तीन माह से प्रदूषण के आंकड़े अपडेट नहीं कर पाया पीसीबी, जानकारी साझा करने में 11वीं रैंक के साथ औसत रहा उत्तराखंड
प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण ऐसा विषय है जो आमजन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। प्रदूषण के आंकड़ों के साथ प्रदूषण की रोकथाम (पर्यावरण संरक्षण) को किए ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण ऐसा विषय है, जो आमजन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। प्रदूषण के आंकड़ों के साथ प्रदूषण की रोकथाम (पर्यावरण संरक्षण) को किए जा रहे कार्यों की जानकारी जनता को नियमित रूप से दी जानी चाहिए। इसके अनुरूप उत्तराखंड पर्यावरण बोर्ड की स्थिति देखें तो पारदर्शिता के मामले में राज्य का स्थान 11वां है। यह प्रदेश की औसत स्थिति को दर्शाता है। वहीं, पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश आठवीं रैंक के साथ हमसे आगे है।
देश के 29 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और छह प्रदूषण नियंत्रण समितियों के कामकाज में पारदर्शिता पर सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट ने रैंकिंग जारी की है। इस रैंकिंग के आधार पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) का आकलन किया जाए तो यहां कई मोर्चों पर सुधार की जरूरत नजर आती है। किसी भी विभाग की वेबसाइट वह सार्वजनिक प्लेटफार्म होता है, जिससे जनता विभाग की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकती है। शासन के विभिन्न निर्देशों के मुताबिक सभी विभागों/संस्थानों की वेबसाइट अपडेट रहनी चाहिए। पारदर्शिता के लिए यह जरूरी भी है।
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर प्रदूषण के विभिन्न आंकड़े उपलब्ध तो हैं, मगर उन्हें महीनों से अपडेट नहीं किया गया है। अधिकतर आंकड़े जून तक के हैं। इसके अलावा बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2017-18 के बाद से अपडेट नहीं की गई है।
ई-वेस्ट के नाम पर सिर्फ अधिकृत एजेंसियों के नाम
प्रदेश में ई-वेस्ट या इलेक्ट्रानिक वेस्ट की स्थिति क्या है, यह जानकारी पीसीबी के पास नहीं है। बोर्ड की वेबसाइट पर सिर्फ ई-वेस्ट का उठान/निस्तारण करने के लिए अधिकृत एजेंसियों/डीलरों के नाम उपलब्ध हैं।
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सिर्फ दो शहरों का एयर एक्शन प्लान
उत्तराखंड में वायु प्रदूषण का सर्वाधिक स्तर देहरादून में है। लिहाजा, यहां के एयर एक्शन प्लान की जानकारी साझा करना जरूरी है। बोर्ड की वेबसाइट में सिर्फ काशीपुर व ऋषिकेश का एक्शन प्लान अपलोड किया जा सका है। एयर एक्शन प्लान में यह बताया जाता है कि संबंधित क्षेत्र में वायु प्रदूषण को न्यूनतम करने के लिए कौन से कदम उठाए जा रहे हैं।
ये आंकड़े अपडेट नहीं
- प्रमुख शहरों में वायु, ध्वनि व एयर क्वालिटी इंडेक्स (साप्ताहिक आधार पर) के आंकड़े जून 2021 तक के ही हैं।
- ग्राउंड वाटर की स्थिति की रिपोर्ट सिर्फ वर्ष 2019 और 2020 की है।
- प्रदूषित नदियों के आंकड़े मई 2021 तक के ही अपलोड किए गए हैं।
- प्रदेश के विभिन्न सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले जल की गुणवत्ता के आंकड़े मई 2021 के बाद के नहीं हैं।
- बायोमेडिकल वेस्ट के आंकड़े फरवरी 2020 तक के हैं।

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