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एनसीईआरटी की पुस्तकों पर होगा क्यूआर कोड, छात्रों और अध्‍यापकों को मिलेगी मदद

एनसीईआरटी की किताबें को पढ़ाने व इनको प्रदेश में पहले से प्रचलित पुस्तकों के साथ समेकन के लिए पुस्तकों पर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 04:14 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 04:14 PM (IST)
एनसीईआरटी की पुस्तकों पर होगा क्यूआर कोड, छात्रों और अध्‍यापकों को मिलेगी मदद

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में एक समान शिक्षा व्यवस्था व शैक्षिक गुणवत्ता को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए सभी राजकीय विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबें लागू की गई हैं। इन पुस्तकों को पढ़ाने व इनको प्रदेश में पहले से प्रचलित पुस्तकों के साथ समेकन के लिए पुस्तकों पर क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। यह जानकारी निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने दी। उन्होंने बताया कि क्यूआर कोड के माध्यम से अध्यापक व छात्र-छात्राएं संबंधित पाठ के बारे में अन्य स्रोत की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। पाठ्य पुस्तक के अध्यायों की अतिरिक्त सामग्री लैपटॉप या डिजिटल बोर्ड पर पढ़ने में मदद मिलेगी। इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। 

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उन्होंने बताया कि कक्षा एक से आठ तक प्रथम बार एनसीईआरटी की पुस्तकों को लागू किए जाने और अध्यापकों को इन्हें पढ़ाने में दक्ष करने के लिए इस वर्ष एससीईआरटी द्वारा विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें किताबों में दिए गए संदर्भों को पढ़ाने, राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण में न्यूनतम सम्प्राप्ति के स्तरों पर क्रियात्मक शिक्षण किए जाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। भारत सरकार ने कक्षा एक से आठ तक प्रत्येक कक्षा के प्रत्येक विषय के लिए सीखने के प्रतिफल निर्धारित किए गए हैं। इन्हीं के आधार पर आगामी वर्षों में संपूर्ण देश में बच्चों के सीखने के स्तर का आकलन किया जाएगा। प्रदेश में वर्ष 2017-18 में एनएएस के परिणामों में छात्रों का प्रदर्शन आशानुकूल न होने के कारण सरकार ने यह निर्णय लिया है कि एनसीईआरटी की पुस्तकों के साथ-साथ लर्निंग आउटकम पर आधारित पाठ्यक्रम को विद्यालयों में लागू व शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाए। इस वर्ष भारत सरकार से समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत प्रशिक्षण के लिए बजट देरी से उपलब्ध हुआ। जिस कारण प्रशिक्षण जनवरी व फरवरी में कराया गया। लेकिन आगामी वर्षों में प्रशिक्षण जुलाई से पहले करा लिया जाएगा। ताकि विद्यालयों में इसके प्रभाव को जांचा जा सके।

जांच रहे अध्यापकों की सम्प्राप्ति का स्तर 

प्रशिक्षण की प्रभावशीलता को जानने के लिए प्रशिक्षण से पूर्व सभी अध्यापकों का प्री-टेस्ट आयोजित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद टेस्ट के माध्यम से यह जानकारी ली जा रही है कि अध्यापक का सम्प्राप्ति का स्तर क्या रहा। साथ ही प्रत्येक अध्यापक को विद्यालय में प्रशिक्षण विषयों को अपनाने के लिए लर्निंग लॉग तैयार करवाए जा रहे हैं। ताकि अध्यापक द्वारा विद्यालय में किए जा रहे प्रयासों का अनुश्रवण समय-समय पर किया जा सके।

प्रशिक्षण के अनुश्रवण के लिए अधिकारी तैनात

महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ज्योति यादव ने अधिकारियों को प्रशिक्षण के प्रभावी अनुश्रवण के लिए निर्देशित किया है। इसके लिए जनपदवार राज्य स्तरीय अधिकारियों को तैनात किया गया है। महानिदेशक ने निर्देश दिए हैं कि अधिकारी प्रशिक्षण केंद्रों पर जाकर प्रशिक्षण की गुणवत्ता के साथ-साथ प्रशिक्षणार्थियों के साथ चर्चा कर आगामी शैक्षिक सत्र से इसे प्रभावी ढंग से विद्यालयों में क्रियान्वित करने का भी कार्यक्रम तैयार कराएं।

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