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    कहने को देश का पहला कंजरवेशन रिजर्व, पर नहीं कोई नेचर गाइड

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 10 Jan 2021 05:43 AM (IST)

    विकासनगर आसन वेटलैंड को भले ही देश के प्रथम कंजरवेशन रिजर्व का दर्जा प्राप्त हो लेकिन सुविधाओं का यहां अभाव है। हालत यह है कि देश के पहले कंजरवेशन रिज ...और पढ़ें

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    कहने को देश का पहला कंजरवेशन रिजर्व, पर नहीं कोई नेचर गाइड

    संवाद सहयोगी, विकासनगर: आसन वेटलैंड को भले ही देश के प्रथम कंजरवेशन रिजर्व का दर्जा प्राप्त है, यह उत्तराखंड का पहला रामसर साइट भी है, इसके बाद भी यहां पर पक्षी प्रेमियों को उनके बारे में जानकारी देने के लिए नेचर गाइड तक नहीं है। यहां पर नाम के अनुरूप सुविधाओं का भी अभाव है। हैरत की बात है कि देश के कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड में कोई पक्षी विशेषज्ञ व नेचर गाइड भी नहीं है। इसके चलते यहां घूमने आए सैलानियों को पक्षियों के बारे में आवश्यक जानकारी नहीं मिल पा रही है। हालांकि चकराता वन प्रभाग के वन दारोगा पक्षी प्रेमियों की परिदों के बारे में जिज्ञासा शांत करते हैं।

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    चकराता वन प्रभाग के अंतर्गत रामपुर मंडी क्षेत्र में स्थित आसन वेटलैंड पर सुविधाओं की कमी होना सरकारी दावों पर सवाल खड़े करता है। नमभूमि में प्रत्येक वर्ष हजारों की तादाद में विदेशों से पक्षी आकर प्रवास करते हैं। कई माह तक यहां प्रवास करने वाले इन पक्षियों को देखने के लिए भारी संख्या में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, पक्षी प्रेमी नमभूमि पहुंचते हैं। परंतु यहां उन्हें पक्षियों की प्रजातियों, उनके स्वभाव व उनके मूल आवास आदि के बारे में जानकारी देने की कोई सुविधा नहीं मिलती है। पर्यटक बिना जानकारी पक्षी देखकर लौट जाते हैं। हालांकि चकराता वन प्रभाग की ओर से वन दारोगा प्रदीप सक्सेना को ड्यूटी पर लगाया गया है। परंतु पक्षी प्रेमियों व पर्यटकों की संख्या के अनुपात में एक कर्मचारी की यह व्यवस्था नाकाफी ही साबित होती है।

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    कुछ समय तक रही नेचर गाइड की सुविधा

    विकासनगर: उत्तराखंड बनने के बाद राज्य में बनी पहली निर्वाचित सरकार के कार्यकाल के दौरान आसन बैराज को देश का पहला कंजरवेशन रिजर्व होने का दर्जा मिला। उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कंजरवेशन रिजर्व का उद्घाटन किया था। इसके अतिरिक्त यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों को पर्यटन से जोड़ने की दिशा में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने आसपास के ग्राम ढालीपुर, कुंजाग्रांट, कुल्हाल के ग्रामीणों की ईको समिति बनाकर उसे यहां नेचर गाइड रखने, पर्यटकों के लिए एक कैंटीन का संचालन करने का जिम्मा दिया था। यह व्यवस्था कई वर्ष तक चली भी, लेकिन नेचर गाइड को मानदेय नहीं मिला, साथ ही प्रदेश में बनने वाली दूसरी सरकारों ने आसन नमभूमि में सुविधाओं के मामले में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।

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    हर साल मनाया जाता है बर्ड वॉचिग फेस्टेवल

    प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी के दिनों में यहां हर साल बर्ड वॉचिग फेस्टेवल भी मनाया जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस फेस्टेवल में प्रदेश भर से वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर, पक्षी विशेषज्ञ व वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी जमा होते हैं। लेकिन बर्ड वॉचिग को पर्यटन से जोड़ने की दिशा में इस प्रकार के आयोजन आज तक कारगर साबित नहीं हुए हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर अजय शर्मा, सिद्धार्थ, करना पुरी का कहना है कि अधिक संख्या में सुर्खाब नामक पक्षी के आसन वेटलैंड में प्रवास करने के कारण हाल ही में रामसर साइट भी घोषित किया गया है। इस घोषणा के बाद नमभूमि दुनिया के नक्शे में शामिल हो गया है। ऐसे में यहां हर साल पर्यटकों व पक्षी प्रेमियों की संख्या में भी वृद्धि होगी, इसलिए यहां सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए। आसन बैराज इको समिति अध्यक्ष मोहम्मद आरिफ का कहना है कि नमभूमि के क्षेत्र को पर्यटन से जोड़ने की दिशा में यदि कार्य किया जाता है तो इससे न सिर्फ यहां आने वाले पर्यटकों व पक्षी प्रेमियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि क्षेत्र के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

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    बर्ड वॉचिग के लिए आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए चकराता वन प्रभाग की ओर से एक वन दारोगा को जिम्मेदारी दी गई है। इसके अतिरिक्त दूरबीन व पक्षियों से संबंधित साहित्य आदि भी वन प्रभाग के रामपुर मंडी स्थित वन आरक्षी केंद्र पर मुहैया कराया गया है। कैलाश पांडेय उप प्रभागीय वनाधिकारी चकराता वन प्रभाग।