अब लद्दाख के सरपंच उत्तराखंड में सीखेंगे पंचायतीराज के गुर, 45 सरपंचों का दल पहुंचा दून
जम्मू-कश्मीर के बाद अब केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की ग्राम पंचायतों के सरपंच उत्तराखंड में पंचायतीराज व्यवस्था के गुर सीखेंगे। इस क्रम में लद्दाख से 45 सरपंचों का दल रविवार को देहरादून पहुंच गया। सोमवार से इस दल का प्रशिक्षण शुरू होगा।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। जम्मू-कश्मीर के बाद अब केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की ग्राम पंचायतों के सरपंच उत्तराखंड में पंचायतीराज व्यवस्था के गुर सीखेंगे। इस क्रम में लद्दाख से 45 सरपंचों का दल रविवार को देहरादून पहुंच गया। सोमवार से इस दल का प्रशिक्षण शुरू होगा। लद्दाख के उप राज्यपाल आरके माथुर भी वर्चुअल माध्यम से प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के सरपंचों को प्रशिक्षण के लिए अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है। इसके पीछे मंशा ये है कि वे भी अपने-अपने राज्यों में पंचायतों को सशक्त बनाने के साथ ही विकास की नई इबारत लिख सकें। इस कड़ी में जम्मू-कश्मीर के 160 सरपंचों ने अलग-अलग चार बैच में उत्तराखंड में प्रशिक्षण लिया था। अब लद्दाख ने भी अपने सरपंचों को प्रशिक्षण के लिए यहां भेजने का सिलसिला शुरू किया है।
सचिव पंचायतीराज एचसी सेमवाल ने बताया कि सोमवार से लद्दाख के सरपंचों का प्रशिक्षण शुरू होगा। पहले दिन सरपंचों को उत्तराखंड के पंचायतीराज एक्ट, विभिन्न विभागों में समन्वय, ग्राम पंचायत विकास योजना समेत अन्य बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि सात दिन चलने वाले प्रशिक्षण के दौरान सरपंचों को विभिन्न ग्राम पंचायतों का भ्रमण भी कराया जाएगा।
प्रीतम के संग कांग्रेसियों ने की राकेश टिकैत से भेंट
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने रविवार को गाजीपुर बार्डर पहुंचकर किसान नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की। उन्होंने किसान आंदोलन के प्रति समर्थन व्यक्त किया। गाजीपुर जाने वाले पार्टी प्रतिनिधिमंडल में विधायक एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन, प्रदेश उपाध्यक्ष रणजीत सिंह रावत, आर्येंद्र शर्मा, पूर्व मेयर यशपाल राणा, जिलाध्यक्ष गौरव चौधरी, जितेंद्र कुमार, सचिव वीरेंद्र शामिल थे। किसानों आंदोलन को समर्थन देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को जल्द कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। किसान व खेत मजदूर इसके खिलाफ सड़कों पर हैं।
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