सैलरी कम मिलने के कारण एक ही कंपनी के तीन कर्मचारी बन गए ठग, दुकानदारों को बनाया निशाना; लेकिन ऐसे खुली पोल
Paytm Fraud खुद को पेटीएम एप का कर्मचारी बताकर दुकानदारों से ठगी करने वाले एक गिरोह का रायपुर थाना पुलिस ने पर्दाफाश किया है। उनके खाते में पड़े 40 हज ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, देहरादून: Paytm Fraud: खुद को पेटीएम एप का कर्मचारी बताकर दुकानदारों से ठगी करने वाले एक गिरोह का रायपुर थाना पुलिस ने पर्दाफाश किया है।
आरोपित दिल्ली व देहरादून में ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। पुलिस ने आरोपितों के पास से बड़ी मात्रा में मोबाइल, पेटीएम कार्ड व सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। वहीं उनके खाते में पड़े 40 हजार रुपये भी फ्रीज कर दिए हैं।
एसएसपी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि 12 अप्रैल को अज्ञात व्यक्तियों ने सुदंरवाला रायपुर स्थित एक व्यक्ति से पेटीएम स्कैनर ठीक करवाने के नाम पर एक लाख 40 हजार रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर दिए थे।
मुकदमा दर्ज कर आसपास सीसीटीवी कैमरे खंगाले
शिकायतकर्ता के आधार पर रायपुर थाना पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आसपास सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए। थानाध्यक्ष कुंदन राम की देखरेख में टीम गठित कर खातों की जांच शुरू की गई।
जांच के दौरान पेट्रोल पंप के निकट एक संदिग्ध स्कूटी के साथ दो व्यक्ति दिखाई दिए, जोकि एक अन्य व्यक्ति को बैठाकर आइएसबीटी की तरफ निकले। यहां से एक व्यक्ति बस में जबकि दो अन्य स्कूटी से सहारनपुर की ओर गए।
सहारनपुर रोड पर देवबंद टोल टैक्स के कैमरों को चेक किया गया तो वहां स्कूटी का नंबर ट्रेस हो गया, जोकि दिल्ली का निकला। एसएसआइ नवीन जोशी के नेतृत्व में एक टीम दिल्ली रवाना की गई, जहां स्कूटी की रजिस्ट्रेशन डिटेल खंगाली गई तो वह गौरव निवासी मंडोली दिल्ली के नाम पर दर्ज होनी पाई गई।
पुलिस को सूचना मिली कि आरोपित दोबारा देहरादून में घटना को अंजाम देने के लिए पहुंच रहे हैं, जिसके आधार पर पुलिस ने आरोपित गौरव व हिमांशु निवासी मंडोली एक्सटेंशन दिल्ली और सुशील कुमार निवासी सुभाष मोहल्ला गोंडा भजनपुर दिल्ली को हरिद्वार रोड से गिरफ्तार किया गया।
मार्केटिंग का काम बंद कर ठगी करनी शुरू की
एसएसपी ने बताया कि तीनों आरोपित एक मार्केटिंग कंपनी नेशन एक्सप्रेस में काम करते थे। वेतन कम होने के कारण उन्होंने ठगी करनी की योजना बनाई। तीनों ने आनलाइन दुकानों में पेटीएम स्कैनर लगाने का काम सीखा और दुकानदारों को ठगना शुरू कर दिया।
उनकी ओर से दुकानदारों से उनका मोबाइल नंबर लिया जाता है जिससे सिम निकालकर वह अपने मोबाइल में डालते हैं और अपने मोबाइल में पेटीएम रजिस्टर्ड कर लेते हैं। इसके बाद दुकानदार के पेटीएम की प्रोफाइल सेटिंग में जाकर मैनेज नोटिफिकेशन पर जाकर सभी नोटिफिकेशन का अलर्ट बंद कर देते हैं।
इसके बाद दुकानदार का सिम अपने मोबाइल से निकालकर उनके मोबाइल में डाल दिया जाता है। आरोपितों ने बताया कि उनके मोबाइल पर दुकानदार की सिम से रजिस्टर्ड पेटीएम 48 घंटे तक चलता है, इस दौरान वह कहीं भी ट्रांजेक्शन कर देते हैं।
\Bदिल्ली से स्कूटी पर सवार होकर पहुंचते थे देहरादून\B
तीनों आरोपित स्कूटी से दिल्ली से देहरादून आते थे और घटना के बाद उसी स्कूटी से वापस चले जाते थे। छह अप्रैल को भी उन्होंने लाडपुर में भी एक सब्जी वाले के साथ इसी तरह से एक लाख 40 हजार रुपये की ठगी की। ठगी की धनराशि वह अपने रिश्तेदार, दोस्त एवं दिल्ली में सतीश नाम के व्यक्ति जोकि जीटीवी अस्पताल दिल्ली में काम करता है, उसके खाते में डलवाई जाती है। सतीश अपना कमीशन काटकर बाकी रकम तीनों को वापस कर देता है।
\Bऐसे देते थे ठगी की घटनाओं को अंजाम\B
एसएसपी ने बताया कि तीनों आरोपितों ने देहरादून में दो जगह, रुड़की-हरिद्वार में एक-एक जगह, दिल्ली में तीन जगह व गाजियाबाद यूपी में दो जगह इसी तरह धोखाधड़ी कर साढ़े छह लाख रुपये दुकानदारों से हड़पे हैं। आरोपित गौरव ने बताया कि वह स्कूटी चलाता है और ऐसे दुकानदारों को ढूंढता है जोकि पेटीएम का बार कोड यूज करते हैं। इसके बाद हिमांशु व सुशील दोनों दुकान पर जाते हैं जहां सुशील दुकानदार को बातों में लगाकर पेटीएम की केवाइसी व पेटीएम को इस्तेमाल करने के बारे में जानकारी देता है। वहीं हिमांशु दुकानदार के मोबाइल का सिम निकालकर अपने मोबाइल फोन पर लगाकर पेटीएम का एक्सेस अपने फोन में ले लेता है। दुकान से निकलकर कुछ देर बाद वह खाते से धनराशि ट्रांसफर कर लेते हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।