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अब उत्तराखंड में जल्द ही शिक्षा विभाग होगा पेपरलेस, जानिए

उत्तराखंड में अब शिक्षा विभाग जल्द ही पेपरलेस होगा। इसके लिए कवायदें तेज हो गर्इ हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय पत्रकार वार्ता में ये जानकारी दी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 03 Jan 2018 02:04 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jan 2018 09:04 PM (IST)
अब उत्तराखंड में जल्द ही शिक्षा विभाग होगा पेपरलेस, जानिए
अब उत्तराखंड में जल्द ही शिक्षा विभाग होगा पेपरलेस, जानिए

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में शिक्षा विभाग जल्द ही पेपरलेस होगा। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसके लिए डिजिटलाइजेशन की ओर कदम बढ़ाए गए हैं। कोशिश यह होगी कि सभी तरह की पत्रवालियां भेजने-मंगाने में ई-मेल का अधिकाधिक प्रयोग किया जाए। साथ ही सोशल मीडिया के जरिए भी आदेशों, निर्देशों व संदेशों का आदान-प्रदान किया जाएगा। 

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शिक्षा कोष में 51 हजार दिए 

विद्यालयों में फर्नीचर, कंप्यूटर की उपलब्धता समेत आकस्मिक खर्चों की पूर्ति के लिए प्रारंभ किए गए शिक्षा कोष को खूब सराहना मिल रही है। शिक्षा मंत्री के मुताबिक उन्होंने इस कोष में 51 हजार रुपये की राशि दी है, जबकि कई विभागीय अधिकारियों ने इसमें धनराशि प्रदान की है। कई अधिकारियों व शिक्षकों ने स्वेच्छा से इसमें सहयोग देने की बात कही है। 

निकाय चुनाव में चेहरा नहीं 

शिक्षा मंत्री ने कहा कि निकाय चुनाव में चेहरे का कोई महत्व नहीं होता। निकाय चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अथवा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत क्या मुख्य चेहरा होंगे, इस सवाल के जवाब में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि भाजपा संगठन आधारित पार्टी है। इसमें खानदान आदि का वजूद नहीं है। साथ ही कहा कि उत्तराखंड की जनता संवेदनशील और देवतुल्य है। इसलिए जिस पार्टी ने 70 साल तक देश को ठगा, उसे वह निकाय चुनावों में भी कभी नहीं चुनेगी। 

बड़े विजन के आकार लेने में वक्त लगता है 

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुआई में सरकार पूरी ईमानदारी से कार्य कर रही है। नौ माह के अब तक के कार्यकाल में कहीं कोई घपला-घोटाला नहीं हुआ है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। लोकायुक्त का गठन कब तक होगा, इस पर उन्होंने कहा कि जब भी कोई बड़े विजन के साथ आता है तो उसमें समय लगता है। 

खत्म करें अभिभावकों पर दर्ज मुकदमे 

डीजीपी साहब, मैं अरविंद पांडेय बोल रहा हूं। जनता दरबार में बैठा हूं और एक स्कूल के कुछ अभिभावक मेरे सामने आए हैं। इनकी शिकायत है कि स्कूल में यौन उत्पीडऩ के एक मामले में आंदोलन करने पर पुलिस ने इनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर दिया। मेरी विनती है आपसे कि इस मामले में एफआर लगाकर इसे खत्म कर दिया जाए। जनता दरबार में एक शिकायत पर सुनवाई के दौरान यह शिक्षा मंत्री ने फोन पर यह निर्देश दिए। बताया गया कि इस मामले में डीजीपी ने एडीजी को निर्देश दिए हैं। 

सड़क से क्षति से जुड़े चमोली के एक मामले में शिक्षा मंत्री ने वहां के डीएम को फोन कर क्षति का मुआवजा तुरंत प्रदान करने के निर्देश दिए। जनता दरबार के दौरान उन्होंने कई विभागों के अधिकारियों को फोन किए। यही नहीं, इस दौरान उन्होंने फरियादियों को नसीहत भी दी। जनता दरबार के संयोजक एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी उर्बा दत्त भट्ट के अनुसार दरबार में 120 शिकायतें आईं। 

मैं मामले को दिखवाता हूं 

जनता दरबार के दौरान शिकायत दर्ज कराई गई कि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डायट का संचालन अलग से करने का शासनादेश 2013 में हो चुका है, लेकिन डायट अभी भी माध्यमिक शिक्षा के अंतर्गत चल रहे हैं। यही नहीं, 2013 के शासनादेश के मुताबिक केंद्र से प्रति वर्ष सात करोड़ का बजट भी डायट के लिए लिया जा रहा है। मांग की गई कि डायट का संचालन अलग से करने की व्यवस्था की जाए। इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। वह इसे दिखवाएंगे। 

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