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जानें- कौन हैं योगी ऐरन, जो 84 साल की उम्र में भी दूसरों की सेवा के लिए बने हैं 'युवा'; गजब का है जज्बा

Padma Award प्लास्टिक सर्जन डा. ऐरेन ने चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने न सिर्फ अपना अहम योगदान दिया है बल्कि आर्थिक रूप से कमजोरों के लिए देवदूत बने। उनकी इस सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Mon, 08 Nov 2021 03:38 PM (IST)Updated: Mon, 08 Nov 2021 10:58 PM (IST)
जानें- कौन हैं योगी ऐरन, जो 82 से ज्यादा साल की उम्र में दूसरों की सेवा को बने हैं युवा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। Padma Award कुछ शख्सियतें ऐसी होती हैं, जो खुद के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए जीती हैं....उम्र के उस पड़ाव में भी वे दूसरों की सेवा करते हैं, जिस पड़ाव में हम सिर्फ आराम करने की सोचते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं डा. योगी ऐरन। प्लास्टिक सर्जन डा. ऐरन ने चिकित्सा के क्षेत्र में न सिर्फ अपना अहम योगदान दिया है, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोरों के लिए देवदूत बने। उनकी इस सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। तो चलिए आपको पद्मश्री डा. योगी ऐरन से रूबरू करवाते हैं।

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उम्र भले ही कुछ भी हो, लेकिन अगर इंसान के अंदर जज्बा है अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहने का तो उसे कोई भी रोक नहीं सकता है। ये लाइनें 84 साल की उम्र के डा. योगी ऐरन पर सटीक बैठती हैं। वे आज भी लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं। बुजुर्ग प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगी ऐरन अब तक 5000 से अधिक निश्शुल्क प्लास्टिक सर्जरी कर चुके हैं। उनकी इस सेवाभाव का नतीजा है कि उन्हें साल 2020 के पद्म पुरस्कारों की सूची में शामिल किया गया और आज उन्हें राष्ट्रपति ने सम्मान से नवाजा।

उत्तराखंड के देहरादून निवासी योगी ऐरन ने हजारों चेहरों की मुस्कान लौटाई है। पहाड़ी इलाकों में अक्सर जंगल की आग और जानवरों के हमले में लोग घायल होते हैं। इसमें कुछ का चेहरा बिगड़ जाता है तो कई का शरीर विकृत हो जाता है। तब प्लास्टिक सर्जरी ही एकमात्र उपाय होता है, जिसके जरिये पीड़ि‍त व्यक्ति नई जिंदगी पा सकता है। पर, पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले ग्रामीणजन आर्थिक तौर पर इतने सक्षम नहीं होते कि वे किसी अच्छे प्लास्टिक सर्जन के पास पहुंचे। ऐसे में डा. ऐरन उनके लिए देवदूत से कम नहीं। 

अमेरिका में रह चुके हैं प्लास्टिक सर्जन

योगी ऐरन एक दौरा में अमेरिका में भी प्लास्टिक सर्जन रह चुके हैं। वे पिछले करीब 15 सालों से मानवता की सेवा में लगे हुए हैं। डा. योगी के हाथ का हुनर कुछ ऐसा है, जिससे वे किसी बड़े शहर में अपना खुद का अस्पताल खोलकर भी मोटी कमाई कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने इससे हटकर उन लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने को अपना उद्देश्य बनाया, जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं।

अमेरिकी डॉक्टर भी आए साथ

डा योगी 1966 से 1984 तक अमेरिका में प्रेक्टिस किया करते थे। इसके बाद वे अपनी जड़ों में वापस लौट आए। हालांकि कुछ अमेरिकी सर्जन अब भी उनसे जुड़े हुए हैं और उनकी इस मुहिम का हिस्सा भी बन गए हैं। योगी ने इस काम को बड़ा स्वरूप देने के लिए हेल्पिंग हैंड नाम से एक संस्था भी शुरू की है, जो अमेरिकी चिकित्सकों की मदद से निशुल्क सर्जरी कैंप का आयोजन करती है।  इस मुहिम के तहत योगी ने अब एक कदम और बढ़ाया है। देहरादून में सहस्रधारा रोड पर आइटी पार्क के निकट योगीज हेल्पिंग हैंड नाम से एक हॉस्पिटल उन्होंने शुरू किया है। अब यहां भी जरूरतमंदों का निशुल्क इलाज हो रहा है। 

जानिए योगी ऐरन के बारे में...

- 16 सितंबर 1937 में हुआ जन्म। 

-डॉ. योगी एरेन ने 1967 में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से स्नातक।

-प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना से वर्ष 1971 में प्लास्टिक सर्जरी में मास्टर्स डिग्री।।

-डॉ. योगी ने लखनऊ और देहरादून के सरकारी अस्पतालों और प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना में रहे कार्यरत।

-मियामी में डॉ. आर मिलार्ड की देखरेख में तराशा हुनर।

-सितंबर 2006 में डॉ. ऐरन और उनके बेटे डॉ. कुश ने देहरादून में अमेरिका की संस्था रीसर्ज की मदद से किया पहला कैंप।

- कई लोगों को दे चुके नया जीवन।

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