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सरकारी अस्पताल के चिकित्सक नहीं आ रहे बाज, लिख रहे बाहर की दवा; नोटिस

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने बाहर से दवा लिखने के मामले में कित्सकों को अंतिम चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 05:13 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 08:56 PM (IST)
सरकारी अस्पताल के चिकित्सक नहीं आ रहे बाज, लिख रहे बाहर की दवा; नोटिस
सरकारी अस्पताल के चिकित्सक नहीं आ रहे बाज, लिख रहे बाहर की दवा; नोटिस

देहरादून, जेएनएन। सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक बाज नहीं आ रहे हैं। उन्हें न तो सरकार और शासन का डर है न विभागीय अधिकारियों का। अस्पताल में तमाम दवाएं उपलब्ध होने के बावजूद वह मरीज को बाहर की ही दवाइयां लिख रहे हैं। ताजा मामला कोरोनेशन अस्पताल से जुड़ा है। जहां मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीसी रमोला ने चिकित्सकों को अंतिम चेतावनी दी है। 

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय संयुक्त चिकित्सालय (कोरोनेशन) के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने अस्पताल के चिकित्सकों को नोटिस जारी कर कहा है कि बीते कुछ वक्त से अस्पताल के चिकित्सक मरीजों को अनावश्यक रूप से बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। जबकि चिकित्सालय में पर्याप्त मात्रा में अनेक प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिससे रोगियों का समुचित उपचार किया जा सकता है। यह भी देखने में आ रहा है कि चिकित्सालय की औषधियों से अधिक मरीजों को बाहर की दवाएं खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जो कि अत्यंत खेद का विषय है। 

उन्होंने कहा है कि सरकारी अस्पताल में व्यक्ति इसीलिए आता है क्योंकि वह महंगा इलाज करा पाने में सक्षम नहीं होता। ऐसे में यदि चिकित्सक बाहर की दवाइयां लिखते हैं तो उन्हें इलाज में कठिनाई आएगी। उन्होंने चिकित्सकों को मेडिकल काउंसिल के निर्देशानुसार रोगियों का उपचार किए जाने की हिदायत दी। 

जबरन न कराएं टेस्ट 

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि दवाइयों से अलग चिकित्सक मरीज को मामूली व्यथा के लिए खून की जांच, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन आदि के लिए बाहर भेज रहे हैं। जो कि सीधे-सीधे भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। यह कोड ऑफ मेडिकल एथिक्स के भी खिलाफ है। उन्होंने चिकित्सकों को संयम बरतते हुए अपने विवेक का उपयोग कर रोगों की पहचान करने की सलाह दी। 

चिकित्सक करें कोड ऑफ मेडिकल एथिक्स का अध्ययन 

डॉ. रमोला ने चिकित्सकों को सलाह दी कि वह एमसीआइ के कोड ऑफ मेडिकल एथिक्स का पुन: अध्ययन करें। इसके अलावा उन्होंने अस्पताल  में ऐसे मामले सामने आने पर चिकित्सकों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी। साथ ही उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल को भी शिकायत करने की बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार निश्शुल्क उपचार के लिए दृढ़ संकल्प है। ऐसे में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। संबंधित चिकित्सक के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। 

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