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पहाड़ी भुली जगा रही महिलाओं में स्वावलंबन के आस, मेक इन इंडिया और वोकल फार लोकल के सपने को भी कर रही हैं साकार

पहाड़ी भुली ग्राम संगठन महिलाओं में स्वावलंबन के आस जगा रही है। साथ ही मेक इन इंडिया और वोकल फार लोकल के सपने को भी साकार कर रही हैं। यह संगठन महिलाओं को जूट से बनी वस्तुएं बैग पर्स फाइल फोल्डर आदि बनाने का प्रशिक्षण दे रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 06 Apr 2022 10:24 AM (IST)Updated: Wed, 06 Apr 2022 10:24 AM (IST)
हर्बल रंग बनाने के लिए पत्तियां एकत्र करती महिलाएं। जागरण

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। ग्रामसभा खदरी-खड़कमाफ में 'पहाड़ी भुली' ग्राम संगठन महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम कर रहा है। विकासखंड डोईवाला में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत पंजीकृत इस मातृ समूह से अब तक दस महिला स्वयंसेवी संगठन जुड़ चुके हैं, जिनमें करीब सौ महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर, मेक इन इंडिया और वोकल फार लोकल के सपने को पंख लगाने का काम कर रही हैं।

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'पहाड़ी भुली ' ग्राम संगठन से जुड़े महिला स्वयंसेवी संगठनों में मोहिनी स्वयं सहायता समूह, शिवांश स्वयं सहायता समूह, एकता स्वयं सहायता समूह, राधे-राधे स्वयं सहायता समूह, गंगा स्वयं सहायता समूह, वैष्णवी स्वयं सहायता समूह, ज्वालपा स्वयं सहायता समूह, नया सवेरा स्वयं सहायता समूह व दुर्गा शक्ति स्वयं सहायता समूह शामिल हैं। इन प्रत्येक समूह में दस-दस महिलाएं जुड़ी हैं।

इन महिला समूहों को डोईवाला ब्लाक की ओर से समय-समय पर विभिन्न प्रशिक्षण दिए जाते हैं। पिछले एक वर्ष में 'पहाड़ी भुली' ग्राम संगठन की ओर से इन स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को जूट से बनी वस्तुएं बैग, पर्स, फाइल फोल्डर, बोतल बैग और घर के लिए सजावटी वस्तुएं व खाद्य पदार्थ मठरी आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा त्योहारों के मौके पर महिलाओं को हर्बल रंग, दीए, मोमबत्ती आदि बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रशिक्षण हासिल कर इन महिला समूहों ने पिछले एक वर्ष में अपने कार्यों से खासी पहचान बनाई है। महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी यह महिलाएं खाली समय में अपने घर पर और समूह के कार्यालय में एकत्र होकर अपने हुनर से उत्पाद तैयार करती हैं। इन उत्पादों को ग्राम संगठन 'पहाड़ी भुली' के माध्यम से बाजार में भेजा जाता है। जिससे इन महिलाओं को आमदनी भी हो रही है।

ग्राम संगठन 'पहाड़ी भुली' की अध्यक्ष ईशा कलूडा चौहान ने बताया कि महिलाएं किसी भी काम को बेहतर ढंग से करने की क्षमता रखती हैं। उन्हें सही माध्यम और प्रशिक्षण दिया जाए तो वह निश्चित रूप से सफलता के साथ अपने कार्य को अंजाम दे सकती हैं। हमारे ग्राम संगठन की यह बड़ी उपलब्धि रही कि हम अब तक दस संगठनों के माध्यम से सौ महिलाओं को स्वावलंबन से जोड़ चुके हैं।

त्योहारी सीजन में आकर्षण बटोरते हैं महिलाओं द्वारा तैयार उत्पाद

त्योहारी सीजन खास कर होली, दीपावली तथा रक्षाबंधन के लिए यह महिला समूह जरूरत के उत्पाद तैयार करते हैं। होली पर हर्बल रंग तो दीपावली पर दीए और मोमबत्ती जबकि रक्षाबंधन पर आकर्षक राखियां महिला समूहों की ओर से तैयार की जाती हैं। त्योहारों के मौके पर महिला समूह स्वयं ही स्टाल लाकर इनकी बिक्री करती हैं। यह उत्पाद इतने आकर्षक और भरोसेमंद हैं कि लोग बाजार में उपलब्ध उत्पादों के बजाय इन्हें खरीदना पसंद करते हैं।

इस बार होली में महिला समूहों ने गुजिया और मटरी भी तैयार की, जो हाथों-हाथ बिक गई। इसके अलावा संगठन ने इस होली पर 80 किलो हर्बल रंग तैयार किए, जिससे महिलाओं की अच्छी आमदनी हुई।

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सरकार से लाभ

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की ओर से भी ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है। जिससे महिलाएं अपने हुनर को एक पहचान दे सकती हैं। ईशा कलूड़ा चौहान ने बताया कि पिछले एक वर्ष में संगठन से जुड़ी महिलाओं ने बेहतर काम किया है। अब उनका लक्ष्य महिला समूहों को सरकारी मदद दिलाकर और बड़े स्तर पर उत्पाद तैयार कराना है।

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