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कोरोना से जंग जीत चुके मरीजों को अब दून अस्‍पताल से जाएगी फालोअप कॉल

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल अब कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों की निगरानी को भी अलग तंत्र विकसित कर रहा है। जिसके जरिए मरीजों को समय-समय पर बुलाकर या फोन कॉल के माध्यम से परेशानियों के बारे में पूछताछ की जाएगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 11:31 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 11:31 AM (IST)
कोरोना से जंग जीत चुके मरीजों को अब दून अस्‍पताल से जाएगी फालोअप कॉल
कोरोना से जंग जीत चुके मरीजों को अब दून अस्‍पताल से फालोअप कॉल जाएगी।

देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल अब कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों की निगरानी को भी अलग तंत्र विकसित कर रहा है। जिसके जरिए मरीजों को समय-समय पर बुलाकर या फोन कॉल के माध्यम से परेशानियों के बारे में पूछताछ की जाएगी। फालोअप कॉल की जिम्मेदारी इंटर्न व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों को दी जा रही है। यह लोग हर दिन औसतन 50 मरीजों से संपर्क स्थापित कर उनकी सेहत की जानकारी लेंगे। खासकर आइसीयू में भर्ती व कोरोना के साथ ही अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों (अब स्वस्थ) पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। इसके लिए उनका डाटाबेस तैयार किया जा रहा है।

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ऐसे कई लोग जो कोरोना को हराकर ठीक हो गए हैं, वे अब भी इस वायरस द्वारा दी गई दिक्कतों को ङोलने पर मजबूर हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों में ठीक होने के कुछ दिनों बाद भी अलग तरह के डिसऑर्डर दिख रहे हैं। इनमें अनिद्रा, एंजाइटी, शारीरिक कमजोरी, सांस फूलना, डिप्रेशन आदि शामिल हैं। वहीं चिड़चिड़ापन, गुस्सा, फोकस की कमी जैसी समस्याएं भी परेशान कर रही हैं। यही नहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि बुर्जुग या वह लोग जो उच्च जोखिम वाले श्रेणी में आते हैं उनके लिए पोस्ट कोविड देखभाल की ज्यादा जरूरत है। यदि व्यक्ति को गंभीर श्वास रोग, पल्मोनरी फाइब्रोसिस, मधुमेह, हृदय रोग जैसी समस्याएं रही हैं तो कोरोना से ठीक होने के बावजूद उन्हें स्वास्थ्य की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना के अनुसार कोरोना से स्वस्थ होने के बाद ऐसे मरीज जिन्हें पहले से भी गंभीर बीमारी होती है, उन्हें ठीक होने में समय लगता है। पोस्ट कोविड केयर के तहत ऐसे लोगों की कोरोना से ठीक होने के बाद भी विभिन्न स्तर पर जांच की जाएगी। जिसमें जनरल मेडिसिन, काíडयोलॉजी, पल्मनोलॉजी, साइकेट्री, फिजिकल मेडिसिन व रिहैबलिटेशन और अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों को शामिल किया जा रहा है।

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यह देखा जाएगा कि व्यक्ति को मानसिक रूप से क्या परेशानियां हो रहीं हैं, उसका इम्यून सिस्टम ठीक से काम कर रहा है या नहीं, रेस्पीरेटरी (सांस संबंधी) समस्या तो नहीं है। साथ ही फिजिकल रिहैलिटेशन के पहलू पर गौर किया जाएगा। व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ है और फेफड़ों में सिकुड़न, मानसिक तनाव या अन्य स्वास्थ्य समस्या होती है तो इसका समय रहते उपचार किया जाएगा। फिजिकल मेडिसिन एंड रिहेबिलिटेशन विभाग के फिजिशियन डॉ. अभिषेक चौधरी मरीजों की शुरुआती स्क्रीनिंग करेंगे। वह जरूरत मुताबिक उन्हें किसी स्पेशलिस्ट को रेफर करेंगे।

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