उपवास से बढ़कर कोई औषधि नहीं, संतुलित आहार भी कई रोगों को रखे दूर
उपवास करने से शरीर स्वस्थ रहता है। इससे बढ़कर कोई औषधि नहीं। ये अधिकांश रोगों से हमारे शरीर को बचाता है।
देहरादून, सुकांत ममगाईं। यह निर्विवाद सत्य है कि उपवास करने से शरीर स्वस्थ रहता है। संभवत: इसके महत्व को समझते हुए सभी धर्मों के प्रणेताओं ने इसे धार्मिक रीति-रिवाजों से जोड़ दिया है, जिससे लोग उपवास के अनुशासन में बंधे रहें। आयुर्वेद समेत दूसरी सभी चिकित्सा पद्धतियों में उपवास यानी पेट को खाली रखने पर जोर दिया गया है। हालांकि उपवास हर बीमारी का इलाज नहीं, लेकिन यह अधिकांश समस्याओं में कारगर रहता है।
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. नवीन जोशी के अनुसार आयुर्वेद में बीमारी को दूर करने के लिए शरीर के विषैले तत्वों को दूर करने की बात कही जाती है और उपवास करने से इन्हें शरीर से निकाला जा सकता है। इसीलिए 'लंघनम सर्वोत्तम औषध' यानी उपवास को सर्वश्रेष्ठ औषधि माना जाता है। डॉ. जोशी के अनुसार कई अनुसंधान में पाया गया है कि उपवास रखने से शरीर की पाचन क्रिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आयु संबंधी बीमारियों को दूर रखने में मदद मिलती है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हितकारी
डॉ. जोशी बताते हैं कि उपवास में जब हम 12 घंटे या उससे अधिक कुछ नहीं खाते हैं तो किटोसिस की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जिसमें हमारे शरीर की कोशिकाएं शरीर में मौजूद फैट यानी चर्बी को गलाकर इसके माध्यम से ऊर्जा लेना शुरू कर देती हैं। इनसे शरीर में होने वाली ऑटोफैजी नामक प्रक्रिया में मदद मिलती है। ऑटोफैजी कोशिकाओं में सफाई के लिए होने वाली प्रक्रिया है। इस प्रकिया के द्वारा शरीर की कोशिकाओं में पैदा होने वाले अपशिष्ट पदार्थ, नुकसान करने वाले तत्व और विषैले तत्व शरीर द्वारा नष्ट कर दिए जाते हैं।
अगर समयबद्ध तरीके से उपवास किया जाए तो इससे शरीर की कोशिकीय प्रणाली पर सकारात्मक असर पड़ेगा, जो स्वास्थ्य के लिए हितकारी होगा और बढ़ती आयु संबंधी बीमारियों से बचाएगा। बीच-बीच में किया गया उपवास मधुमेह और मोटापे जैसे रिस्क फैक्टर्स को कम कर देता है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
बीमारियां कीजिए दूर
अगर आप नियमपूर्वक उपवास रखते हैं तो इससे न सिर्फ आपका हाजमा दुरुस्त होता है, बल्कि और भी कई बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। यह आर्थराइटिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, हमेशा बनी रहने वाली थकान, कोलाइटिस, स्पास्टिक कोलन, इरिटेबल बॉवेल, लकवे के कई प्रकारों के साथ-साथ न्यूराल्जिया, न्यूरोसिस और कई तरह की मानसिक बीमारियों में फायदेमंद साबित होता है। थोड़े समय का उपवास भले ही आपकी एनर्जी कम कर दे, लेकिन इससे इच्छाशक्ति में बढ़ोतरी होती है। उपवास जितना लंबा होगा, शरीर की ऊर्जा उतनी ही अधिक बढ़ेगी।
उपवास करने वाले की श्वासोछवास विकार रहित होकर गहरा और बाधा रहित हो जाता है। इससे स्वाद ग्रहण करने वाली ग्रंथियां पुन: सक्रिय होकर काम करने लगती हैं। यह आप में आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। इस प्रकिया के द्वारा शरीर की कोशिकाओं में पैदा होने वाले अपशिष्ट पदार्थ, नुकसान करने वाले तत्व और विषैले तत्व शरीर द्वारा नष्ट कर हो जाते हैं।
यह भी पढ़ें: स्वस्थ्य जीवन के लिए छोड़ दीजिए देर रात खाना खाने की आदत, पढ़िए पूरी खबर
सही और संतुलित भोजन लें
डॉ. जोशी के अनुसार हमारा भोजन वह आधार है, जिससे हमारे शरीर का निर्माण होता है। चरक संहिता के अनुसार किसी भी रोग से मुक्ति के लिए उचित आहार लेना बेहद जरूरी है। औषधि के प्रयोग से मिलने वाला लाभ उचित आहार लेने से ही मिल सकता है। सात्विक भोजन औषधि लेने से कई गुना अधिक लाभदायक है। वह बताते हैं कि आयुर्वेद में शरीर के विभिन्न रोगों के लिए तीन दोषों को जिम्मेदार माना गया है। वात, पित्त और कफ। शरीर में इन तीनों दोषों की कमी या अधिकता होने पर ही कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं।
यह भी पढ़ें: सर्दियों के मौसम में खूब खाएं हरी सब्जियां, खुद को रखें तंदुरुस्त
अगर शरीर को स्वस्थ रखना है तो सही आहार लेना होगा। क्योंकि आहार गलत होगा तो दवाइयां भी असर नहीं करेंगी और अगर आप अपने भोजन में आयुर्वेदिक तत्वों को शामिल करते हैं तो आपको किसी तरह के उपचार की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। सही और संतुलित भोजन से शरीर में बीमारियों के होने की संभावना घट जाती है।
यह भी पढ़ें: सर्दियों में रखें सेहत का ख्याल, खानपान और नियमित व्यायाम पर दें ध्यान