परीक्षा के दौरान बच्चा सहमा है तो रहें सतर्क, हो सकती है ये बीमारी
परीक्षा के समय अगर आपका बच्चा जरा भी डरा या सहमा हुआ है, तो सतर्क हो जाइए। यह महज परीक्षा का डर नहीं है यह किसी बीमारी की दस्तक भी हो सकती है।
देहरादून, जेएनएन। परीक्षा के समय अगर आपका बच्चा जरा भी डरा या सहमा हुआ है, तो सतर्क हो जाइए। यह महज परीक्षा का डर नहीं है यह किसी बीमारी की दस्तक भी हो सकती है। उत्तराखंड की बात करें तो सीबीएसई द्वारा शुरू की गई हेल्प लाइन पर एंजाइटी डिसऑर्डर और एग्जाम फोबिया से ग्रस्त कई मामले आ रहे हैं।
बढ़ रहे हैं डिसऑर्डर के केस
सीबीएसई की हेल्पलाइन पर रोजाना एग्जाम को लेकर सैंकड़ों कॉल आ रही हैं। इन कॉल में लगभग 80 प्रतिशत बच्चे एंजाइटी डिस्ऑर्डर का शिकार पाए गए। जबकि 10 प्रतिशत बच्चों को एग्जाम फोबिया से ग्रस्त पाया गया।
अभिभावक हैं कारण
विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चों के इस तनाव और डिसऑडर्स के लिए ज्यादातर मामलों में अभिभावक ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि अभिभावक के बेवजह के दबाव से बच्चे इन बीमारियों का शिकार बन रहे हैं।
एग्जाम फोबिया के कारण
एग्जाम के बारे में सोचते ही या प्रश्न पत्र सामने आते ही सब पढ़ा हुआ भूल कर अचानक ब्लैंक आउट हो जाना, हार्ट बीट बढऩा, सांस फूलना जैसे लक्षण फोबियो के सूचक हैं।
एंजाइटी डिसऑर्डर के लक्षण
यूं तो बच्चों को परीक्षा के समय पर आमतौर पर कम हीं नींद आती है, लेकिन अगर बच्चा पढ़ा हुआ अचानक भूल जाता है, रातों को सोता नहीं और पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पा रहा है तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है, यह एंजाइटी डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं।
ये करें उपाय
प्रश्न पत्र के सामने आते ही अगर बच्चा डर जाता है या भूल जाता है तो उसके लिए सबसे अच्छा उपाय यही है कि वह समय प्रबंधन करना सीखे। इसके अलावा पुरानी पढ़ी हुई चीजों पर ध्यान दे। न कि नई चीजों में चैप्टर्स में अपना समय खराब करे। सबसे ज्यादा अहम है कि बच्चा तनाव ग्रस्त माहौल से दूर रहे।
गंभीरता से नहीं लिया तो दिक्कत
सीबीएसई काउंसलर डॉ. सोना कौशल गुप्ता के अनुसार हेल्पलाइन के दौरान ज्यादा मामले साइकोसिमेट्रिक प्रॉब्लम, एंजाइटी डिस्ऑर्डर और फोबिया के आ रहे हैं। शुरुआत में यह समस्याएं बच्चों का ड्रामा लगती हैं, लेकिन अगर इन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया तो दिक्कत बढ़ सकती है।
शॉर्टकट में उत्तर लिखा तो कम मिलेंगे नंबर
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बोर्ड परीक्षा से पहले छात्रों को एक सुझाव दिया है कि वह बोर्ड एग्जाम में शॉर्टकट में उत्तर न लिखें, इससे उनको दिए जाने वाले अंक कम हो जाते हैं। यह सुझाव सीबीएसई ने 12वीं बोर्ड के छात्रों के परीक्षा देने के तरीके पर कराए गए एक सर्वे के बाद दिया है।
बोर्ड के मुताबिक पिछले 3-4 साल में देखा गया है कि अधिकतर छात्र परीक्षा में उत्तर लिखने में शॉर्टकट का इस्तेमाल करते हैं। इसका असर उनके अंक पर पड़ता है। सर्वे में ये स्पष्ट हुआ कि 12वीं बोर्ड परीक्षा में 40 फीसदी छात्र शॉटकर्ट में उत्तर लिखते हैं और अधिकतर छात्र एक शब्द में उत्तर लिख कर काम चलाते हैं।
कुछ छात्र पूरी लाइन में उत्तर नहीं देते हैं फिगर भी नहीं बनाते इससे उन्हें कम अंक मिलते हैं। इससे उनके स्टेप वाइज मार्किंग पर असर पड़ता है। जितने अंक उन्हें मिलने चाहिए उतने नहीं मिल पाते हैं।
बोर्ड ने बताया कि फार्मूला और यूनिट मिलाकर उत्तर देने पर एक अंक मिलता है लेकिन छात्र बिना फार्मूला और यूनिट लिखे उत्तर दे देते हैं। इससे उनका एक अंक कट जाता है। विषयवार कई और उदाहरण बोर्ड ने परीक्षर्थियों को देकर समझाया है।
उत्तर देने की दिक्कत विज्ञान और वाणिच्य वाले छात्रों की अधिक है। बोर्ड के अनुसार वह छात्र अधिक गलती करते हैं जो पहली बार बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे होते हैं। कारण है कि छात्र का अधिकतर समय इंजीनियरिंग की तैयारी में चला जाता है। वह बोर्ड परीक्षा पर ध्यान नहीं देता।
ऐसे में स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह छात्रों को विस्तार से उत्तर लिखने की आदत डालें। अगर 12वीं में कम अंक आएंगे तो इसका असर छात्र के भविष्य पर भी पड़ेगा।
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