पटना के फर्जी एक्सचेंज के मास्टरमाइंड की देहरादून में तलाश
गाजियाबाद में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले गैंग के मास्टरमाइंड की देहरादून में पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है।
देहरादून, जेएनएन। गाजियाबाद में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाले गैंग के मास्टरमाइंड की देहरादून में पुलिस सरगर्मी से तलाश कर रही है। हालांकि, एक सप्ताह गुजर जाने के बाद भी पुलिस उसकी लोकेशन ट्रेस नहीं कर सकी है। उसके दो साथी पिछले सप्ताह पटना में गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
एक सप्ताह पहले पटना (बिहार) में फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज चलाने का मामला सामने आया था। इस प्रकरण में पटना में बंगाल के राजीव बनिक और बोकारो के अदनान शामी को गिरफ्तार किया था। इन दोनों के अलावा गाजियाबाद निवासी रितेश, दिल्ली निवासी विकास और देहरादून निवासी अनुराग फरार है। इस गिरोह का मास्टरमाइंड अनुराग है। तभी से देहरादून पुलिस उसकी तलाश कर रही है। वहीं, राजीव और अदनान ने पूछताछ में पुलिस के सामने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। जिसके बाद से बिहार, उत्तर प्रदेश और अब उत्तराखंड पुलिस इस बात की तलाश कर रही है कि कहीं इस गैंग का आतंकी, माओवादी, अंडरवल्र्ड कनेक्शन तो नहीं है। आमतौर पर इस तरह के एक्सचेंज का प्रयोग हवाला कारोबार में होता है।
गाजियाबाद से ऑपरेट होता था सिस्टम
अनुराग गाजियाबाद में बैठकर एक्सचेंज को ऑपरेट करता था। उसके गुर्गे दिल्ली और अन्य राज्यों में भी फैले थे। गिरफ्त में आए दोनों शातिरों ने पुलिस को बताया कि उनका मुख्य ऑफिस गाजियाबाद में है। गाजियाबाद से जैसा आदेश मिलता था, वैसा ही वो करते थे।
डेटा कॉल को वायस कॉल में बदल देता था सिस्टम
अदनान और राजीव को पूरी ट्रेनिंग देकर पटना भेजा गया था। इन दोनों को पटना में कारोबार की जड़ें जमानी थीं। दोनों से पुलिस को जानकारी मिली कि खास तरह के सॉफ्टवेयर से वह डेटा कॉल को वायस कॉल में बदल देते थे। इसके बाद उसे पीआरआइ से कनेक्ट कर देते, जिससे रिसीवर के नंबर पर लोकल नंबर से फोन चला जाता था। जांच में यह भी सामने आया है कि फर्जी एक्सचेंज का पूरा सिस्टम विदेशी सर्विस प्रोवाइडर से जुड़ा हुआ था। अदनान ने इस बात का भी खुलासा किया है कि ज्यादातर फोन खाड़ी देशों और पाकिस्तान से आते थे।
अरुण मोहन जोशी (डीआइजी, देहरादून) का कहना है कि प्रकरण में संबंधित राज्यों से इनपुट लेकर पूरे मामले की जांच एसपी सिटी श्वेता चौबे को सौंपी गई है। कार्रवाई की जा रही है।
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आंतरिक सुरक्षा के लिए भी खतरा
सूत्रों की मानें तो इस तरह के एक्सचेंज से किए गए फोन कॉल को ट्रेस करना आसान नहीं होता। बीती मई में ही मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने ऐसे फर्जी एक्सचेंज का भंडाफोड़ किया था। इस एक्सचेंज से सेना के एक अधिकारी को फोन कर पहचान छिपाते हुए खुफिया जानकारी मांगी गई थी।
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