बड़ी मात्रा में अपात्र पेंशन डकार रहे हों। कैग की रिपोर्ट में हर वर्ष इस प्रकार के फर्जीवाड़े की आशंका जताई जाती है।

    By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Sun, 03 Sep 2023 10:12 AM (IST)
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    समाज कल्याण विभाग को जिंदा ले रहे पेंशन या मुर्दा की नहीं जानकारी

    [जयदीप झिंक्वाण], देहरादून: समाज कल्याण विभाग का हाल भी गजब है। विभाग को यह तक नहीं मालूम कि वह जिन्हें पेंशन बांट रहा है, वो जिंदा हैं या मुर्दा। क्योंकि, विभाग में पेंशनधारकों के जीवन सत्यापन की कोई व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि हर साल बड़ी मात्रा में अपात्र पेंशन डकार रहे हों। यह हाल तब है, जब कैग की रिपोर्ट में हर वर्ष इस प्रकार के फर्जीवाड़े की आशंका जताई जाती है।

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    राज्य सरकार पेंशन में धांधली रोकने को सेवानिवृत्त कर्मचारियों से हर वर्ष जीवित प्रमाण पत्र लेती है, लेकिन उत्तराखंड का समाज कल्याण विभाग किसी भी पेंशनधारक से ऐसा कोई प्रमाण नहीं लेता। जबकि, विभाग चार श्रेणियों (वृद्धावस्था, विधवा, किसान और दिव्यांग) में हर माह करोड़ों रुपये बतौर पेंशन जारी करता है।

    देहरादून में हैं एक लाख 393 पेंशनधारक

    अकेले देहरादून जिले में ही एक लाख 393 पेंशनधारक हैं। इन्हें हर माह 15 करोड़ 36 लाख नौ हजार 900 रुपये पेंशन के रूप में जारी किए जाते हैं। इनमें से कितने पेंशनधारक वर्तमान में जीवित हैं, विभाग को नहीं मालूम। इस बाबत समाज कल्याण अधिकारी देहरादून गोरधन सिंह का कहना है कि दो महीने तक खाते से पेंशन नहीं निकाले जाने पर सहायक समाज कल्याण अधिकारी पेंशनधारक से संपर्क करते हैं।

    नगर निकाय और ग्राम पंचायत की सूचना पर निर्भर समाज कल्याण विभाग

    पेंशनधारकों की मृत्यु की सूचना के लिए नगर निकायों और ग्राम पंचायतों पर निर्भर है। समाज कल्याण अधिकारी देहरादून गोरधन सिंह के अनुसार, किसी पेंशनधारक की मृत्यु होने पर इसकी जानकारी नगर निकायों और ग्राम पंचायत की ओर से खुली बैठक में दी जाती है। इसके बाद पेंशन बंद कर दी जाती है।

    मृतक के स्वजन की सूचना पर पेंशन बंद करने का प्रावधान

    इसके अलावा मृतक के स्वजन की सूचना पर पेंशन बंद करने का प्रावधान है लेकिन, ये तर्क भी विभाग की व्यवस्था को सवालों के कठघरे में खड़ा करते हैं। खुली बैठक छह माह में एक बार होती है। अगर किसी पेंशनधारक की मृत्यु बैठक से कुछ माह पहले हो जाए तो बैठक होने तक उसकी पेंशन जारी रहेगी।

    संशय इस बात पर भी है कि क्या नगर निकायों और ग्राम पंचायतों तक हर पेंशनधारक की मृत्यु की सूचना पहुंचती होगी। कितने पेंशनधारकों के स्वजन ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाते होंगे, इस बारे में भी कोई दावा नहीं किया जा सकता।

    छात्रवृत्ति घोटाले से भी सबक नहीं

    समाज कल्याण विभाग में वर्ष 2010 से 2018 तक छात्रवृत्ति घोटाला चलता रहा, जो तकरीबन 500 करोड़ तक पहुंच गया। इसके तार उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में स्थित शिक्षण संस्थानों से जुड़े। बावजूद इसके पेंशन में जीवित प्रमाण पत्र की व्यवस्था लागू नहीं करना बताता है कि विभाग ने इससे कोई सबक नहीं लिया।

    देहरादून में पेंशनधारक

    वृद्धावस्था - 61,400

    दिव्यांग - 10,900

    विधवा - 27,361

    किसान - 732

    पेंशन राशि (प्रतिमाह)

    वृद्ध, विधवा और दिव्यांग - 1500 रुपये

    किसान - 1200 रुपये

    देहरादून समाज कल्याण अधिकारी गोरधन सिंह के अनुसार, पेंशनधारकों का समय-समय पर सत्यापन किया जाता है। सहायक समाज कल्याण अधिकारी को भी पेंशनधारकों से समन्वय बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। जीवित प्रमाण पत्र की बात है तो विभाग में इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है।