उत्तराखंड : अब आठवीं तक बच्चों को पहले की भांति मिलेगा मिड डे मील
उत्तराखंड में पहले की भांति सरकारी व सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में आठवीं तक छात्र-छात्राओं को मिड डे मील मिलेगा। वहीं भोजन माताओं को कोरोना संक्रमित नहीं होने का स्वघोषणापत्र देना होगा। भोजन माताओं को रसोईघर में मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ने के बाद अब प्रदेश के सरकारी व सहायताप्राप्त अशासकीय विद्यालयों में आठवीं तक छात्र-छात्राओं को पहले की भांति मिड डे मील मिलेगा। भोजनमाताओं को कोरोना संक्रमित नहीं होने का स्वघोषणापत्र देना होगा। उन्हें रसोईघर में मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। साथ ही इस दौरान किसी भी प्रकार के आभूषणों को पहनने की मनाही होगी।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण) योजना के अंतर्गत विद्यालयों में कक्षा एक से आठवीं तक छात्र-छात्राओं को मिड डे मील लंबे समय से नहीं दिया जा रहा था। इसके स्थान पर छात्र-छात्राओं को भोजन भत्ता दिया जा रहा था। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया था। अब हालत सुधरने पर विद्यालयों में मिड डे मील बनाने के आदेश सोमवार को शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने जारी किए। योजना के संचालन में कोविड-19 के प्रोटोकाल को ध्यान में रखकर जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
भोजनमाताओं को विद्यालय में प्रवेश करते हुए हाथों को सैनिटाइज करने व अच्छी तरह हाथ धोने को कहा गया है। भोजनमाताओं को कैंप अथवा समीप के स्वास्थ्य केंद्रों पर कोरोना टीका लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं। रसोईघर में प्रयोग किए जाने वाले बर्तनों व खाद्यान्न को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से साफ किया जाएगा। भोजन वितरण से पहले बच्चों को पंक्तिबद्ध निर्धारित दूरी पर बैठाने और उनके हाथों को साबुन से धुलवाने को कहा गया है। बच्चों को हाथ धुलवाने के बाद उन्हें किसी कपड़े से पोंछने के बजाय हवा में सुखाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। भोजन के उपरांत बच्चे दोबारा मास्क लगाएंगे। भोजन के पहले व बाद में हाथ धुलने के समय भी छह फीट की दूरी का अनुपालन करने की हिदायत दी गई है।
शासनादेश के अनुसार भोजन पकाने की प्रक्रिया में एकत्रित कूड़े को ढक्कनदार डस्टबिन में डाला जाएगा। पानी निकासी की सुदृढ़ व्यवस्था करने को कहा गया है। धोये गए बर्तनों को धूप में सुखाकर रसोईघर में रखा जाएगा। जिन विद्यालयों में दो पालियों में पठन-पाठन हो रहा है, वहां दोनों पालियों में पात्र छात्र-छात्राओं को एक साथ भोजन ग्रहण कराने को कोविड प्रोटोकाल का पालन कराया जाएगा।
प्रधानाध्यापक अथवा प्रधानाचार्य को खाद्यान्न पकाने की लागत अस्थायी तौर पर उपलब्ध न होने पर विद्यालय में उपलब्ध निधि का उपयोग करने को कहा गया है। इस धनराशि की प्रतिपूर्ति की जाएगी। शासनादेश में जिला व ब्लाक स्तरीय समितियों के पदाधिकारियों व सदस्यों को विद्यालय में योजना संचालन का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। इस योजना का निर्बाध संचालन करने को कहा गया है।
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