मित्र देश भी मान रहे भारतीय सैन्य अकादमी का लोहा, साल 1932 में 40 कैडेट के साथ शुरू हुआ था स्वर्णिम सफर
आइएमए ने देश-दुनिया को एक से बढ़कर एक नायाब अफसर दिए हैं। यहां प्रशिक्षण लेने वालों में न केवल देश बल्कि विदेशी कैडेट में शामिल रहते हैं। अकादमी के कड़े प्रशिक्षण व अनुशासन का लोहा मित्र देश भी मान रहे हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। IMA Passing Out Parade भारतीय सैन्य अकादमी ने देश-दुनिया को एक से बढ़कर एक नायाब अफसर दिए हैं। यहां प्रशिक्षण लेने वालों में न केवल देश बल्कि विदेशी कैडेट में शामिल रहते हैं। अकादमी के कड़े प्रशिक्षण व अनुशासन का लोहा मित्र देश भी मान रहे हैं।
वर्ष 1932 में 40 कैडेट के साथ अकादमी का सुनहरा सफर शुरू हुआ था। प्रथम बैच में फील्ड मार्शल सैम मानेक शा, म्यांमार के सेनाध्यक्ष स्मिथ डन और पाकिस्तान सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा पास आउट हुए थे। तब से यह संस्थान जांबाज युवा अफसरों की फौज तैयार कर रहा है। खास बात यह कि अकादमी में मित्र देशों के भी कैडेट प्रशिक्षण लेते हैं। अब तक अकादमी 33 मित्र देशों के 2656 युवाओं को प्रशिक्षित कर चुका है। इस बार भी 68 विदेशी कैडेट आइएमए से पास आउट होंगे।
किस देश के कितने कैडेट
देश-कैडेट
अफगानिस्तान-40
भूटान-15
तजाकिस्तान-05
श्रीलंका-02
नेपाल-01
मालद्वीव-01
म्यांमार-01
तंजानिया-01
वियतनाम-01
तुर्किमेनिस्तान- 01
लाइट एंड साउंड शो में दिखा स्वर्णिम इतिहास
शुक्रवार शाम अकादमी में लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया गया। इसके जरिये दिखाया गया कि स्थापना से लेकर वर्तमान तक भारतीय सैन्य अकादमी में जेंटलमैन कैडेट को मिलने वाले प्रशिक्षण के साथ ही अकादमी के संरचनात्मक ढांचे में कितना बदलाव आया है। अतीत में अकादमी की तस्वीर कैसी थी और वर्तमान में कैसी है, इसकी झलक भी लाइट एंड साउंड शो में दिखी। वहीं,भारतीय सेना के अदम्य साहस और बलिदान की गाथा भी इसके माध्यम से दर्शाई गई। मुख्य अतिथि राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द, राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि), आइएमए के कमांडेंट ले. जनरल हरिंदर सिंह, डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल आलोक जोशी समेत कई वरिष्ट सैन्य अधिकारी व कैडेट के स्वजन भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
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